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Uttarakhand

रायपुर की रायशुमारी में ‘आप’ की एंट्री

रायपुर विधानसभा सीट पर इस बार मुख्य मुकाबला भाजपा-कांग्रेस और आप के मध्य होता नजर आ रहा है। सीटिंग विधायक उमेश शर्मा काउ एक काम करने वाले नेता के तौर पर अपनी पहचान और पकड़ इस क्षेत्र में खासी मजबूत कर चुके हैं, लेकिन पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की अघोषित दावेदारी उनकी राह में अड़चन डालने का काम कर रही है। वहीं कांग्रेस से सबसे मजबूत दावेदारी प्रभुलाल बहुगुणा की नजर आ रही है। एसपी सिंह, राजेंद्र शाह, सूरत सिंह नेगी, भूपेंद्र नेगी और डॉ आरपी रतूड़ी भी यहां से पार्टी का टिकट पाने का प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग रजनी रावत को टिकट देने के पक्ष में है। दोनों मुख्य दलों को इस बार कड़ी टक्कर देने का इरादा बना चुकी आप यहां से रविंद्र जुगराण को मैदान में उतार सकती है। हालांकि बतौर आप उम्मीदवार उमा सिसोदिया का नाम भी चर्चा में है

तकरीबन 1 लाख 35 हजार मतदाताओं वाली रायपुर विधानसभा सीट पूर्व में डोईवाला विधानसभा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। राज्य बनने से पूर्व रायपुर मसूरी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था। इस क्षेत्र में कांग्रेस-भाजपा दोनों ही पार्टियों ने समय-समय पर अपना कब्जा किया। राजनीतिक तौर पर देखें तो रायपुर ने कई दिग्गज नेताओं की जमीन को इस कदर मजबूत किया है कि उनमें से कई प्रदेश की राजनीति में बड़े स्तम्भ के तौर पर पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं। भाजपा के दिग्गज हरबंश कपूर तथा कांग्रेस के हीरा सिंह विष्ट ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया तो एक बार जनता दल के टिकट पर स्वर्गीय रणजीत सिंह वर्मा को भी इस क्षेत्र की जनता ने निराश नहीं किया।

पृथक राज्य बनने के बाद डोईवाला विधानसभा सीट का अस्तित्व सामने आया तो रायपुर को डोईवाला क्षेत्र से जोड़ दिया गया और इसके पहले विधायक भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत बने। नए परिसीमन के बाद रायुपर को अलग विधानसभा सीट बनाया गया। 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उमेश शर्मा काउ भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत को पटखनी देकर विधायक बने। तकनीकी तौर पर यह कहा जा सकता हेै कि रायपुर विधानसभा क्षेत्र के पहले विधायक उमेशा शर्मा काउ थे।

2022 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा -कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी अपनी कमर कस चुकी है। भाजपा के लिए चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर कोई संदेह या समस्या नहीं है, तो कांग्रेस में आधा दर्जन के करीब उम्मीदवार अपनी अपनी दावेदादी कर रहे हैं। दोनों ही पार्टियों के बीच आम आदमी पार्टी अचानक से एक विकल्प के तौर पर उभरी है और मतदाताओं को लुभाने के लिए चुनावी रणनीति में जुट चुकी है।

