त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में नरेंद्र नगर के विधायक सुबोध उनियाल पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाए गए और उन्हें कृषि, कृषि शिक्षा तथा उद्यान विभाग सौंपे गए। 2018 में मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से सभी राज्यों में नई मंडियों की स्थापना का लक्ष्य रखा जिसके चलते मंडियों की स्थापना और कलेक्शन सेंटरां के बनाए जाने की योजना नए सिरे से उत्तराखण्ड में भी आरंभ की गई। टिहरी गढ़वाल जनपद के नरेंद्र नगर में भी करोड़ों की लागत से मंडी भवन का निर्माण किया गया। नरेंद्र नगर का नवनिर्मित यह मंडी भवन चर्चाओं के केंद्र में है। 9 करोड़ की लागत से बनी यह मंडी अभी तक किसानों के काम नहीं आ सकी है। लोग इसे सफेद हाथी का दर्जा दे रहे हैं
उत्तराखण्ड में खेती और प्रौद्योगिकी के विकास के नाम पर कृषि विभाग किस तरह काम करता है इसे नरेंद्र नगर के नवनिर्मित मंडी भवन से समझा जा सकता है। किसानों की उपज के लिए मंडी का सदुपयोग होने की बजाय ये भवन सफेद हाथी साबित हो रहा रहा है जिसका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के समय टिहरी जिले के नरेंद्र नगर में कृषि विभाग द्वारा नौ सौ करोड़ रुपए खर्च करके नई मंडी भवन का निर्माण किया गया है। राजनीतिक हित साधने के लिए मंडी समिति में पदाधिकारियों की तैनाती कर दी गई है। वहीं दूसरी तरफ मंडी में अभी तक एक भी दुकान नहीं खोली गई है। यहां लाखों रुपए खर्च करके ग्रेडिग की मशीनें तक लगाई गई है जिनका ज्यादातर उपयोग फलों के लिए किया जाता है। हैरानी इस बात की है कि इस क्षेत्र में फलों के नाम पर कोई भी ऐसी फसल नहीं उगाई जाती जिसके लिए यह क्षेत्र जाना जाता हो।
नरेंद्र नगर में स्थानीय किसानों की उपज की बिक्री के लिए बनाया गया मंडी भवन किसानों की आय को दोगुना और उनकी फसलों को सही कीमत में लिए जाने के लिए बनाया गया है लेकिन इसका उपयोग सही तरीके से होगा इसमें स्थानीय किसानों और व्यापारियों का संदेह बना हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इस समूचे क्षेत्र में खेती का रकबा अब पहले से बहुत कम रह गया है। नरेंद्र नगर, सल्डोगी, चंल्ड गांव, आगर, खर्क, कसमोली, कखील, बेढ़धार, दियुली, फकोट ताछला और जाजल खड़ी तथा उदखंडा जैसे गांवों में नकदी फसलों की खेती आज भी होतीे है लेकिन पलायन और जंगली जानवरां के चलते ज्यादतर किसान खेती करना छोड़ चुके हैं।
यहां सबसे ज्यादा पैदावार अदरक और अरबी पिंडालू की होती हैं। साथ ही मिर्च आदी की भी खेती होती है जिसका रकबा अब बहुत कम हो गया है। अदरक की खेती के लिए यह क्षेत्र विशेष तौर पर जाना जाता है। इन क्षेत्रों में उच्च श्रेणी का अदरक पैदा होता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर माना जाता है। दो वर्ष पूर्व इस क्षेत्र के किसानों ने दो करोड़ का अदरक बिक्री करके सब को चौंकाया था। जबकि राज्य सरकार की ओर से इस क्षेत्र में अदरक की फसलों के लिए कोई ठोस योजना तक नहीं बनाई जा सकी है। इसके चलते ज्यादातर किसान स्थानीय व्यापारियों और आढ़तियों के अलावा देहरादून ऋषिकेश की मंडियों में इसे बेचने के लिए ले जाते हैं।
आगराखाल में स्थानीय व्यापारियों और किसानों द्वारा एक दशक पूर्व स्थापित मंडी में अन्य फसलों को ही लेकर आते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि ज्यादातर किसानों की फसल 10 से 20 किलोग्राम तक ही होती है जिसे वह अपनी जरूरत के हिसाब से मंडी में लाता है। अब वह इस फसल को ऋशिकेश या देहरादून जैसे नगरों में लेकर जाता है तो उसकी फसल की कीमत से कई गुना भाड़ा ही लग जाता है। इसके चलते सबसे नजदीक मंडी आगराखाल ही उसके लिए सबसे सुलभ होती है।
सरकार से कई बार मांग की जाती रही है कि प्रत्येक दस किमी के क्षेत्र में किसानों की फसलों के लिए एक कलेक्शन सेंटर की स्थापना की जाए। स्थानीय व्यापारी और पूर्व ब्लॉक प्रमुख विरेंद्र सिंह कंडारी बताते हैं कि हमने सरकार से नरेंद्र नगर, दुआधार, फकोट, जाजल, कखील, दियूली क्षेत्रों में एक-एक कलेक्शन सेंटर बनाया जाए जिससे किसानों को अपनी उपज मंडी तक ले जाने के लिए वाहन के किराए से न जूझना पड़े। क्योंकि इस क्षेत्र में बहुत कम फसल होती है। अनुमान लगाया जाए तो पूरे क्षेत्र में औसतन किसान के एक बार में महज एक या दो कुंटल से ज्यादा फसल नहीं होती है लेकिन मंडी तक ले जाने में फसल की आधी कीमत किराए में ही चले जाता है।
