पहले से ही अपनी पार्टी के सांसदों के निशाने पर चल रहे मुख्यमंत्री धामी के लिए गणेश जोशी का आय से अधिक सम्पत्ति का मामला गले की फांस बन चुका है। सियासी गलियारों में इसे धामी की अग्नि परीक्षा कहा जा रहा है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री पर कुमाऊं और गढ़वाल वाद का आरोप लगाने वाले नेताओं ने इस मुद्दे पर शतरंज की बिसात तैयार कर दी है। ऐसे में वे अगर मुख्यमंत्री धामी गणेश जोशी पर आय से अधिक सम्पत्ति मामले में मुकदमा दर्ज कराने की स्वीकृति देते हैं तो पहले से ही ताक में बैठे नेता उनके खिलाफ गढ़वाल के नेताओं को निशाने पर रखने का आरोप लगा सकते हैं तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष उनके जीरो टॉलरेंस के दावे पर सवाल उठाने के लिए तैयार है
‘न्याय क्या होता है यह गीता में भी स्पष्ट है। न्याय धर्मानुसार होना चाहिए और सबके लिए एक होना चाहिए, यही हमारा धर्म भी कहता है। धर्म रक्षक वही होता है जो धर्मानुसार काम करता है। अगर हम वास्तव में चाहते हैं कि धर्म का राज्य हो तो उसके लिए जरूरी है कि हमारा आचरण धर्मानुसार होना चाहिए। भ्रष्टाचार पर हमारी सरकार का जीरो टॉलरेंस का रवैया रहता है। अपना-पराया छोड़कर जो न्याय के रास्ते को अपनाते हैं वही वह धर्म है। इसलिए धर्म का रास्ता हमें अपनाना चाहिए।’
गीता का उक्त ज्ञान और धर्म के रास्ते पर चलने की सलाह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की है। रावत जब पत्रकारों से मुखातिब हो रहे थे तो यह वक्तव्य वह कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के मामले पर दे रहे थे। हालांकि रावत का सीधा इशारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तरफ था। धामी इस समय अपने ही मंत्री गणेश जोशी की विजिलेंस जांच को लेकर धर्म संकट में है।
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के दावे करने वाली धामी सरकार अब अपने ही मंत्री पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर फंस गई है। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में धामी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि विजिलेंस के अनुरोध पर स्पेशल कोर्ट ने धामी कैबिनेट को गणेश जोशी पर मुकदमा चलाने के लिए फैसला लेने का आदेश दिया है। इसके लिए धामी सरकार को 8 अक्टूबर तक का समय दिया गया है। अगर धामी कैबिनेट इसपर कोई फैसला नहीं लेती है तो 19 अक्टूबर को स्पेशल कोर्ट मामले में सुनवाई करते हुए खुद फैसला लेगी। यह मामला विजिलेंस ने 8 जुलाई 2024 को मंत्री परिषद को भेजा था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार तीन महीने की अवधि में स्वीकृति निर्णय लेना आवश्यक है। 19 अक्टूबर को यह अवधि पूरी हो रही है। इसके मद्देनजर ही विजिलेंस कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को तय की है।