भाजपा के लिए रायपुर सीट पर फिलहाल कोई नई संभावनाएं या दावेदार नहीं हैं। उमेश शर्मा काउ इस विधानसभा सीट पर बारी-बारी से भाजपा-कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। उमेश शर्मा काउ आज भी इस क्षेत्र में लोकप्रिय विधायक के तौर पर पहचाने जाते हैं। अपने पहले कार्यकाल में विधायक काउ द्वारा जिस तरह से क्षेत्र में विकास के बड़े-बड़े काम किए गए हैं उसको जनता आज भी सराह रही है। करोड़ों की बड़ी-बड़ी योजनाएं, सड़कंे, गलियों, नालियों और स्ट्रीट लाइटों का जाल काउ की सफलता खुद-ब-खुद बयां करता है। रायुपर, अजबपुर, सहस्रधारा का क्षेत्र डांडा लाखोैण, अधोईवाला, रांझावाला, नालापानी, द्वारा, अखण्ड वाली भिलंग और नेहरू ग्राम के क्षेत्रों में विकास के काम काउ के पहले कार्यकाल में खूब हुए हैं।
रायपुर में वर्षों से डिग्री कॉलेज के निर्माण, पेयजल से जूझते इस क्षेत्र में शहरी और ग्रामीण इलाकों में 38 नए ट्यूबवेल का निर्माण और सिंचाई के लिए ब्रिटिशकाल में बनी हुई एक मात्र नहर को भूमिगत करके सिंचाई के साधनों को बढ़ाने के भी काम किए गए हैं। इसके अलावा देहरादून से रायुपर को जोड़ने के लिए, 6 नम्बर पुलिया से रायपुर को जोड़ने के लिए डबल लेन मार्ग का निर्माण कर रायपुर देहरादून की दूरी महज 2 किमी हो गई है। दुल्हनी नदी और लाडपुर में दो बड़े पुलांे का निर्माण विद्युत समस्या को दूर करने के लिए आराघर आईआईपी मोहकमपुर तथा रायपुर में 132 केवी तथा अजबपुर रिंग रोड़ लाडपुर नेहरू कॉलोनी तथा सहस्रधारा में 33/11 केवी विद्युत उपसंस्थान का निर्माण किया गया है।

2017 के विधानसभा चुनाव में काउ भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और भारी मतांे से जीतकर दोबारा विधायक बने, लेकिन इस कार्यकाल में काउ अपने क्षेत्र में उतना काम नहीं करवा पाए जितना वे कांग्रेस सरकार के समय में करवाने में सफल रहे। राजनीतिक तौर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ काउ के संबंध मजबूत नहीं रहे हैं। दोनों ही नेताओं की पूर्व की राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के चलते उनके कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच भी खटास इस कदर पैदा हो चुकी थी कि निकाय और पंचायत चुनाव में हार-जीत को लेकर एक-दूसरे के सिर ठीकरा फोड़ा गया।

इसका एक कारण यह भी बताया जाता है कि काउ के कांग्रेसी कार्यकर्ता जो कि उनके साथ भाजपा में शामिल हुए थे, को भाजपा के कार्यकर्ता अपने साथ समाहित नहीं कर पा रहे थे। यही स्थिति काउ के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए भी बनी हुई थी। इसका बड़ा असर क्षेत्र के विकास के कार्यों पर पड़ा और लगातार काउ और त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच रिश्तांे में कड़वाहट बढ़ती चली गई। दोनों के बीच रिश्तांे में कड़वहट इस कदर बढ़ी कि बात काउ द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को शिकायत पत्र भेजे जाने तक जा पहुंची। राज्य बनने के बाद डोईवाला विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बारे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वह 2022 के विधानसभा चुनाव में डोईवाला सीट के बजाय रायपुर से अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत के समर्थकों और कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं भी हो रही हैं। जानकारी के अनुसार विगत दो-तीन वर्षों से त्रिवेंद्र सिंह रावत के समर्थक और खास कार्यकर्ता इस क्षेत्र में पूरी तरह से जुटे हुए हैं। वे त्रिवेंद्र रावत के लिए नई राजनीतिक जमीन तैयार करने में लगे हुए हैं। विधायक काउ के कार्यक्रमों में भी इसका असर दिखाई देता रहा है। भाजपा के कई कार्यकर्ता काउ के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर एक तरह से समानांतर कार्यक्रम चलाने और त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यक्रमों में भरपूर ऊर्जा लगाने में दिखाई दिए हैं। हालांकि रावत के मुख्यमंत्री होने के चलते पूरा सरकारी अमला और भाजपा के तमाम कार्यकर्ता और पदाधिकारी उनके कार्यक्रमों में शिरकत करते ही थे, लेकिन जिस तरह से त्रिवेंद्र के खास और रणनीतिकार चेहरों की सक्रियता रायपुर विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिलती रही है, उससे नई संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता।
त्रिवेंद्र रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए इस क्षेत्र में कोई बड़े काम न होना और भाजपा के कार्यकर्ताओं का काउ और त्रिवेंद्र रावत के बीच में बंट जाना राजनीतिक तौर पर त्रिवेंद्र रावत के लिए नुकसानदेय साबित हो सकता है।


