‘जब बाड़ ही खेत को खाए तो कौन बचाए।’ पौड़ी जिला पंचायत में इसी तर्ज पर अधिकारियों ने भ्रष्टाचार का खेल जमकर खेला। अधिकारियों ने अपने परिजनों को इस खेल में गोता लगाने की पूरी छूट दी। उनके नाम से बनी फर्म को करोड़ों के काम दिए। यह काम जमीन पर कम कागजों में ज्यादा हुए। यह खेल उस समय शुरू हुआ जब तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत अध्यक्ष थी। तब से लेकर अब तक 70 करोड़ से अधिक का भ्रष्टाचार हो चुका है। विजिलेंस जांच भी चल रही है। एक साल पहले ही कमिश्नर की जांच रिपोर्ट में करोड़ों का भ्रष्टाचार उजागर हो जाने के बाद भी कार्रवाई न होने से सरकार पर सवालिया निशान लग रहे हैं
उत्तराखण्ड में पुष्कर सिंह धामी सरकार जीरो टॉलरेंस का दावा कर रही है। साथ ही कहा जा रहा है कि डबल इंजन की सरकार में प्रदेश में विकास कार्य हुए हैं। लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जिला पंचायत पौड़ी के कारनामों को देखें तो यहां धामी सरकार जीरो टॉलरेंस के मामले में पिछड़ती हुई नजर आ रही है। पौड़ी जिले का विकास कार्यों का सबसे बड़ा सदन जिला पंचायत इस कदर भ्रष्टाचार में डूबा है कि वह करप्शन का सेंटर बन गया है। पिछले कई सालों से पौड़ी जिला पंचायत के भ्रष्टाचार मामलों को सूचना अधिकार अधिनियम के तहत बाहर लाकर उजागर किया जा रहा है। जिसमें स्थानीय निवासी करन रावत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रावत की ही आरटीआई पर पौड़ी जिला पंचायत में कई घोटाले सामने आ चुके हैं जिनकी एसआईटी और विजिलेंस जांच कर रही है। 2 साल पहले गढ़वाल के कमिश्नर रविनाथ रमन द्वारा भी जांच
बैठाई गई। 3 सदस्यीय जांच का परिणाम एक साल पहले ही सामने आया है जिसमें करोड़ों रुपए के घोटाले की पुष्टि के साथ ही जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी संतोष खेतवाल और उनके सहायक अधिकारियों को दोषी करार दिया गया है। तत्कालीन कमिश्नर रविनाथ रमण द्वारा इस जांच रिपोर्ट को 16 अगस्त 2021 को पंचायतीराज सचिव के पास कार्यवाही हेतु भेज दिया था। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी करोड़ों के इस करप्शन मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई। फिलहाल प्रदेश की धामी सरकार पर सबकी नजर है कि वह जांच रिपोर्ट में आ चुके भ्रष्टाचार के मामले में कब कार्रवाई करती है। पौड़ी जिला पंचायत में घोटाले की शुरुआत 2016 में उस समय हुई जब मैसर्स बुटोला इंटरप्राइजेज का रजिस्ट्रेशन पौड़ी में करवाया गया। यह फर्म जिला पंचायत पौड़ी की उपाध्यक्ष रचना बुटोला के पति प्रवीण बुटोला के नाम से है। मैसर्स बुटोला इंटरप्राइजेज में कनिष्ठ अभियंता सुदर्शन सिंह रावत ने अपनी पत्नी अपर्णा रावत और कनिष्ठ अभियंता आलोक रावत ने अपनी पत्नी अंजू रावत को 23-23 प्रतिशत का भागीदार बनाया हुआ है। इसके बाद जिला पंचायत पौड़ी में भ्रष्टाचार का खेल खेला गया। अधिकारियों ने अपनी पत्नियों के नाम इस फर्म को एक ही वर्ष में लगभग 5 करोड़ के कार्य दे दिए। चौंकाने वाली बात यह रही कि जिन अखबारों में विकास कार्यों की निविदा आमंत्रित की गई वह सर्वाधिक प्रकाशित अखबारों की बजाए ई-पेपर, उत्तर भारत में तथा राष्ट्रीय सहारा के लखनऊ एडिशन में प्रकाशित कराए गए।