पहले से ही अपनी पार्टी के सांसदों के निशाने पर चल रहे मुख्यमंत्री धामी के लिए गणेश जोशी का आय से अधिक सम्पत्ति का मामला गले की फांस बन चुका है। सियासी गलियारों में इसे धामी की अग्नि परीक्षा कहा जा रहा है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री पर कुमाऊं और गढ़वाल वाद का आरोप लगाने वाले नेताओं ने इस मुद्दे पर शतरंज की बिसात तैयार कर दी है। ऐसे में वे अगर गणेश जोशी पर आय से अधिक सम्पत्ति मामले में मुकदमा दर्ज कराने की स्वीकृति देते हैं तो पहले से ही ताक में बैठे नेता उनके खिलाफ गढ़वाल के नेताओं को निशाने पर रखने का आरोप लगा सकते हैं तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष उनके जीरो टॉलरेंस के दावे पर सवाल उठाने के लिए तैयार है।
प्रदेश की बीजेपी सरकार में उद्यान मंत्री गणेश जोशी विवादों और अपने विभागों में अनियमितताओं के चलते अक्सर चर्चाओं में रहते आए हैं। विवादों से उनका पुराना नाता रहा है। जोशी का विवादों का सफर 2016 में शक्तिमान घोड़े की टांग टूटने के साथ शुरू हुआ था जो अब आय से अधिक सम्पत्ति तक पहुंच चुका है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट कहे जाने वाले सैन्य धाम के निर्माण में अनियमितताओं के मामले हों या उद्यान विभाग में घोटाले, वे हर जगह विपक्ष के निशाने पर रहे हैं। उद्यान विभाग में घोटाले को लेकर जब हाईकोर्ट ने सीबीआई की जांच बैठाई तो गणेश जोशी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट चले गए। जहां से उन्हें डांट खाकर वापस आना पड़ा। उस प्रकरण में जांच चल ही रही कि अब आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में उनके ऊपर मंत्री परिषद् और कोर्ट का डंडा चल सकता है। चौंकाने वाली बात यह है कि पूर्व में जो पार्टी संगठन मंत्रियांे और अपने नेताआंे के पक्ष में ढाल बनकर खड़ा हो रहा है वहीं इस बार भाजपा संगठन ने पल्ला झाड़ते हुए सरकार के पाले में गेंद फेंक दी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा है कि ‘कानून अपना काम कर रहा है। जहां तक मंत्री परिषद का सवाल है उस पूरे प्रकरण को सरकार देखेगी। इसमें संगठन का कोई रोल नहीं है।’
वेतन 36 लाख, सम्पत्ति 9 करोड़
आरटीआई कार्यकर्ता एडवोकेट विकेश नेगी ने विजिलेंस को गणेश जोशी की सम्पत्तियों का पूरा विवरण दिया है जिसके अनुसार गणेश जोशी ने विधायक और मंत्री रहते हुए महज 36 लाख का वेतन पाया जबकि उन्होंने 2022 के चुनाव में जो हलफनामा दिया तो उसमें उन्होंने अपनी आय 9 करोड़ बताई है। इस लिहाज से देखें तो जोशी ने आय से कहीं अधिक सम्पत्ति अर्जित की है। गणेश जोशी ने वर्ष 2016 से लेकर 2022 तक कुल 5 करोड़ आठ लाख 89 हजार 510 रुपए की सम्पत्ति खरीदी जो कि उनके ज्ञात आय स्रोतों से कहीं अधिक है। जोशी ने यह सम्पत्ति अपने परिजनों जैसे अपनी पत्नी निर्मला जोशी, पुत्री नेहा जोशी एवं पुत्र मयंक जोशी के नाम से खरीदी। तब उनके पुत्र और पुत्री पूरी तरह से उन पर आश्रित थे।
गणेश जोशी ने अपने करीबी अरुण गुप्ता और चेतना पंत के साथ मिलकर 2011 में 34 लाख 40 रुपए की सम्पत्ति बेची, जिसमें गणेश जोशी का एक तिहाई हिस्सा था। एक भूमि उनकी पत्नी निर्मला जोशी ने पट्टे पर दी जिसमें उनका चौथाई हिस्सा है। 2017 में भी निर्मला ने एक करोड़ 71 लाख 57 हजार की एक भूमि बेची जिसमें उनका चौथाई हिस्सा था। इसी तरह से निर्मला ने एक और जमीन इसी दिन 33 लाख 68 हजार की बेची। इसमें भी उनका चौथाई हिस्सा था।