‘दि संडे पोस्ट’ ने मार्च 2021 में त्रिवेंद्र रावत सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर एक सर्वेक्षण करवाया था जिसमें रायपुर और डोईवाला विधानसभा क्षेत्रों की जनता ने उनके कार्यकाल को निराशाजनक बताया था। साथ ही त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में चुनाव होने पर भाजपा की हार होने का अंदेशा भी जताया था। हैरानी तो इस बात की थी कि सर्वेक्षण में भाजपा को निरंतर वोट देने वाले मतदाताओं ने भी यह माना कि त्रिवेंद्र रावत सरकार के कामकाज से वे संतुष्ट नहीं हैं। हालांकि त्रिवेंद्र रावत मुख्यमंत्री पद से हट चुके हैं, लेकिन ‘दि संडे पोस्ट’ के सर्वेक्षण के अनुसार त्रिवेंद्र रावत के लिए रायुपर विधानसभा सीट पर कई चुनौतियां हैं जो उनके लिए 2022 के चुनावी समर में बड़ा उलटफेर का कारण बन सकता है।

कांग्रेस में इस सीट पर कई दावोदारों की नजरें लगी हुई हैं। इनमें कई ऐसे नाम और चेहरे हैं जो कि कांग्रेस की राजनीति में इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में सफल भी रहे हैं, तो कई ऐसे चेहरे भी हैं जो कि स्थानीय स्तर पर अपनी लोकप्रियता को भुनाने के लिए चुनाव में अपनी दावेदारी कर रहे हैं। 1982 में ग्राम प्रधानी से अपना राजनीतिक करियर आरम्भ करने वाले प्रभुलाल बहुगुणा ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और रायपुर क्षेत्र के ब्लॉक प्रमुख भी रह चुके हैं। 2012 में कांग्रेस सरकार के समय बहुगुणा को देहरादून मंडी समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले प्रभुलाल बहुगुणा रायपुर क्षेत्र में कांग्रेस के एक बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बहुगुणा मैदान में उतरे और 22 हजार 993 वोट हासिल किए थे। पर्वतीय मूल और मिलनसार व्यक्तित्व के बहुगुणा उमेश शर्मा काउ के कांग्रेस छोड़ने के बाद सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सबसे खास और चहेते नेताओं में बहुगुणा को माना जाता है।

गौर करने वाली बात यह है कि रायुपर क्षेत्र में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को जोड़ने के साथ ही विगत साढ़े चार वर्षों में बहुगुणा ने कांग्रेस के कई कार्यक्रम इस क्षेत्र में किए हैं। अगर यह कहा जाए कि उमेश शर्मा काउ के बाद कांग्रेस में पनपी शून्यता और हताशा को उत्साह में बढ़ाने का काम बहुगुणा ने किया है, तो गलत नहीं होगा। माना जा रहा है कि प्रभुलाल बहुगुणा को कांग्रेस से टिकट पाने में कोई ज्यादा परेशानी नहीं होगी, लेकिन उनके साथ ही कई अन्य बड़े चेहरे और क्षेत्र में लोकप्रिय नेताओं की दावेदारी से बहुगुणा की उम्मीदवारी पर समस्या हो सकती है।
इनमें सबसे महत्वपूर्ण नाम है पूर्व जिला पंचायत और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में सदस्य एसपी सिंह। सिंह इस क्षेत्र में एक बड़े चेहरे के तौर पर पहचान रखते हैं। देहरादून के अग्रणी शिक्षा संस्थान और विश्वविद्यालय के संचालक एसपी सिंह कांग्रेस पार्टी के एक बड़े नेता के तौर पर भी जाने जाते हैं। पूर्व में डोईवाला सीट से कांग्रेस से बगावत करके चुनाव भी लड़ चुके हैं। इस बार भी एसपी सिंह डोईवाला से दावेदारी जता चुके हैं, लेकिन माना जा रहा है कि डोईवाला में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और कई बार के विधायक रहे हीरा सिंह बिष्ट की दावेदारी के चलते एसपी सिंह रायुपर सीट पर अपनी किस्मत आजमाने के लिए कांग्रेस पार्टी के बड़े दावेदार हैं। रायुपर क्षेत्र के खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्र औेर नगर निगम से जुड़े क्षेत्रांे में एसपी सिंह का खासा जनाधार बताया जाता है।