30 लाख से ज्यादा रुपए कोटद्वार के भवन में लगाए गए। एक ही निर्माण कार्य को तीन-तीन बार दिखाया गया। यही नहीं बल्कि जिला पंचायत पौड़ी में कार्यरत कनिष्ठ अभियंता आलोक रावत ने अपनी पत्नी को मैसर्स बुटोला इंटरप्राइजेज में पार्टनर बनाने के बाद अपने सगे भाई अखिलेश रावत जो कि पौड़ी जनपद के स्कूल में संविदाकर्मी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे, को नियम विरुद्ध ठेकेदारी का रजिस्ट्रेशन करा कर जिला पंचायत में फर्जी तरीके से 70 लाख से ज्यादा का भुगतान करवा दिया गया। याद रहे कि किसी भी निर्माण विभाग में कार्यरत कर्मचारी का रक्त संबंधी उसी विभाग में ठेकेदारी नहीं कर सकता है। अभी कुछ समय पहले ही जल निगम में कार्यरत अभियंता का निलंबन भी ऐसे ही एक प्रकरण को लेकर हुआ था। जिसमें उक्त अभियंता ने अपने पुत्र को जल निगम में ठेका दिलवाया था। जिला पंचायत पौड़ी में कार्यरत कनिष्ठ अभियंता सुदर्शन सिंह रावत (अतिरिक्त प्रभार अभियंता) एवं आलोक रावत के द्वारा 10 लाख के संपर्क मार्गों में मैकेनिकल मींस (मशीनों के द्वारा सड़क निर्माण) की बजाय मैन्युअल मींस (हाथों से सड़क निर्माण) के आधार पर भुगतान किया गया। सभी 10 लाख के संपर्क मार्गों में अधिकतर ऐसे ही भुगतान किया गया। इससे जिला पंचायत पौड़ी को राजस्व का काफी नुकसान उठाना पड़ा। जिला पंचायत पौड़ी को प्रत्येक 10 लाख के सड़क संपर्क मार्ग में करीब चार लाख का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा।
जिला पंचायत पौड़ी में एक ही योजना का नाम बदलकर एक ही कार्य को तीन-तीन बार दिखाया गया। लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड के समीप जिला पंचायत पौड़ी अपने कर्मचारियों के टाइप 3 आवासों का निर्माण करवा रही है। जिसमें बाद में नाम परिवर्तित करके मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय की ओर प्रथम भाग का नाम दिया गया। उक्त भवन के निर्माण के लिए 10-10 लाख के 8 टेंडर लगाए गए। जिसमें घोटाला हुआ।
कलजी खाल ब्लॉक का सकनी बड़ी नामक गांव घोटाले की वजह से चर्चाओं में रहा। यहां मातृशक्ति ने बिना किसी सरकारी मदद से श्रमदान करके सकनी बड़ी-सकनी छोटी-मेथाना तक सड़क मार्ग निर्माण कराया। जिसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केसर सिंह नेगी ने किया था। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि इसी संपर्क मार्ग के नाम पर 60 लाख से ज्यादा की निधि का गबन जिला पंचायत के द्वारा किया गया। इस सड़क मार्ग को जिला पंचायत निधि का दिखाया गया, जबकि वह महिलाओं द्वारा श्रमदान से किया गया था।
सोलर लाइट के टेंडर में भी करोड़ों का घोटाला हुआ। सोलर लाइट के टेंडर में बिना किसी की संस्तुति के सोलर लाइट फर्म से सीधे लेने की बजाय ठेकेदारों से लाइट लगवाई गई। जिन लाइट की कीमत 11000 के करीब थी वही लाइट 19600 से ज्यादा में लगाई गई। एक ही हेड राइटिंग में सारी टेंडर भरें गये। सभी टेंडर 50 से 70 प्रतिशत तक डाउन किए गए। इसके अलावा 10-10 लाख के तीन टेंडर ब्लॉक खिरसू के चंडी गांव में एक गूल निर्माण मरम्मत के लिए लगाए गए। जबकि यह कार्य सिंचाई विभाग का है जिला पंचायत गूल का काम ही नहीं करती। इसके बावजूद टेंडर लगाया गया। हद तो तब हो गई जब पता चला कि बिना काम किए ही अगस्त 2019 में इसका पूर्ण भुगतान भी हो गया।
