[gtranslate]
 
पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद प्रकरण के चलते धर्म नगरी हरिद्वार के उन बाबाओं में हड़कंप मचा हुआ है जो सुंदरियों के मोहजाल में फंसकर पहले भी सुर्खियों में रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं उनके गडे़ हुए मुर्दे भी न उखड़ जाएं। दरअसल, धर्म नगरी में संतों की ऐसी लंबी फेहरिस्त है जो चोला तो भगवा धारण करते हैं, लेकिन मोह-माया के जाल से बाहर नहीं निकल पाए। मोह-माया में फंसे ये बाबा अक्सर भू-माफियाओं के चंगुल में भी आते रहे हैं। भू-माफियाओं ने इन्हें फंसाने के लिए सुंदरियों का इस्तेमाल किया और फिर ब्लैकमेल कर उनके आश्रमों की बेशकीमती संपति हड़प डाली। इस संपत्ति पर अपार्टमेंट बनाकर उन्होंने करोड़ों रुपए की कमाई की
मोह-माया त्यागकर संन्यासी मार्ग अपनाने वाले साधु-संत ही मोह-माया में जकड़े हुए हैं। धर्मनगरी हरिद्वार में कुछ ऐसे ही संतों को लेकर इन दिनों चर्चाओं का बाजार गर्म है। संतों के खिलाफ अवैध कब्जा करने, हत्या, अपहरण और बलात्कार जैसे गंभीर आरोप सामने आने से संतई पर ही प्रश्न चिन्ह लगने लगे हैं। भले ही ताजा मामला परमार्थ आश्रम हरिद्वार के संचालक पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद का चर्चाओं में है। लेकिन चिन्मयानंद जैसे बाबाओं की हरिद्वार में एक ऐसी लंबी फेहरिस्त है, जिन्होंने भगवा चोला पहन सनातन धर्म की मर्यादाओं से खिलवाड़ किया है। जिन अखाड़ों से ये आरोपी संत जुड़े रहे उन अखाड़ों की प्रतिष्ठा भी इन्होंने प्रभावित की है। कुछ संतों के महिलाओं के मोहपाश में फंसने के चलते उनसे संबंधित आश्रमों और अखाड़ों की अरबों रुपए की संपत्ति अब तक खुर्द-बुर्द की जा चुकी है।
धर्म नगरी में हालात इस कदर खराब हैं कि भू-माफिया अखाड़ों की संपत्ति हड़पने के लिए सुंदरियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे पहले तो संतों को सुंदरियों के मोह जाल में फांसते हैं और फिर उन्हें ब्लैकमेल करते हुए उनसे मनचाही जमीनंे अपने नाम करा ली जाती हैं। फिर उन जमीनों पर अपार्टमेंट बनाकर उनको महंगी दरों में बेचकर अरबों रुपये के वारे-न्यारे कर लिये जाते हैं। जो संत ऐसे भू-माफियाओं के जाल में नहीं फंसता उसकी हत्या तक करा दी जाती है। कुछ वर्ष पूर्व महंत सुधीर गिरि हत्याकांड इसका ज्वलंत उदाहरण है। यही नहीं अग्नि अखाड़े से जुड़े महामंडलेश्वर रसानंद महाराज की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत भी इसी का नतीजा मानी जाती है। रसानंद द्वारा अपने पीछे छोड़ी गई अरबों रुपये की संपत्ति को लेकर कनखल में सक्रिय इन्हीं भू-माफियाओं और अपने आपको रसानंद ब्रह्मचारी की पत्नी एवं उनके बच्चे की मां बताने वाली एक महिला तेजिंदर कौर के बीच चल रहा विवाद जगजाहिर है। तेजेंद्र कौर भू-माफियाओं के खिलाफ अपनी लड़ाई को न्यायालय तक ले जा चुकी है।
इस समय देश-दुनिया की सुर्खियों में बने हुए स्वामी चिन्मयानंद पर पूर्व में भी उनकी एक शिष्या द्वारा गंभीर आरोप लगाये गये थे। उस समय साध्वी चिदर्पिता ने चिन्मयानंद पर काफी गंभीर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी, परंतु बताया जाता है कि अपनी ऊंची पहुंच और पकड़ के बल पर चिन्मयानंद उस समय कानून के शिकंजे से बच निकलने में सफल रहे। लेकिन अब कानून की छात्रा द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप से साफ नजर आने लगा है कि इस बार चिन्मयानंद का बच निकलना कठिन है। जिस प्रकार चिन्मयानंद