एक अन्य दावेदार राजेंद्र शाह हैं। कांग्रेस पार्टी में राज्य आंदोलनकारी नेता के तौर पर राजेंद्र शाह को जाना जाता है। तकरीबन 30 वर्षों से कांग्रेस से जुड़े राजेंद्र शाह कांग्रेस में अनेक पदों पर कार्य कर चुके हैं। प्रदेश सचिव से लेकर वर्तमान में प्रदेश महामंत्री के पद पर कार्यरत शाह हरीश रावत सरकार में दायित्वधारी राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान दो बार जेल जा चुके शाह कांग्रेस पार्टी से रायुपर सीट पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह हैे कि राजेंद्र शाह कांग्रेस के कार्यक्रमों के संयोजक और समन्ययक भी रह चुके हैं। साथ ही उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद शाह तकरीबन हर कांग्रेस अध्यक्ष के साथ काम कर चुके हैं। पर्वतीय मूल का होने तथा युवा चेहरा और कांग्रेस पार्टी में लम्बा अनुभव शाह की दावेदारी को मजबूत बना रहा है।

पत्रकार सूरत सिंह नेगी भी इस सीट से अपनी दावेदारी कर रहे हैं। वर्तमान में कांग्रेस पार्टी में प्रदेश महामंत्री और प्रदेश प्रवक्ता पद पर कार्यरत सूरत सिंह नेगी पंचायत विभाग के प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष के अलावा प्रदेश प्रधान संगठन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। विगत तीस वर्षों से नेगी पंचायत चुनावों से जुड़े रहे हैं। उप प्रधान, प्रधान और जिला पंचायत स्तर तक नेगी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। ग्राम प्रधान रहते हुए सूरत सिंह नेगी को 2008 में निर्मल ग्राम का राष्ट्रपति पुरस्कार एवं 2011-12 में राष्ट्रीय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार मिल चुके हैं। रायुपर सीट से नेगी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं। क्षेत्र में लोकप्रिय और समाजसेवी के तौर पर नेगी की पहचान उनकी दावेदारी को मजबूत करती दिखाई दे रही है।
राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ और सरल स्वभाव के नेता के तौर पर अपनी पहचान स्थापित कर चुके डॉ आरपी रतूड़ी का नाम सम्भावित उम्मीदवारों में शामिल है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता पद पर लगातार काम कर चुके रतूड़ी मीडिया में कांग्रेस के एक जानकार नेता के तौर पर पहचाने जाते हैं। धर्मपुर से कांग्रेस के वार्ड अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस में सार्वजनिक जीवन की पारी आरंभ करने वाले डॉ रतूड़ी शहर कांग्रेस कमेटी में महामंत्री, उपाध्यक्ष के पद पर भी काम कर चुके हैं। कांग्रेस सेवा दल के प्रदेश उपाध्यक्ष के अलावा कांग्रेस सेवा दल में मुख्य समन्वयक और कार्यकारी अध्यक्ष का भी काम संभाल चुके हैं। कांग्रेस के राजनीतिक प्रशिक्षण विभाग के संयोजक और कांग्रेस सरकार में दर्जा राज्यमंत्री रह चुके हैं। नगर निगम में पार्षद तथा उत्तराखण्ड कांग्रेस कमेटी में सचिव रह चुके हैं। इसके अलावा डॉ आरपी रतूड़ी कई सामाजिक संगठनों और खेल संघों से भी जुड़े हुए हैं। वे अध्यक्ष टिहरी जन विकास परिषद, अध्यक्ष खोखो क्लब देहरादून, अध्यक्ष केैंट डब्ल्यू खूंखरी क्लब देहरादून, संरक्षक एकता युवक क्लब तथा अभिनय नाट्य अकादमी देहरादून के सरंक्षक पद पर कार्यरत हैं। कांग्रेस की राजनीति में अपने लम्बे कार्य अनुभव के चलते डॉ आरपी रतूड़ी 2022 के विधानसभा चुनाव में रायपुर सीट से अपनी दावेदारी कर रहे हैं।

