- हरेन्द्र प्रसाद
शारदा सागर डैम के आसपास बसे दर्जनों गांवों के लिए डैम का पानी हमेशा समस्या पैदा करता रहा है। डैम का जलस्तर बढ़ने पर ग्रामीणों की फसल और घरों को तहस-नहस कर देता है। किसी सरकार ने अभी तक इनकी सुध नहीं ली है
यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। डैम में पानी बढ़ने से हर बार हमारी फसलें बर्बाद हो जाती हैं। हमारे घरों और मवेशियों को भी नुकसान होता है। हमें कोई मुआवजा नहीं मिलता। घरों के अंदर तक पानी घुस जाता है। सरकार ने कभी हमारी सुध नहीं ली। हमारे विधायक जब मुख्यमंत्री बने तो उम्मीद जगी लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। दुख और दर्द समेटे ये वाक्य केवल संजीव पासवान के नहीं हैं बल्कि शारदा सागर डैम के आसपास बसे दर्जन भर गांवों के ग्रामीणों की भी यही व्यथा है।
खटीमा के सीमांत गांव बंधा-सिसैया,बगुलिया, झाऊ परसा आदि शारदा सागर डैम के किनारे बसे हुए हैं। जब कभी भी डैम का जलस्तर बढ़ता या बढ़ाया जाता है, इन गांव के ग्रामीणों को कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। ग्रामीणों पर सबसे पहला चोट उनकी आजीविका पर होता है। यहां ग्रामीणों की आजीविका का एक मात्र साधन खेती है। डैम का पानी खेतों में लगे फसल को नष्ट कर देता है। इससे गांव के गरीब किसानों के सामने भुखमरी की समस्या तक उत्पन्न हो जाती है। खेतों से होते हुए पानी इनके घरों में आ जाता है।
एक तरफ उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में ठंड बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ यहां के निवासियों को दोहरी मार झेलना पड़ रहा है। ठंड के साथ-साथ इनके घरों में घुसे डैम का पानी जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। यहां के ग्रामीणों की यह समस्या कोई नई नहीं है बल्कि लगभग 60 वर्षों से शारदा सागर डैम का पानी बिन बुलाए मेहमान की तरह कभी भी आकर सब कुछ तबाह कर चला जाता है। इन गांवों के सैकड़ों परिवार खेतीबाड़ी और मजदूरी पेशा करके किसी तरह अपना व अपने परिवार का गुजर-बसर करते हैं। लेकिन हर साल डैम में पानी भर दिया जाता है। इससे ग्रामीणों के घर-मकान, फसल बुरी तरह चौपट हो जाते हैं। ग्रामीण नाव का सहारा लेकर आवागमन करते हैं। फसल बर्बाद होने के कारण लोग भुखमरी की कगार पर आ जाते हैं।
इस समय भी डैम का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। लोगों के घर मकान, फसल बुरी तरह लबालब पानी मे भरा हुआ है। बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया है। जलभराव के कारण मगरमच्छ जैसे खतरनाक जलीय जीवों से भी खतरा बना रहता है। जलभराव से पूर्व में भी कई दुर्घटनाएं और मौतें हो चुकी हैं। ग्रामीण मनोज कोहली कहते हैं, ‘हमारी यह समस्या दशकों से यूं ही बनी हुई है। हमारे दादा, पापा के बाद अब हमारे बच्चे भी इस समस्या को देख और झेल रहे हैं। कभी किसी सरकार ने इसे खत्म करने का प्रयास नहीं किया।’ एक अन्य ग्रामीण लालमती विमला देवी कहती हैं कि आसपास के सभी गांवों के लोग विधायक, सांसद आदि के सामने गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अभी तक किसी भी विधायक या सांसद ने हमारी समस्या दूर नहीं किया। हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता है।
इस बार गांवों में पानी घुसने पर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भुवन कापड़ी पीड़ित ग्रामवासियों के हालचाल जानने गांव में पहुंचे। वे नाव पर बैठकर घर-घर पहुंचे। पीड़ितों से मिलकर स्थिति का जायजा लिया। इन्होंने पीड़ितों के दुख दर्द में हर संभव सहयोग और मदद करने का उनको आश्वासन दिया। इस दौरान भुवन कापड़ी ने कहा कि भाजपा सरकार आम जनता की सरकार नहीं बल्कि पूंजीपतियों की सरकार है। इसीलिए इन ग्रामवासियों का दुख-दर्द भाजपा सरकार को दिखाई नहीं पड़ रहा है। गांवों के लोग भी कापड़ी से मिलकर अपनी दशकों पुरानी समस्या रखी। इनके सामने भी लोगों ने गुहार लगाया है। ग्रामीणों को इनसे भी आश्वासन मिला है।