के प्रतिदिन नए-नए वीडियो सामने आ रहे हैं, उसे देखते हुए धर्मनगरी हरिद्वार में कुछ अय्याश और महिलाओं के मोहजाल में जकड़े संतांे को लेकर चर्चाओं का बाजार काफी गर्म हो चला है। देवभूमि में अय्याश बाबाओं की कमी नहीं है। अतीत में उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो 2013 में पिथौरागढ़ में आश्रम संचालित करने वाले बाबा दिगंबर गिरी महाराज को एक महिला के साथ बलात्कार कर उसका एमएमएस बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। निरंजनी अखाड़े से जुड़े एक प्रमुख संत जो आजकल लापता हैं, या फिर उनको सिर्फ इसीलिए कुछ बाबाओं द्वारा नजरबंद किए जाने की अफवाहें हैं कि महिलाओं से संबंध रखने के चलते ही ये प्रमुख संत अखाड़े की सम्पत्ति सहित अखाड़े से जुड़े स्कूल, काॅलेज की संपत्ति और धन को बर्बाद कर चुके हैं। अखाड़े की संपत्ति बचाने के लिए ही उनके उत्तराधिकारी द्वारा इस प्रमुख संत को नजरबंद किए जाने की चर्चा धर्मनगरी में आम है। इन्हीं संत के बारे में बताया जाता है कि एक बार वे अपनी एक परिचित महिला से मिलने उसके घर जा पहंुचे। उसी दौरान किसी व्यक्ति द्वारा मोहल्ले वालों को एकत्र कर महिला के घर पर धावा बोल दिया गया। तब संत अपनी जान बचाने के लिए दीवार फांदकर भागने का प्रयास कर रहे थे तो उसी दौरान उनकी लुंगी दीवार पर लगी नुकीली एंगल में जा फंसी। तब यह अय्याश बाबा लुंगी वहीं छोड़ अण्डर वियर में मौके से फरार हुआ था।
अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता तथा बड़ा उदासीन अखाड़े से जुड़े मोहनदास कोठारी महाराज की रहस्मय गुमशुदगी आज भी रहस्य बनी हुई है। मोहनदास कोठारी के बारे में कहा जाता है कि उनको किसी व्यक्ति द्वारा गायब नहीं किया गया, बल्कि वह जब गायब हुए तो उस समय उनके पास मोटी धनराशि सहित लाखों रुपये के जेवर थे। जब मोहनदास कोठारी लापता हुए तो उस समय उनकी गुमशुदगी को लेकर कनखल के एक भू-माफिया पर भी जांच एजेंसियों की सुई टिकी थी। लेकिन जांच के दौरान एक महिला का नाम सामने आने से मोहनदास की बरामदगी की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी देने वाली अखाड़ा परिषद और उदासीन अखाड़े से जुड़े संत चुप्पी साधकर बैठ गये। यही नहीं मोहनदास की गुमशुदगी को लेकर एसआईटी गठित करने का दावा करने वाले कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक भी बाद में आश्चर्यजनक रूप से मौन धारण कर गये। जिस समय मोहनदास कोठारी लापता हुए उस समय राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अखाड़े में पहंुचकर मोहनदास की बरामदगी के संबंध में लंबे-चैड़े दावे किए थे। यह दावे भी हकीकत सामने आने पर हवा में उड़ गए। धर्मनगरी के अग्नि अखाड़े से जुड़े महामण्डलेश्वर रसानन्द ब्रह्मचारी की उज्जैन कंुभ के दौरान रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत को भी महिला और संपत्ति से जोड़कर देखा जाता है। रसानंद ब्रह्मचारी की मौत के बाद अरबों रुपए की संपत्ति को लेकर काली मंदिर के अधिष्ठाता कैलाशानंद ब्रह्मचारी को अग्नि अखाड़े द्वारा उनका उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। कैलाशानन्द के उत्तराधिकारी घोषित होने के बाद एक महिला अपने आपको रसानन्द ब्रह्मचारी की पत्नी और उनके बच्चे की मां होने का दावा करते हुए एक वसीयत के साथ सामने आई। रसानंद ब्रह्मचारी की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत के बाद उनकी सम्पत्ति को ठिकाने लगाने को लेकर कनखल का