एक अन्य दावेदार युवा नेता भूपेंद्र नेगी हैं। छात्र राजनीति से कांग्रेस की राजनीति में कदम रखने वाले भूपेंद्र सिंह नेगी युवा कांग्रेस देहरादून के जिला अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा नेगी एनएसयूआई के प्रदेश महासचिव पद पर भी रह चुके हैं। विगत कई वर्षों से रायपुर क्षेत्र में कांग्रेस कार्यक्रमों से जुड़े रहकर सामाजिक कामों को कर रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान राहत कार्य तथा कई स्वास्थ्य कैम्पों का आयोजन कर चुके हैं। इस बार 2022 के चुनाव में नेगी रायुपर विधानसभा सीट से कांगेस टिकट के एक युवा उम्मीदवार हैं।

रायपुर क्षेत्र में कांग्रेस-भाजपा के अलावा कोई अन्य तीसरा विकल्प तो कुछ खास नहीं उभर पाया है। लेकिन रजनी रावत को इस क्षेत्र की राजनीति में अचानक से उभरता हुआ एक बड़ा चेहरा जरूर माना जाता है। वे 2017 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर रायपुर सीट से विधायक का चुनाव भी लड़ चुकी हैं और तीसरे स्थान पर रहीं, जबकि 2014 में देहरादून नगर निगम का मेयर का चुनाव रजनी रावत निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ी थीं और कांग्रेस के सूर्यकांत धस्माना जैसे दिग्गज को चुनावी जंग में कड़ी टक्कर देते हुए तीसरे स्थान पर आकर सभी को चौंका दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने रजनी रावत को कांग्रेस पार्टी में शामिल कर उन्हें कांग्रेस की राजनीति की मुख्यधारा में आगे बढ़ाने का काम किया और वादा किया कि मेयर का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर रजनी रावत लड़ेंगी। हालांकि कांग्रेस ने सूर्यकांत धस्माना को ही टिकट दिया जिसके चलते रजनी रावत कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव में खड़ी हुईं। माना जाता हैे कि रजनी रावत के ही कारण कांग्रेस की हार हुई।

2017 में रजनी रावत आम आदमी पार्टी के टिकट पर रायपुर से चुनाव में उतरीं, लेकिन जनता ने रजनी रावत पर ज्यादा भरोसा नहीं जताया और महज 6 हजार मत पाकर वे तीसरे स्थान पर ही रहीं, जबकि कांग्रेेस के प्रत्याशी 22 हजार से भी ज्यादा मत हासिल किए थे। मौजूदा समय में चर्चा है कि रजनी रावत रायुपर सीट से फिर चुनाव में उतर सकती हैं, लेकिन यह भी चर्चाएं हैं कि 2022 के चुनाव में रजनी रावत धर्मपुर सीट से अपनी किस्मत आजमा सकती हैं।

आम आदमी पार्टी रायुपर सीट से तीसरा विकल्प बनने का प्रयास कर रही है। रायुपर से आम आदमी पार्टी की उमा सिसोदिया और पूर्व भाजपा सरकार में दर्जाधारी राज्यमंत्री रहे रविंद्र जुगराण ही दो सबसे बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। दोनों ही नेता 2022 के विधानसभा चुनाव में रायपुर सीट से अपनी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि पार्टी ने अभी किसी भी नेता को उम्मीदवारी के लिए नहीं कहा है, लेकिन आम कार्यकर्ताओं की मानें तो उमा सिसोदिया ओैर जुगराण में से कोई एक आप के उम्मीदवार हो सकते हैं।

