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Uttarakhand

एक ऐसा राज्य जहां IAS कभी रिटायर नहीं होते 

ऐसा नहीं है कि किसी नौकरशाह का पुर्नवास पहली बार राज्य में हुआ है। राज्य बनने के बाद पहली निर्वचित तिवारी सरकार के समय से आरम्भ हुई यह पुर्नवास की परिपाटी मौेजूदा सरकार के समय में भी कम होने की बजाय बढ़ती ही रही है। हर मुख्यमंत्री ने अपने चहेते और खास नौकरशाहों को उनकी मनमाफिक विभागो और पदों पर तैनात करने में कोई कमी नहीं की है। पूर्व में हरीश रावत सरकार के समय में तो आधा दर्जन नौकरशाहों को रिटयरमेंट के बाद फिर से दूसरे पदों पर तेैनात किया गया था। इसमें तो अईएएस के अलावा पीसीएस और प्रदेश के अन्य विभागों के अधिकारी तक रहे है।

हरीश रावत सरकार के समय में तो मुख्य सचिव पद से रिटायर्ड होने के बाद राकेश शर्मा के लिए एक नया पद मुख्य प्रधान सचिव तक बनाया गया जो कि पूरी तरह से नियम के खिलाफ था। लेकिन अपने चहेते अधिकारी को ऐसे पर पर बैठाया गया जो कि मुख्य सचिव के समकक्ष था। एक तरह से हरीश रावत अपने चहेते राकेश शर्मा को राज्य के मुख्य सचिव के पद से बड़े पद पर तेैनात कर के राज्य की शासन व्यवस्था पर अपनी पूरी लगाम रख कर अपनी सरकार और शासन के बीच संतुलन बनाना चहेते थे। अब त्रिवेन्द्र रावत सरकार के समय में भी ऐसा ही किया जा रहा है। एक तरह से मौेजूदा सरकार ने उसी परम्परा का पालन किया है जो उनको विरासत में मिलती रही है।

उत्तराखण्ड में चली आ रही नौकरशाहों के पुर्नवास की परम्परा का पालन वर्तमान सरकार के समय में भी किया जा रहा है। राजीव रौतेला को कुमांयुु कमिश्नर के पद से रिटायर्ड होने के बाद उनको नैनीताल प्रशासनिक अकादमी का निदेशक बना कर सरकार ने साफ कर दिया है कि राज्य में कभी कोई नौकरशाह रिटायर्ड नहीं हो सकता। मजे की बात यह है कि राजीव रौतेला के सेवा निबृति से पूर्व ही उनके पुर्नवास के लिए उनको नये पद पर नैनाती की नियुक्ति तैेयार कर ली गई थी और जैसे ही वे सेवा निवृत हुए उनको सीधे नैनीताल प्रशासनिक अकादमी के निदेशक पर तेैनात भी कर दिया गया है।

हांलाकि, यह तैनाती महज तीन माह के लिए ही की गई है लेकिन सूत्रो की माने तो तीन माह के बाद उनको कार्यकाल बढ़ाया जाना निश्चित है। जबकि शासन स्तर से जो जानकारी छन कर आ रही है उसको सच माना जाए तो अगने दो वर्ष में तकरीबन आधा दर्जन नौकरशाहों जो रिटायर्ड होने वाले है को भी तैनाती दिए जाने के लिए विभागों मे पद खोजे जाने की कवायद शूरू हो चुकी है। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि स्वंय कई नौकरशाह अपने लिये मनमाफिक विभाग और पद को पाने के लिये अपने जूनियर  से चर्चा भी कर चुके है। अगर यह सच है तो यह साफ हो जाता हे कि उत्तराखण्ड प्रदेश में चली आ रही कहावत पूरी तरह से प्रमाणिक हो जाएगी कि आज तक कोई नौकरशाह रिटयर होने के बाद अपने घर मे नहीं बैठा है।

राजीव रौतेला के बारे मे कहा जाता हेै कि वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के सबसे चहेते अधिकारियों में रहे है। इसीके चलते उनको गोरखपुर जिले का डीएम बनाया गया। 2018 में उत्तर प्रदेश में दिमागी बुखार के चलते सैकड़ो बच्चो की मौत होने के बाद प्रदेश सरकार पर गम्भीर लापरवाही बरतने के आरोप लगे जिस पर खासा विाद भी हुआ। एक ही मेडिकल कालेज में एक ही दिन कई बच्चो की मौत होने और आक्सीजन की कमी होने की बड़ी लापरवाही बरतने पर जिला प्रशासन पर गम्भीर सवाल खड़े किये गये। इस विवाद के बाद प्रदेश सरकार ने राजीव रौतेला को डीएम पद से हटा दिया। हालंकि सीएम योगी से निकटता और उनकी प्रशासनिक क्षमता एवं वरिष्ठता के चलते उन्हें गोरखपुर मंडल का कमिश्नर बना दिया गया था |

सूत्रों की माने तो रौतेला को पद से हटाने के बाद मुख्समंत्री येागी आदित्यनाथ की ही सलाह पर राजीव रौतेला ने उत्तराखण्ड में अपनी वापसी की और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने भी येागी की सलाह पर अजय रौतेला को अपना सचिव बनाने के साथ साथ कुमांयु कमिश्नर के पद पर तैनात कर डाला। अब राजीव रौतेला को कुमायं कमिश्नर के पद से सेवा निवृत  होनेके बाद उनको नैनीताल प्रशासनिक अकादमी के निदेशक के पद पर तैनात करने के बाद फिर से नौकरशाही में कई तरह की चर्चाये होने लगी है। माना जा रहा है कि निदेशक पद पर तैेनाती दिये जाने के तार फिर से उत्तर प्रदेश की ओैर ईशारा कर रहे है। राजीव रौतेला 31 मार्च 2019 को रिटायर होना था लेकिन उनके रिटायर होने  के दिन ही उनको नैनीताल प्रशासनिक अकादमी के निदेशक पद पर तेनात करने के आदेश कार्मिक विभाग के द्वारा जारी कर दिया गया। इससे यह तो स्पष्ट हो गया कि सरकार राजीव रौतेला को सेवानिबृत होने के बाद एक भी दिन उनको खाली बैठे नही देखना चाहती थी।

वैसे राजीवे रैतेला के पुर्नवास के बाद ऐसे कई नौकरशाह है जो आने वाले दो वर्षों के बीच रिटायर्ड होने वाले है वे इस से खासे उत्साहित बताए जा रहे है। अब उन सभी नौकरशाहों की भी उम्मीदे परवान चढ़ने वाली है जो अपने रिटयरमेन्ट के बाद अपने पुर्नवास के लिए राजनैतिक आकाओं की परिक्रमा कर रहे थे। रौतेला ने उन सभी की रहो को नया मार्ग दिखा दिया है।

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