वही चर्चित भू-माफिया सक्रिय हुआ जो कनखल में स्थित आश्रम, अखाड़ों एवं अन्य धार्मिक संपत्तियों को औने-पौने दाम में खरीद कर ठिकाने लगाने के लिए प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि जब एक अखाड़े से जुड़े महंत सुधीर गिरि महाराज ने इस चर्चित भू-माफिया के अनुसार काम नहीं किया तो सुधीर गिरि महाराज को मौत की नींद सुला दिया गया। वर्तमान में दिवगंत रसानंद ब्रह्मचारी महाराज की पत्नी होने का दावा करने वाली तेजेंद्र कौर और इस चर्चित भू-माफिया के बीच रसानंद ब्रह्मचारी द्वारा छोड़ी गई करोड़ों रुपए की संपत्ति को लेकर विवाद पुलिस की चैखट से लेकर न्यायालय के दर पर जा पहुंचा है।
चिन्मयानंद प्रकरण के बाद धर्मनगरी में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार कनखल के एक अखाड़े से जुड़े एक दिवगंत संत को लेकर कहा जाता है कि कनखल में सक्रिय इस भू-माफिया के परिवार से जुड़ी एक महिला कभी दिवगंत संत के सम्पर्क में थी। उसके मोहपाश में जकड़े दिवगंत संत ने उसी समय अखाड़े की सम्पत्ति को ठिकाने लगाने का कार्य शुरू कर दिया था। जो आज भी बदस्तूर जारी है। आलम यह है कि कनखल दक्ष नगरी जिसको शिव की ससुराल तक कहा गया है, वह नगरी आज धार्मिक संपत्तियों सहित अखाड़े, आश्रमों की संपत्ति को ठिकाने लगाने में अवल्ल नजर आती है। हरियाणा से जुड़े इसी अखाड़े के एक संत ने भी अखाड़े में सचिव के पद पर रहते हुए अखाड़े की संपत्ति को कनखल के इसी चर्चित भू-माफिया गिरोह के हाथों ठिकाने लगाने में प्रमुख भूमिका निभाई। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार संुदरियों को कुछ संतों की कमजोरी जानकर कनखल के इसी चर्चित भू-माफिया द्वारा एक से एक खूबसूरत महिलाओं को उनके सम्मुख पेशकर अरबों रुपए की संपत्ति अब तक ठिकाने लगाई जा चुकी है।
सनातन धर्म की मान्यताओं के विरुद्ध कुछ लोग भगवा चोला पहनकर संत समाज पर आंच लगा रहे हैं। पूर्व में अपने आपको योग का मसीहा बताने वाले एक बाबा की कारगुजारी को लेकर दिल्ली निवासी एक महिला ने काफी गंभीर आरोप लगाये थे। बताया जाता है कि महिला के आरोप से बचने के लिए योग से जुड़े बाबा द्वारा ऋषिकेश में गंगा के किनारे जमीन खरीदकर उस महिला को आश्रम बनाकर भी दिया गया था। उसके बाद बाबा की पहंुच के सामने महिला की आवाज नक्कारखाने में तूती साबित हो गई। यह योगी बाबा भी आजकल भोग विलास का जीवन व्यतीत कर रहा है। लंबी एसी गाड़ियों में घूमना, एसी कमरे में रहना, सुरक्षा कर्मियों की लंबी-चैड़ी फौज रखना इसी बाबा का नहीं अधिसंख्य बाबाओं को जैसे शगल बन गया है। मायदे से उन्हें मोह-माया से दूरी बनानी थी, लेकिन ठीक इसके उलट मोह और माया के बिना इन बाबाओं का जीवन तो जैसे नीरस ही नजर आता है। स्वामी चिन्मयानंद पर कानून की छात्रा द्वारा गंभीर आरोप लगाये गये हैं, परंतु संत हैं कि इससे सबक लेने को तैयार नहीं हैं। बताया जाता है कि ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला स्थित एक आश्रम के स्वामी द्वारा बकायदा लंगोट बांधकर विदेशी युवतियों से मालिश कराई जाती है। एहतियात बरते हुए स्वामी द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि उनके खास कमरे में मालिश वाले स्थान पर किसी भी सूरत में मोबाइल अथवा कैमरा न पहंुच पाए। स्वामी को डर है कि कहीं कोई उनका भी भांडा न फोड़ दे। अपनी वाकपटुता के बल पर सत्ता की आंख का तारा बना यह संत भी सबक लेने को तैयार नहीं है। इस स्वामी के आश्रम में विदेशी युवतियों की हर समय लम्बी चैड़ी फौज बनी रहती है जो पूरी कहानी बयां करने के लिए काफी है।
