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Uttarakhand

धामी प्रेम के पीछे की कहानी

कहते हैं कि इश्क और जंग के बीच सबकुछ जायज है। राजनीति भी एक जंग है। जंग है सत्ता पर काबिज रहने की। सत्ता के इर्द-गिर्द बने रहने की और सत्ता से सम्बंधों की बदौलत धन कमाने की। हर कोई सत्ता का स्वाद चखना चाहता है। इसका स्वाद एक बार किसी के मुंह लग जाए तो वह आसानी से नहीं छूटता। इसकी होड़ में कई बार नेता अपनी पार्टी और विचारधारा को भी दांव पर लगा देते हैं

उत्तराखण्ड की राजनीति में ऐसे कई किस्से हैं, जब राजनीति के खेल में वर्षों पुराने रिश्ते और पार्टी की प्रतिष्ठा कमजोर पड़ गई। खासतौर पर जब आप उत्तराखण्ड का सियासी इतिहास देखेंगे तो ऐसे कई किस्से मिलेंगे, जहां पार्टी परिवर्तन होता रहा और राजनीति चलती रही। 2016 का कालखंड उत्तराखण्ड की राजनीति का काला इतिहास भी कहा जाता है। इस साल कांग्रेस के 9 विधायकों ने अपने पद और प्रतिष्ठा के साथ समझौता करते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था। तब से कांग्रेस में टूटन का जो सिलसिला शुरू हुआ वह थमने का नाम नहीं ले रहा है।

गत् दिनों द्वाराहाट के कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट का मंच से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पक्ष में नारे लगाना एक ट्रेलर मात्र था। पूरी फिल्म अभी बाकी है, जो 2027 के विधानसभा चुनावों से कुछ दिन पूर्व रिलीज होगी। हालांकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि कांग्रेस विधायकों के अपने हित हैं। कोई अपने धंधे को बदस्तूर जारी रखने के लिए भाजपा शरणागत होना चाहता है तो कोई सत्ता की चकाचैंध में चमकने के ख्वाब पाले हुए हैं। फिलहाल उत्तराखण्ड में एक बहस शुरू हो चुकी है कि कांग्रेस के विधायकों का यह धामी प्रेम है या कुछ और?

रूद्रपुर निवासी एडवोकेट अनीता पंत कहती हैं कि ‘ऐसा पहली बार नहीं है, जब उत्तराखण्ड में विपक्षी कांग्रेस पार्टी के विधायक ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सार्वजनिक तौर पर तारीफ की हो। इससे पहले भी कई बार विपक्ष के नेता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तरफ से कराए जा रहे विकास कार्यों और उनके कामकाज के तरीके की सराहना कर चुके हैं। उत्तराखण्ड में सीएम पुष्कर सिंह धामी की जनता के साथ ही विपक्ष के नेताओं में भी सकारात्मक छवि है। इसकी वजह मुख्यमंत्री धामी के काम करने का तरीका है। जिसमें वह राजनीति से ऊपर उठकर जनहित में काम करने को तरजीह देते हैं।’

ऐसे समय में जब गुजरात में साबरमती के किनारे कांग्रेस का 8-9 अप्रैल को दो-दिवसीय अहमदाबाद अधिवेशन शुरू होने ही वाला था इससे पहले कि इस अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी के भविष्य की रणनीति तय होती उत्तराखण्ड में पार्टी विधायक के द्वारा विपक्ष के जयघोष ने एक बार फिर सियासी सरगर्मियों को बढ़ा दिया। अहमदाबाद अधिवेशन में हालिया चुनावी हार के बाद कांग्रेस संगठनात्मक सुधारों और आगामी चुनावों के लिए एक नए राजनीतिक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित कर रही है। जिसमें सामाजिक न्याय, रोजगार और आर्थिक नीतियां जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। यहां भाजपा को चुनौती देने के लिए एक मजबूत रणनीति तैयार की गई है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ उत्तराखण्ड में कांग्रेस के लचर प्रदर्शन और कमजोर संगठन पर भाजपा भारी पड़ती नजर आ रही है।

कहा जा रहा है कि उत्तराखण्ड में कांग्रेस के तीन विधायक पार्टी की नैया से उतर कर भाजपा के पाले में जाने को तैयार बैठे हैं। ये विधायक हैं धारचूला से हरीश धामी, द्वाराहाट से मदन सिंह बिष्ट और लोहाघाट से खुशाल सिंह अधिकारी। उक्त विधायक समय-समय पर भाजपा के साथ पक रही अपनी खिचड़ी का उदाहरण दे ही देते हैं। हालांकि इसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कुशल नेतृत्व और सौम्य व्यवहार कहा जा रहा है। जिससे ओत-प्रोत होकर ये विधायक भाजपा में जाने के लिए उतावले हैं।