बताया जा रहा है कि गणेश जोशी के पुत्र मयंक जोशी ने अपनी पत्नी पंखुड़ी शर्मा को 8 मई 2019 को एक जमीन उपहार में दी। जिसका मूल्य 6 लाख 15 हजार दर्शाया गया। ऐसे ही गणेश जोशी ने मयंक जोशी को 2021 में एक सम्पत्ति दान में दी। गणेश जोशी के दामाद सौरभ नांगिया ने 2 करोड़ 76 लाख रुपए बाजारी मूल्य की भूमि अपनी पत्नी नेहा जोशी को दान स्वरूप दी। इसके बाद नेहा जोशी ने यही भूमि अपने भाई मयंक जोशी को दान कर दी। परिवार भीतर दान के इस खेला को मनी लांड्रिंग कहा जा रहा है। यही नहीं बल्कि मयंक जोशी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के ओएसडी धीरेंद्र पंवार के साथ मिलकर सिडकुल की एक भूमि 45 लाख 95 हजार रुपए में पट्टे पर ली है।
2007 के चुनाव में गणेश जोशी ने जो हलफनामा दायर किया था। उसमें कुल 42 लाख की सम्पत्ति दर्शायी थी। उन्होंने 2011 में जो आयकर रिटर्न भरा, उसमें अपनी आय महज तीन लाख 90 हजार 692 रुपए दर्शायी। 2012 के चुनाव में जो हलफनामा दिया गया था उसमें उन्होंने बैंकों में अपनी जमा पूंजी लगभग 13 लाख बताई। एफडी और एनएससी से दस लाख की आय दिखाई। बच्चों की शिक्षा पर ऋण समेत 29 लाख 93 हजार का कर्ज दिखाया। 2012 में चुनाव में गणेश जोशी ने 9 लाख 55009, 2017 में 24 लाख 2 हजार 600 रुपए और 2022 में 29 लाख 99 हजार 222 रुपए का खर्च दर्शाया है। गणेश जोशी को एक विधायक और मंत्री के तौर पर 2007 से 2023 तक कुल 36 लाख 54 हजार रुपए वेतन के तौर पर मिला। जबकि 2022 में चुनाव हलफनामे में उन्होंने नौ करोड़ रुपए की सम्पत्ति बताई है। उनकी सम्पत्ति में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़त कैसे हुई यह सवालों में है।
48 करोड़ का प्रोजेक्ट हुआ 99 करोड़ का
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सैन्य धाम के निर्माण कार्य में भारी अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं। गौरतलब है कि देहरादून के पुरुकुल गांव में सैन्य धाम का निर्माण चल रहा है। सैन्य धाम के निर्माण के लिए अधिकांश धनराशि केंद्र सरकार ने दी है। यह प्रोजेक्ट 8 नवम्बर 2023 तक पूरा किया जाना था, लेकिन पहले इसे इस वर्ष मार्च तक बढ़ा दिया गया और अब इस समय सीमा को बढ़ाकर अक्टूबर तक कर दिया गया है। गत वर्ष 15 जुलाई को सैन्य धाम निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत सीबीआई और पीएमओ को भेजी गई थी जिसमें टेंडर प्रक्रिया और लागत में गड़बड़ी का आरोप लगा जांच की मांग की। प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को पत्र भेजकर मामले की जांच के निर्देश दिए। लेकिन सीबीआई की यह जांच आज तक नहीं हुई।
सैन्य धाम का पहला टेंडर 48 करोड़ का था जिसमें सिर्फ दो कंपनियों ने भाग लिया। टेंडर निरस्त कर दोबारा जारी किया गया और फिर से वही दो कंपनियां शामिल हुईं। दोनों कम्पनियों की बिड एक ही जगह से नोटराइज्ड थी, जिससे साफ है कि टेंडर में ही झोल था। टेंडर 49 करोड़ में शिव कुमार अग्रवाल को मिला और एक करोड़ का कंटीजेंसी एमाउंट माफ कर दिया गया।
सीबीआई के हवाले उद्यान घोटाला