पूर्व में तिवारी सरकार के समय इस क्षेत्र में कई कलेक्शन सेंटर बनाए जाने पर सहमति भी बनी थी लेकिन इस पर आगे कोई कार्यवाही नहीं हो पाई। अब करोड़ों की लागत से भव्य मंडी का भवन बनाया गया है जिसका फायदा स्थानीय किसानों को मिलेगा इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता। हालांकि इस मंडी को जिला स्तरीय मंडी के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। स्वयं समिति के सभापति वीर सिंह रावत का कहना है कि यह मंडी पूरे टिहरी जिले के लिए बनाई गई है जिसमें जिले के सभी क्षेत्रों के किसानों की फसलों का क्रय-विक्रय किया जाएगा। यह अपने आप में ही हास्यास्पद दिखाई देता है।
टिहरी जिले में प्रताप नगर और रैंका रमोली क्षेत्र को कालापानी के नाम से जाना जाता है। टिहरी बांध बनने के बाद तो स्थिति और भी दुरूह हो चली है। इस क्षेत्र में आवागमन की बड़ी समस्या बनी हुई है जिसके चलते किसानों को अपनी फसलों को मंडी तक ले जाने में अनेक पापड़ बेलने पड़ते हैं। नरेंद्र नगर, ऋषिकेश या देहरादून नगरों की मंडियों में अपनी फसल को बेचने के लिए भारी वाहन किराया चुकाना पड़ता है। इस कारण वे स्थानीय आढ़तियों या मौसमी फसलों के व्यापारियों को ही अपनी जो भी फसल हो पाती है, को बेचने को मजबूर होते हैं। इसके चलते मंडी से ज्यादा कलेक्शन सेंटरों को खोले जाने की मांग होती रही है। कुछ स्थानों में कलेक्शन सेंटर भी खोले गए हैं। जिसमें अभी तक केवल नागणी में ही कलेक्शन सेंटर बन पाया है लेकिन अभी यह अपना काम नहीं कर रहा है। एक कलेक्शन सेंटर बेरनी गांव में भी खोलने की प्रक्रिया चल रही है जो कि फाइलों और भूमि के मामलों में अटकी पड़ी है।
नवंबर 2021 में जब नरेंद्र नगर में मंडी भवन का निर्माण चल रहा था उसी समय विधानसभा चुनाव के चलते इस मंडी समिति में पदाधिकारियों को तैनात कर तत्कालीन कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की। वर्तमान मंडी सभापति वीर सिंह रावत सुबोध उनियाल के कांग्रेस में रहते हुए सबसे खास नेता रहे हैं। वह उनियाल के साथ ही कांग्रेस से भाजपा में आ गए और उनके लिए राजनीतिक जमीन मजबूत करने का काम करने लगे।
हैरानी इस बात की है कि नवंबर 2021 में जहां मंडी भवन और मंडी परिसर का निर्माण चल ही रहा था तब विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां आरंभ हो गई और सुबोध उनियाल द्वारा अपने खास वीर सिंह रावत को मंडी समिति का सभापति नियुक्त कर दिया गया। पिछले वर्ष दिसंबर माह में नरेंद्र नगर मंडी में दुकानां की निलामी की कार्यवाही की गई है। जहां कुछ दुकानों का आंवटन हो चुका है। माना जा रहा है कि जल्द ही मंडी में काम शुरू हो जाएगा।
बात अपनी-अपनी
मंडी के संचालन के लिए कमेटी की बैठक और दुकानों का आंवटन हो गया है। कुछ दुकानें स्थानीय तथा कुछ बाहर के लोगों को भी आवंटित की गई हैं। देरी का कारण यह रहा है कि प्रक्रिया में ही देरी हुई हैं। लाइसेंस की प्रक्रिया में ही बहुत टाइम हो गया लेकिन अब सब ठीक हो गया है और जल्द ही मंडी में काम शुरू हो जाएगा। यह मंडी केवल नरेंद्र नगर के लिए ही नहीं है, यह जिला स्तर की मंडी है। कुछ कलेक्शन सेंटर भी बनाए जा रहे हैं। नागणी का कलेक्शन सेंटरों बन गया है और बेरनी गजा में काम चल रहा है, जल्द ही दोनो सेंटरों का निर्माण शुरू हो जाएगा।
वीर सिंह रावत, सभापति कृषि उत्पादन मंडी समिति नरेंद्र नगर
इस क्षेत्र में खेती ही खत्म हो रही है। फसलों की पैदावर बहुत कम हो रही है। अदरक की खेती भी अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है। आगराखाल में पहले से ही एक मंडी चल रही है तो नई मंडी की बजाय कलेक्शन सेंटर बनाए जाने थे। 9 करोड़ रुपए खर्च करके मंडी बनाई गई है जिसमें एक साल तक दुकानें ही नहीं खुली। अब दुकानों का आंवटन हुआ बताया जा रहा है लेकिन इसमें काम हो पाएगा यह कहा नहीं जा सकता। सरकारी पैसे का दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं है।
विरेंद्र सिंह कंडारी, स्थानीय व्यापारी