आप के टिकट पर चुनाव लड़ने की चाह रखने वालों में सबसे महत्वपूर्ण नाम रविंद्र जुगराण का है। छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में अपना बड़ा स्थान बनाने वाले रविंद्र जुगराण उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के आंदोलनकारियों में अपनी पहचान रखते हैं। कभी कांग्रेस की छात्र राजनीति करने वाले जुगराण भाजपा में शामिल हुए और कई संगठनों में अपनी भूमिका निभाई। स्वभाव से उग्र और बेबाकी से अपनी बात रखने वाले जुगराण पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खण्डूड़ी की सरकार में राज्य आंदोलनकारी परिषद के उपाध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। वे उत्तराखण्ड राज्य के हितों के लिए मुखर होकर अपनी ही सरकार के निर्णयों पर कई बार सवाल खड़े कर चुके हैं जिसके चलते भाजपा में जुगराण को हमेशा से अनदेखा किया जाता रहा है। जुगराण राज्य के युवाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण और सरकारों के भ्रष्टाचार के खिलाफ हाईकोर्ट में कई लड़ाई लड़ चुके हैं। यहां तक कि पूर्व में आयुष छात्रों की फीस वृद्धि के मामले में भाजपा-कांग्रेस के खिलाफ जुगराण छात्रों के साथ आंदोलन में सक्रिय रहे और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ मुख्यमंत्री आवास को घेरने का बड़ा आयोजन तक किया गया। जुगराण कितने महत्वपूर्ण नेता रहे हैं इसका प्रमाण इस बात से ही चल जाता है कि अपनी ही सरकार के खिलाफ राज्य हितों को सर्वोपरि मानते हुए किए गए आंदोलनों के बावजूद भाजपा जुगराण को पार्टी से निकालने का साहस तक नहीं कर पाई।

भाजपा में अपनी अनदेखी और राज्य हितों को लेकर विवाद के चलते रविंद्र जुगराण भाजपा को अलविदा कह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए और आज आम आदमी पार्टी में एक बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। जुगराण को पार्टी रायपुर सीट से उम्मीदवार बना सकती है। जुगराण की सक्रियता से रायपुर सीट पर चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव आ सकता है।

अपने विवादास्पद बयान से अचानक सुर्खियां बटोरने वाली उमा सिसोदिया तेजी से उभरने वाली नेत्री के तौर पर जानी जाती हैं। हैेरानी की बात यह हेै कि देहरादून में आम आदमी पार्टी के तीन-चार वर्षों से झंडा उठाने वाले कार्यकर्ता भी उमा सिसोदिया को हाल ही में उनके बयानों के चलते जानते हैं। आज उमा सिसोदिया आम आदमी पार्टी की एक मुखर नेता के तोैर पर पहचानी जाने लगी हैं। उत्तराखण्ड के मतदाताओं की भूखे कुत्तों से तुलना के बयान के बाद उमा सिसोदिया राजनीति में बेहद चर्चाएं बटोर चुकी हैं। 2022 के चुनाव में रायपुर सीट से उमा सिसोदिया आम आदमी पार्टी की दूसरी दावेदार हैं।

 

 

मुझे कांग्रेस पार्टी ने 2017 के चुनाव में उम्मीदवार बनाया था। तब के राजनीतिक हालात इस कदर थे कि कांग्रेस के परम्परागत मत बिखर गए थे। कई कांग्रेसी कार्यकर्ता काउ के साथ भाजपा में चले गए थे जिस कारण कांग्रेस को जनता का साथ नहीं मिल पाया। लेकिन तब से लेकर अब तक स्थितियों में भारी बदलाव आ चुका है। अब जनता कांग्रेस पर भरोसा जता रही है। मैं पूर्व ब्लॉक प्रमुख रहा हूं और मैं इस क्षेत्र की जनता के साथ हमेशा से जुड़ा रहा हूूं। कांग्रेस पार्टी को इस क्षेत्र से जोड़ने और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में मैंने कई सफल प्रयास किए हैं। मैं 2022 के चुनाव में फिर से अपनी दावेदारी कर रहा हूं।
प्रभुलाल बहुगुणा, कांग्रेस नेता

 