उद्यान मंत्री गणेश जोशी के कार्यकाल में उत्तराखण्ड का चर्चित उद्यान घोटाला वैसे तो कई अनियमितताओं के कारण सुर्खियों में रहा है लेकिन यह मुख्य रूप से 15 लाख पौधों की खरीद से जुड़ा है। आरोप है कि पौध खरीद के नाम पर करीब 70 करोड़ रुपए खर्च किए गए। करोड़ों रुपए के भुगतान में सीधे तौर पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस प्रकरण में शासन की जांच के साथ ही हाईकोर्ट के समक्ष दायर याचिका में घोटाले से सम्बंधित तमाम आरोपों जा चुकी है। हाईकोर्ट ने इस घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए तो प्रदेश की नौकरशाही में हड़कंप मच गया। अल्मोड़ा निवासी आरटीआई कार्यकर्ता दीपक करगेती ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया था। याचिकाओं में कहा गया है कि उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला किया गया है। इसमें फलदार पौधों की खरीद में गड़बड़ियां की गई हैं। हैरतनाक यह है कि उद्यान विभाग ने एक ही दिन में वर्क ऑर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू -कश्मीर से पौधे लाना दर्शाया है। जिसका भुगतान भी कर दिया गया।सबसे बड़ी बात तो ये थी कि जिस कम्पनी से पौधे खरीदवाना दिखाया गया उसे लाइसेंस ही उसी दिन मिला था, जिस दिन खरीद हुई। आरोप है कि मुख्य उद्यान अधिकारी के साथ मिलकर डायरेक्टर ने एक फर्जी आवंटन जम्मू-कश्मीर की नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया। बरकत एग्रो को क्रमांक के बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया। यही नहीं बिना लेखाकार के हस्ताक्षर के ही करोड़ों के बिल ठिकाने लगा दिए गए। शासन के निर्देश पर सीबीसीआईडी को यह जांच सौंपी गई, लेकिन, याचिकाकर्ता इस जांच से संतुष्ट नहीं हुए। तब उन्होंने फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। गत् वर्ष अक्टूबर में हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच को सीबीआई से कराने के आदेश दिए थे। इस मामले में 12 जून 2023 को उद्यान विभाग के डायरेक्टर हरमिंदर सिंह बबेजा को घोटालांे को अंजाम देने के आरोप में सस्पेंड भी किया जा चुका है। बवेजा पर वित्तीय अनियमितताओं के अलावा ये भी आरोप थे कि उन्होंने राज्य में होने वाले फल मसाले सब्जी के महोत्सव के दौरान अपनी फाइलों में जरूरत से ज्यादा खर्च दिखाया था। उद्यान मंत्री गणेश जोशी पर आरोप है कि हरमिंदर सिंह बबेजा उनकी शह पर ही विभाग में घोटालों को अंजाम देते रहे।गणेश का बचकाना बयान
‘‘2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार में मुझे शक्तिमान घोड़ा प्रकरण में फंसाया गया। इसका फायदा यह हुआ कि मेरी बेटी राष्ट्रीय नेता बन गई। जिसमें मैं हरीश रावत का बड़ा योगदान मानता हूं। उस समय मेरी बेटी यानी नेहा जोशी अगर सड़कों पर नहीं उतरती तो उसको आज कोई नहीं पहचानता। कोविड के समय जब मैं राशन बांट रहा था, उस दौरान विपक्ष के नेता यह आरोप लगा रहे थे कि ऑक्सीमीटर कहीं नहीं मिल रहे हैं। आप कहां से बांट रहे हैं? मैंने विपक्ष के नेताओं को कहा कि मैं चोरी करके ला रहा हूं। जिसका फायदा मुझे यह हुआ कि 2022 के विधानसभा चुनाव में मैंने पिछले चुनाव से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की। अब जो मुझ पर आय से अधिक सम्पत्ति का आरोप लग रहा है, उसमें मेरे दामाद और बेटी की सम्पत्ति को जोड़ा गया गया। जबकि वो मुझसे अलग रहते हैं। मेरे दामाद की अच्छी-खासी सैलरी है। यदि मुझ पर आरोप लगाते तो ठीक-ठाक लगाते। मैंने अपनी सम्पत्ति का पूरा विवरण मुख्यमंत्री को दे दिया है, जिसका मुझे बड़ा फायदा होने वाला है।’’