नैनीताल हाईकोर्ट ने आरटीआई एक्टीविस्ट और अधिवक्ता चंद्रशेखर करगेती पर दो लाख का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना सोशल मीडिया (फेसबुक) पर एससी-एसटी आयोग के सचिव जीआर नौटियाल को आपत्तिजनक टिप्पणी लिखने पर लगाया गया है। इसी के साथ हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह ने करगेती द्वारा इस मुकदमे की प्रक्रिया रोकने को लेकर दायर की गई याचिका भी खारिज कर दी है।
मामला दो साल पुराना है। 2016 में हल्द्वानी निवासी आरटीआई एक्टीविस्ट एवं अधिवक्ता चंद्रशेखर करगेती ने एससी-एसटी आयोग के सचिव जीआर नौटियाल के खिलाफ फेसबुक पर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां पोस्ट की थी। जिसको आधार बनाकर देहरादून थाने में करगेती के खिलाफ आईटी एक्ट तथा एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करा दिया गया था। प्राथमिकी निरस्त करने एवं मुकदमे से संबंधित प्रक्रिया रोकने के लिए करगेती ने हाईकोर्ट में धारा 482 के तहत याचिका दायर की थी। जस्टिस लोकपाल सिंह की एकल पीठ ने मामले को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी। साथ ही अधिवक्ता पर दो लाख का जुर्माना लगा दिया। कोर्ट ने इस बात पर भी सख्त नाराजगी जताई है कि चन्द्रशेखर करेगती ने कोर्ट को शपथ पत्र के साथ गलत और भ्रामक तथ्य देकर गुमराह करने की कोशिश की। उच्च न्यायालय ने जांच अधिकारी द्वारा दायर की गई चार्जशीट तथा ट्रायल कोर्ट सेशन जज देहरादून द्वारा करगेती के विरूद्ध की गई कार्यवाही को भी सही माना है। कोर्ट ने कहा कि अन्य कोर्ट में भ्रामक शपथ पत्र देने पर 10 लाख तक के जुर्माने लगे हैं। लेकिन यह कोर्ट सिर्फ सबक सिखाने के लिए मात्र दो लाख का जुर्माना लगा रहा है। इस संबंध में जब चंद्रशेखर करगेती से बात की गई तो उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकारी द्वारा एससी-एसटी छात्रवृत्ति का घोटाला किया गया था। मैंने उससे संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किए 650 पन्नों की पूरी रिपोर्ट सीओ को सौंपी थी। जो तथ्यों पर आधारित थी और तथ्य सूचना अधिकार अधिनियम के तहत लिए गए थे। इसकी शिकायत की गई थी। लेकिन आज तक आरोपी अधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। उल्टा जूनियर अधिकारी को सीनियर अधिकारी बनाकर तोहफा दे दिया गया।