अय्याशी के जाल में जकड़े संतों का यह हाल तब है जब दो वर्ष पूर्व अखाड़ा परिषद ने एक दर्जन से अधिक फर्जी बाबाओं को चिन्हित करते हुए उनका बहिष्कार किए जाने का फैसला किया था। यही नहीं निरंजनी अखाड़े से जुड़े महामंडलेश्वर सचिदानंद महाराज को अखाड़ा परिषद बर्खास्त भी कर चुकी है।
दो सप्ताह पूर्व श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े से जुड़े मायापुर निवासी संत दिग्बर राज गिरी ने कनखल थाने में मुकदमा दर्ज कराते हुए एक महिला काजल पुरी और उसके रिश्तेदारों पर निरंजनी अखाड़े के सचिव और मंशा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी के खिलाफ षड्यंत्र कर उन्हें फंसाने का आरोप लगाया था। बीते सोमवार को भले ही हरिद्वार पुलिस काजल पुरी और उसके पिता को गिरफ्तार कर चुकी हो, परंतु इस प्रकरण में भी कहानी कुछ और ही नजर आती है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि गिरफ्तार महिला काजल अरोड़ा अपने आपको किस आधार पर वर्षों से काजल पुरी लिखती रही? सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार गिरफ्तार महिला एक प्रमुख संत द्वारा उसके साथ शादी कर शारीरिक संबंध स्थापित करने को लेकर दावा जता रही थी। जिससे चांैकन्ने हुए प्रमुख संत ने ही महिला को फंसा दिया। हाल ही में सामने आये एक प्रकरण के अनुसार लंदन निवासी एक महिला ने एक अन्य महिला और उसके पुत्र पर सप्तऋषि स्थित एक आश्रम को वसीयत के आधार पर बेचने के आरोप में हरिद्वार कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया। उसने बताया कि वह नवज्योति आश्रम सप्तऋशि के परमाध्यक्ष स्वामी पंचदेवानंद से 28 वर्षों से जुुड़ी हुई थी। आश्रम में आस्था रखनेे और आश्रम के लिए सुविधाएं जुटाने का दावा करते हुए मीनाक्षी ने बताया कि आश्रम की देखभाल करने के लिए रखी गई नेपाल निवासी सुषमा और उसके बेटे ने स्वामी पंचदेवानंद के ब्रह्मलीन होने के पश्चात उनकी फर्जी वसीयत के आधार पर आश्रम को एक करोड़ रुपये में हरीवल्लभ शास्त्री को बेच दिया। कनखल में गंगा किनारे स्थित पायलट बाबा के आश्रम में भी बड़ी संख्या में विदेशी युवतियों का आना-जाना लगा चर्चा का विषय रहा है।
कुछ समय पूर्व समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता शिवपाल सिंह यादव के करीबी काली मंदिर के अधिष्ठाता कैलाशानंद ब्रह्मचारी पर भी दिल्ली में आरोप लग चुके हैं।
बात अपनी-अपनी
एक साधु पर आरोप अगर सही निकलते हैं तो वह गलत है। साधु-संतों की कुछ मर्यादा होती है। साधु को मर्यादा में रहना चाहिए।
महंत प्रेमदास कोठारी, उदासीन अखाड़ा
जब साधु ही धर्म का परित्याग कर आडंबर करता है तो वह गलत है। संन्यासी त्याग का प्रतिरूप है। यदि वह अपनी भावनाओं, इंद्रियों एवं आकांक्षाओं का त्याग नहीं करेगा तो यही होगा। वह तो राजनेता भी हैं और साधु भी।
स्वामी शिवानन्द महाराज, परमाध्यक्ष मातृसदन 
यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं  है। जानकारी  करने के बाद ही इस संबंध में कुछ कह पाऊंगा।
हरी गिरी महाराज, महामंत्री अखाड़ा परिषद 
नो कमेंट, इस मामले में मैं कुछ नहीं कहूंगा।
जगद्गुरु राजराजेश्वरानंद महाराज
मोहनदास कोठारी के लापता होने का प्रकरण मुझ से पूर्व का है। इस संबंध में मुझे सही जानकारी नहीं है। जानकारी के उपरान्त ही कुछ बता सकता हूं।
सेंथिल अबुदई, एसएसपी हरिद्वार

You may also like

MERA DDDD DDD DD