उत्तराखंड के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ शैलजा भट्ट के मुताबिक चार धाम यात्रा मार्ग पर अब तक 39 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। मृत्यु का कारण उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी समस्याएं रही है। चिकित्सकीय रूप से अयोग्य (अनफिट) तीर्थयात्रियों को यात्रा न करने की सलाह दी जा रही है। यात्रा शुरू होने के दो हफ्ते के भीतर ही 39 लोगों की मौत पर सरकार की चिकित्सा व्यवस्था सवालों के घेरे में है। चार धाम मौत मामले में चौकाने वाली बात यह है कि इनमें ज्यादातर वह लोग हैं जो पहले कोरोना से बीमार हो चुके थे।
फिलहाल ,ऊंचाई वाली जगहों पर यात्रियों की मौत को देखते हुए प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए एहतियात बढ़ा दी है। हेल्थ अनफिट लोगो को वापिस भेजा जा रहा है। इस मामले में वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. प्रवीण पंवार बताते हैं कि कोरोना से जिनके फेफड़ों में ज्यादा संक्रमण हुआ था उन्हें ही सबसे ज्यादा ऊंचाई वाली जगहों में परेशानी आती है। उन्हें गंभीर संक्रमण की स्थिति में फेफड़े सख्त हो जाते हैं। उनके फेफड़े फूलने की क्षमता कम हो जाती है।
ऐसे में मैदान से आया व्यक्ति तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ पर चढ़ते हुए सांस लेने की कोशिश कर रहा होता है तो फेफड़े ठीक से फूल नहीं पाते। इससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। जिसके बाद अधिकतर लोग काल के गाल में समा जाते है। मतलब यह है कि गंभीर संक्रमण से जूझ चुके मरीज भले ही ठीक हो गए हों, लेकिन कई मामलों में अभी भी उनके फेफड़े पूरी तरह से काम करने को तैयार नहीं हो पाए हैं। चारों धामों में हार्ट अटैक और दिल संबंधी बीमारियों से मौत के बढ़ते मामलों पर प्रशासन पूरी तरह चौकस हो गया है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम पैदल मार्ग सहित वाहनों में भी तीर्थ यात्रियों की स्क्रीनिंग कर रही है। 55 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी तीर्थ यात्रियों का मेडिकल चैकअप किए बिना यात्रा पर ना जाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो यात्री मेडिकल में अनफिट पाए जा रहे हैं उन्हें वापिस भेजा जा रहा है। दोनों धामों से अब तक 28 तीर्थयात्री वापस भेजे जा चुके हैं।
गौरतलब है कि इस वर्ष तीन मई को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा शुरू हुई है । जबकि, छह मई को केदारनाथ और आठ मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जा चुके है । देखे तो अभी तक यात्रा को शुरू हुए एक पखवाड़ा भी नहीं बीता है। इस अवधि के दौरान चारधाम यात्रा के इतिहास में सर्वाधिक तीर्थयात्री दर्शनों को पहुंच चुके हैं। वर्ष 2013 की आपदा के बाद 2014 और 15 में चारधाम यात्रा गति नहीं पकड़ पाई थी। लेकिन 2016 से 2019 तक चारधाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है । कोरोना महामारी के चलते 2020 में यात्रा पूरी तरह से बंद रही। जबकि 2021 में कोरोना का असर कम होने के बाद आखिरी दो माह सितंबर-अक्टूबर में ही यात्रा शुरू हो पाई थी।