इसका खुलासा गत वर्ष 4 अप्रैल 2024 को ही हो चुका है। उस दौरान लोकसभा चुनाव चल रहे थे। इस बीच भाजपा के उत्तराखण्ड प्रभारी दुष्यंत गौतम ने इससे संबंधित एक बड़ा बयान देकर सियासी हलचल पैदा कर दी थी। दुष्यंत गौतम ने पिथौरागढ़ में दावा किया था कि कांग्रेस के सभी विधायक भाजपा में आना चाहते हैं। लेकिन उपचुनाव की वजह से फिलहाल ये सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी मन से मोदी के साथ हैं। भविष्य में इसके लिए भी प्रयास किए जाएंगे।
उत्तराखण्ड के प्रभारी दुष्यंत गौतम ने इसे स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस के विधायक भाजपा के सम्पर्क में हैं। वे भाजपा में आना चाहते हैं। लेकिन भाजपा उनसे अभी उपचुनाव का बहाना लेकर दूरी बनाए हुए हैं। उत्तराखण्ड के राजनीतिक विशेषज्ञों की मानंे तो भाजपा प्रदेश में उपचुनाव से बचना चाह रही है। क्योंकि बद्रीनाथ उप चुनाव में उसे इस मामले में पटखनी मिल चुकी है।

जिस तरह कांग्रेस के तत्कालीन विधायक राजेंद्र भंडारी अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में आए थे और फिर हुए उपचुनाव में हार की माला पहनकर भाजपा की खिजालत करा गए थे उससे पार्टी फिलहाल फूक-फूक कर कदम रख रही है। राजनीतिक विशेषज्ञ यह भी दावा करते हैं कि जब 2027 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में महज 6 माह का समय रह जाएगा तब कांग्रेस के कई विधायक पार्टी से जुदा होकर भाजपा की शरण में चले जाएंगे। तब धामी सरकार को उपचुनाव कराने की चिंता नहीं सताएगी और न ही बद्रीनाथ और मंगलौर की तरह हार होने का डर रहेगा। कांग्रेस के फिलहाल तीन विधायक भाजपा की रडार में हैं। इनमें सबसे पहले नम्बर पर धारचूला विधायक हरीश धामी हैं। हरीश धामी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का प्रेम पूर्व में कई बार प्रकट हो चुका है।

18 फरवरी 2025 का दिन था जब धारचूला विधानसभा के विधायक हरीश धामी ने धामी सरकार की जमकर सराहना की थी। उन्होंने राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन को लेकर सरकार की तारीफ की। तब धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड में 38वें राष्ट्रीय खेलों का सफलतापूर्वक आयोजन राज्य के खेल इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज हो गया है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिनके कुशल और सशक्त नेतृत्व में उत्तराखण्ड ने इस प्रतिष्ठित आयोजन को बेहतरीन ढंग से सम्पन्न किया। कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने कहा कि मेरी ओर से पुष्कर धामी और उनकी सरकार को इस आयोजन की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने ऐसा बयान पहली बार दिया हो बल्कि इससे पहले भी कई बार वे धामी सरकार की तारीफ कर चुके हैं। हरीश धामी तब भी चर्चा में आए जब उन्होंने मुख्यमंत्री रहते पुष्कर सिंह धामी के खटीमा सीट से चुनाव हारने के बाद खुद की सीट छोड़ने तक की पेशकश कर दी थी।

हरीश धामी के बारे में कांग्रेस के सूत्रों ने जिस तरह की जानकारी दी उससे लगता है कि उनमें और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी में गुप्त समझौता हो चुका है। पूर्व में एक बार इस बात की चर्चा भी हुई थी कि हरीश धामी को धारचूला की सीट त्यागने के पीछे कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता की सोच काम कर रही थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने यहां तक तय कर लिया था कि अगर हरीश धामी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए धारचूला सीट खाली करते हैं तो उनके लिए राज्यसभा जाने का भी रास्ता तैयार किया जाए। हालांकि धारचूला से हरीश धामी की सीट खाली कर चुनाव लड़ने की बजाय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए तब चम्पावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी ने सीट खाली कर दी थी जहां से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रिकाॅर्ड तोड़ जीत हासिल कर पाए थे। धामी कई बार अपनी पार्टी के खिलाफ बयान देकर चुनौती खड़ी कर चुके हैं। हरीश धामी कांग्रेस के कद्दावर और तेज-तर्रार नेता माने जाते हैं।