मैं राज्य आंदोलन से जुड़ा रहा हूं। राज्य आंदोलन के दौरान दो बार जेल गया और एक सप्ताह की सजा भी भुगत चुका हूं। मैं कांग्रेस से तीस सालों से जुड़ा रहा हूं। मैं अनेक पदों पर काम कर चुका हूं। कांग्रेस कार्यक्रमों के संयोजक और समन्वयक पद पर कार्य कर चुका हूं। मैंने कांग्रेस के हर प्रदेश अध्यक्ष के साथ काम किया है। चुनाव में टिकट किसे मिलना है या किसे देना है यह तो कांग्रेस पार्टी ही तय करेगी, लेकिन मुझे लगता है कि मेरे पार्टी के लिए किए गए कार्यों और अनुभवों के कारण पार्टी मेरी दावेदारी पर जरूर गौर करेगी।
राजेंद्र शाह, कांग्रेस नेता

 

मैं कांग्रेस पार्टी से वर्षों से जुड़ा हूं। कई पदों पर काम किया है और कई खेल संघों तथा सामाजिक संगठनों से मैं जुड़ा रहा हूं। कांग्रेस के बुरे हालात में कई नेता पार्टी को इसलिए छोड़ गए कि उनको टिकट नहीं मिला, लेकिन मैं कांग्रेस का समर्पित सिपाही रहा हूं। मेरे काम, समर्पण और अनुभव से मैं यह कह सकता हूं कि मुझे भी चुनाव में दावेदारी करनी चाहिए। यह मेरा ही क्या हर कार्यकर्ता का हक है। टिकट किसे दिया जाएगा यह तो पार्टी ही तय करेगी, लेकिन यह पूरी तरह से सच है कि मैं रायुपर विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी का एक दावेदार हूं और मैं निश्चित ही अपनी दावेदारी रखूंगा।
डॉ. आरपी रतूड़ी, कांग्रेस नेता

 

मैं कांग्रेस में छात्र राजनीति से जुड़ा हूं। मैंने रायुपर क्षेत्र में पार्टी के लिए कई कार्यक्रम किए हैं। कोरोना महामारी में कई काम किए जिससे जनता को राहत मिली। कई सामाजिक कार्य किए हैं। क्षेत्र की समस्याओं को लेकर आंदोलन किए हैं और जनता के साथ हमेशा जुड़ा रहा हूं। मैं अपने काम और कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता होने के कारण रायपुर सीट से अपनी दोवदारी कर रहा हूं।
भूपेंद्र नेगी, कांग्रेस नेता

 

मैं जिला पंचायत का चुनाव जीत चुका हूं। रायपुर क्षेत्र हमेशा से ही मेरी राजनीतिक और सामाजिक कर्मभूमि रहा है। पहले यह क्षेत्र डोईवाला विधानसभा सीट का ही हिस्सा था इसलिए मुझे इस क्षेत्र की जानकारी बेहद अच्छी तरह से मालूम है। मैं कांग्रेस पार्टी का पुराना सिपाही हूं और पहले भी चुनाव लड़ चुका हूं। 2022 में मैं कांग्रेस पार्टी से रायपुर सीट के लिए अपनी दावेदारी कर रहा हूं।
एसपी सिंह, कांग्रेस नेता

 

 

पिछली बार कांग्रेस ने जिनको रायपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था वह भारी मतों से हारे हैं। साथ ही वह उम्रदराज हैं। इसलिए हमारे पिछले 33 सालों की जनसेवा को देखते हुए और जनता के साथ जुड़ाव होने तथा युवा चेहरे होने के कारण मुझे विश्वास है कि पार्टी मुझे उम्मीदवार बनाएगी।
सूरत सिंह नेगी, कांग्रेस नेता

 

 

मैं तीस सालों से जनता से सीधा जुड़ा रहा हूं। मैंने राज्य और राज्य के निवासियों के हित के लिए कभी समझौते नहीं किए हैं। अब यह तो पार्टी को देखना है कि उत्तराखण्ड में किसे चुनाव में उतारना चाहिए। रही मेरी बात तो मैं रायपुर सीट से अपनी दावेदारी जरूर करूंगा, पार्टी चुनाव में मौका देती है या नहीं यह मैं नहीं जानता, लेकिन मैं एक दावेदार हूं।
रविंद्र जुगराण, आप नेता

 

 

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