जिला पंचायत द्वारा 10 लाख के संपर्क मार्ग बिना टीएस एवं सर्वे के माप पुस्तिका में ही बना दिए गए। कई संपर्क मार्ग एक ही गांव में टेंडर प्रक्रिया से बचने के लिए 3-3 लाख की मस्टर रोल में दिखाकर पैसा हजम कर लिया गया जबकि कई योजनाओं को दो-दो ब्लॉक में दिखाकर पैसा हड़पा गया। यही नहीं बल्कि एक ही कार्य का नाम बदल कर दो बार भुगतान किए गए। शासनादेश के अनुसार 25 लाख से ज्यादा के टेंडरों के लिए ई-टेंडर की बाध्यता है। लेकिन जिला पंचायत पौड़ी में भ्रष्टाचार इतना व्यापक है कि यह शासनादेश को भी नहीं माना जाता। गरुड़ चट्टी का व्यवस्थान शुल्क कैरियर है जिसकी निविदा न्यूनतम 1 करोड़ 20 लाख से शुरू होनी थी और इसका ई-टेंडर भी होना चाहिए था। लेकिन इसका ई-टेंडर नहीं कराया गया बल्कि टेंडर लखनऊ से छपने वाले राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित कराकर अपने ठेकेदारों के नाम पर 3 साल के लिए इसका आवंटन करा लिया गया। यह आवंटन भी फर्जी हैसियत के आधार पर बनाया गया। किसी भी निर्माण कार्य के लिए किए गए कार्य की लागत माप पुस्तिका (एमबी) में हमेशा रहता है। मगर पौड़ी जिला पंचायत हमेशा की तरह इसका अपवाद रही। जो 10 लाख के संपर्क मार्ग बने हैं उसमें सबका भुगतान 940300 आता है। सबका भुगतान एक ही रेट पर किया गया है जो कि संभव ही नहीं है, क्योंकि जुलाई 2019 में जो टेंडर लगाए गए उनका भुगतान बिना कोई काम किया हुआ है। जिला पंचायत पौड़ी के पास इतना समय ही नहीं है कि माप पुस्तिका बना पाते। अगर माप पुस्तिका बनाई जाती तो संभव है कि जिला पंचायत का भ्रष्टाचार उजागर हो जाता।
बात अपनी-अपनी
ये मामला मेरे सज्ञान में नही है और न ही मुझको इसकी जानकारी है। मैं पता करके बता दूंगा आप को। वैसे वे सारी
फाइलें मेरे पास नहीं आती है, अब जो रिपोर्ट आएगी वे मैं आपको बता दूंगा, क्या है उसमें।
सतपाल महाराज,पंचायतीराज मंत्री
मेरे पास इस मामले की जांच रिपोर्ट कुछ दिन पहले ही आई है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
बंशीट्टार तिवारी, सचिव पंचायतीराज
ये मामला मेरे सज्ञान में नहीं है, अभी आप ने बताया तो मालूम हुआ। अगर विभाग में इस तरह की अनियमितताएं पाई जाती हैं तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
शांति देवी, अध्यक्ष, जिला पंचायत
जिला पंचायत में ठेकेदारी का रजिस्ट्रेशन उन लोगों का नहीं होता है, जिनके फैमिली मेंबर जिला पंचायत में कार्यरत हों। पर बुटोला इंटरप्राइजेज एवं प्रवीन बुटोला का रजिस्ट्रेशन मेरे कार्यकाल से पहले ही हो रखा है। अधिकारियों की पत्नियों के नाम पर जिला पंचायत में फर्म रजिस्टर्ड है और करोड़ों का भुगतान हुआ है ये समिति ने पास किया है। मैंने तो उस पर सिर्फ हस्ताक्षर किए हैं।
संतोष खेतवाल, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत पौड़ी
इस घोटाले को हमने आरटीआई के माध्यम से दो साल पहले ही उजागर कर दिया था। लेकिन अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत के चलते कोई जांच नहीं हुई तब हमने धरना- प्रदर्शन किए तो एसआईटी और विजिलेंस सक्रिय हुए। एसआईटी के साथ ही तत्कालीन कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट शासन को भेज दिए हैं। एक साल हो गए हैं लेकिन अभी तक आरोपियों का बाल-बाका नहीं हुआ। अब हम हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल कर रहे हैं।
करन रावत, आरटीआई कार्यकर्ता