भाजपा के सूत्रों की मानें तो लोहाघाट के कांग्रेस विधायक खुशाल सिंह अधिकारी भी कांग्रेस छोड़ने को तैयार बैठे हैं। इसके पीछे का कारण सूत्र बताते हैं कि अधिकारी मूलतः एक ठेकेदार हैं। उन्हें सड़कों इत्यादि के ठेके चाहिए। विपक्ष में रहकर उन्हें सड़कों के काम मिल नहीं पा रहे हैं। हालांकि पिछले दिनों कई सड़कें उनके द्वारा बनाने के विरोध में लोहाघाट के पूर्व भाजपा विधायक पूरन सिंह फत्र्याल ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने तब खुलकर आरोप लगाए थे और कहा था कि कांग्रेस विधायक खुशहाल सिंह अधिकारी और उनकी पार्टी मिली हुई है। दोनों की मिली भगत से ही कांग्रेस के विधायक को करोड़ों के सड़कों के टेंडर दिए गए। इसके पीछे भी पूर्व विधायक फत्र्याल ने यह शंका जाहिर की थी कि खुशाल सिंह अधिकारी से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का ‘सेटिंग-गेटिंग’ का खेल चल रहा है। अधिकारी को पार्टी में शामिल करने के लिए ही उन्हें सड़के तोहफे में दी जा रही हैं।

कांग्रेस विधायकों के सत्ता पक्ष से प्रेम के चर्चे को फिलहाल गत 6 अप्रैल को अल्मोड़ा जनपद के चैखुटिया में ताजा कर दिया गया। जब द्वाराहाट के कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट ने धामी प्रेम में सारी हदें पार कर दी। इस दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चौखुटिया स्थित अगनेरी मंदिर में चैत्र अष्टमी मेले के शुभारंभ पर पहुंचे थे। जहां मंच पर कांग्रेस के विधायक मदन सिंह बिष्ट भी मौजूद थे। मदन सिंह बिष्ट ने कार्यक्रम में अपने भाषण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जमकर सराहना की। कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट ने मौजूद जनता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री धामी के बारे में कहा कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विकास कार्यों में किसी से किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करते। साथ ही वह कुछ विकास कार्यों की सूची भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपते हैं। धामी इनमें से अधिकतर मांगों को पूरा करवाने का वादा करते हैं। वीडियो में कांग्रेस विधायक साफ कहते सुनाई देते हैं कि उनको मुख्यमंत्री धामी के समर्थन में नारे लगाने में कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट मंच से खुद पुष्कर सिंह धामी के नाम से ‘जिंदाबाद’ के नारे लगवाते हैं। इससे पहले भी मदन सिंह बिष्ट उस समय सुर्खियों में रहे थे जब उन्होंने मजार जिहाद पर सत्ता पक्ष का समर्थन किया था। उन्होंने तब भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की खुलकर तारीफ की थी। मदन सिंह बिष्ट को कांग्रेस का फायर ब्रांड नेता कहा जाता है। वह अपनी दबंगई के लिए अक्सर चर्चाओं में रहते हैं।

रामगंगा करे चीत्कार, विधायक करें जय जयकार

6 अप्रैल को अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नारे लगाकर सुर्खियों में आए द्वाराहाट विधायक मदन सिंह बिष्ट की भी एक चर्चा क्षेत्र में जोरों पर चल रही है। चर्चा यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कृपा से विधायक मदन सिंह बिष्ट को एक स्टोन क्रशर स्वीकृत हुआ है। लेकिन समस्या यह है कि इस स्टोन क्रेशर के लिए खनिज सामग्री कहां से आए? बताया जा रहा है कि पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा जब लोकसभा में अवैध खनन का मुद्दा उठाया जा रहा था तो उसमें एक एंगल द्वाराहाट विधानसभा का भी था, वह यह था कि रामगंगा के सीने को चीरकर उसमें अवैध खनन हो रहा है। इस अवैध खनन के पीछे विधायक मदन सिंह बिष्ट का स्टोन क्रशर बताया जा रहा है। यह स्टोन क्रशर मासी में ही राम गंगा नदी तट पर है। जहां से नदी से ही पत्थर चोरी करके स्टोन क्रेशर में पीसकर माल कमाया जा रहा है। लोगों की मानें तो रामगंगा नदी के इसी सफेद सोने को बदस्तूर कमाई का जरिया बनाने का खेल खुलेआम खेला जा रहा है।

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