सरकार की नीतियों के खिलाफ राज्यपाल को ज्ञापन देना विपक्ष का राजनीतिक धर्म माना जाता है। लेकिन स्थिति हास्यास्पद तब हो जाती है जब खुद सत्ताधारी पार्टी ही विपक्ष की शिकायत करने राजभवन पहुंच जाए। प्रचंड बहुमत में होने के बावजूद भाजपा नेताओं का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला कि कांग्रेस सरकार को काम नहीं करने दे रही है। सरकार की नीतियों का दुष्प्रचार कर रही है। ऐसे में भाजपा की रणनीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कांग्रेस को घेरने के चक्कर में वह खुद सवालों से घिर गई है
उत्तराखण्ड के 18 वर्षीय राजनीतिक इतिहास में पहले कभी यह देखने को नहीं मिला कि सत्ताधारी पार्टी ने विपक्ष के खिलाफ राजभवन में दस्तक दी हो। विपक्ष की शिकायत की हो कि वह सरकार की जनहित की योजनाओं और कार्यों को बाधित करने के लिए कुप्रचार कर रहा है। लेकिन अब प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार उस विपक्षी कांग्रेस के खिलाफ शिकायत को विवश हुई जिसके विधायकों की संख्या अंगुलियों पर गिनी जा सकती है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अजय भट्ट एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल से मिले और कांग्रेस पर सरकारी योजनाओं और कार्यों को लेकर दुष्प्रचार करने का आरोप लगाते हुए ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि सरकार द्वारा ‘मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना’ आचार संहिता से पहले ही लागू कर दी गई थी, जबकि कांग्रेस इस योजना को आचार संहिता की आड़ लेकर बाधित करने का प्रयास कर रही है।
दरअसल, यह मामला बड़ा ही दिलचस्प है। इसके कई राजनीतिक विमर्श निकाले जा सकते हैं, लेकिन इसके पीछे महज इतना कारण था कि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना को लागू करने पर राज्य में पंचायत चुनाव की आचार संहिता का उल्लंघन बताया और इसके लिए राज्यपाल को शिकायत करते हुए एक ज्ञापन सौंपा गया था। विपक्षी पार्टियों द्वारा सरकार की नीतियों के खिलाफ राजभवन को ज्ञापन देना एक सामान्य बात है। राजयपाल द्वारा इन ज्ञापनों को स्वीकार करना भी एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन भाजपा ने कांग्रेस के ज्ञापन के प्रतिउत्तर में राज्यपाल के समक्ष जो ज्ञापन सौंप उसे बड़े ही हास्यास्पद ढंग से लिया जा रहा है। पार्टी नेताओं की सोच और रणनीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट पूर्व में नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी रह चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद पर विस्तार भी दिया गया है। लोकसभा चुनाव में नैनीताल से भारी बहुमत से जीतकर अजय भट्ट संसद पहुंचे हैं। यानी यह कहा जा सकता है कि अजय भट्ट को संसदीय परंपराओं और पक्ष -विपक्ष की राजनीति का एक लंबा अनुभव रहा है। इसके बावजूद उन्हें विपक्षी पार्टी कांग्रेस की शिकायत करने के लिए राजभवन जाना पड़ा तो राजनीतिक जानकारों को बड़ा ही अटपटा लग रहा है।
आश्चर्यजनक है कि अजय भट्ट अपने साथ जिन नेताओं को लेकर राजभवन गए थे उनमें अधिकतर सरकार और पार्टी का मीडिया में पक्ष रखने का काम करते रहे हैं। यानी वे भी सुलझे हुए हैं। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन, सह मीडिया प्रभारी शादाब शम्स, प्रदेश प्रवक्ता विरेंद्र सिंह बिष्ट, नगर निगम मेयर सुनील उनियाल गामा, सरकार में दायित्वधारी ज्योति प्रसाद गैरोला, दायित्वधारी रबिंद्र कटारिया, प्रदेश भाजपा महामंत्री और राजपुर से विधायक खजानदास, भाजपा के देहरादून महानगर अध्यक्ष विनय गोयल, जिला अध्यक्ष शमशेर सिंह पुण्डीर जैसे नेताओं को लेकर अध्यक्ष अजय भट्ट राजभवन गए थे। इन सब नेताओं में एक बात समान यह है कि यह सभी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में आते हैं और वर्षों से भाजपा में किसी न किसी रूप में अहम बने हुए हैं। यहां तक कि भाजपा की सरकारां में मंत्री, राज्यमंत्री और दायिवधारी भी रह चुके हैं। ये सभी नेता विपक्ष के लोकतांत्रिक अधिकारों को बखूबी जानते हैं। कांग्रेस के आरोप भले ही राजनीति से प्रेरित ही क्यों न माने जाएं, लेकिन कांग्रेस अपने लोकतांत्रिक अधिकारां का ही पालन करती दिखाई दे रही है। लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट जो कभी नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं विपक्ष के अधिकारों पर अतिक्रमण करते दिखाई दे रहे हैं।
भले ही अजय भट्ट कांग्रेस के अरोपों पर सवाल खड़े कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में सवाल सत्ता पक्ष और मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर उठ रहे हैं। सरकारी खजाने से प्रतिमाह लाखों की धनराशि मुख्यमंत्री के निजी स्टाफ के वेतन आदि खर्चो के नाम पर खच हो रही है। ऐसे में भाजपा और प्रदेश सरकार कांग्रेस के कुप्रचार का प्रतिउत्तर क्यों नहीं दे पा रही है। माना जा रहा है कि इसके पीछे भाजपा की अंदरूनी लड़ाई है जिसके चलते सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार यहां तक कि जनता के बीच इन योजनाओं की सही तरीके से जानकारी देने में भाजपा के नेता और सरकारी खर्च पर तैनात जम्बो फौज पूरी तरह से नाकाम ही सबित हो रही है।
ऐसे में सरकार को कुछ दो-चार खास- खास समाचार पत्रों में इम्पैक्ट फीचर और मुख्यमंत्री के इंटरव्यू तक विज्ञापनां के माध्यम से प्रकाशित करने पड़ रहे हैं। जिस तरह से भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ राजभवन में शिकायत करके ज्ञापन सौंपा है उससे कांग्रेस को ही ताकत मिलती दिखाई दे रही है। जानकारों की मानें तो प्रदेश में आज तक के राजनीतिक इतिहास में सबसे कमजोर विपक्ष मौजूदा विपक्ष ही है। आज कांग्रेस के हालात इस कदर हो चुके हैं कि कांगेस में घोर निराशा और हताशा का माहौल बना हुआ है। हर बड़ा नेता अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर खासा चिंतित बना हुआ है और वह नए अवसर की तलाश में लगा हुआ है, जबकि भाजपा का राजनीतिक सितारा खासा बुलंद बना हुआ है।
बावजूद इसके अजय भट्ट द्वारा कमजोर कांग्रेस की शिकायत करने से भाजपा की ही राजनीतिक समझ पर सवाल खड़े होने लगे हैं। अब कांग्रेस राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ खासी मुखर हो चली है। कांग्रेस ने भाजपा सरकार द्वारा लिए गए कई निर्णयों को जन विरोधी और राज्य विरोधी बताते हुए अजय भट्ट पर कई सवाल दागे हैं। देखना खासा दिलचस्प होगा कि कांग्रेस को नई राजनीतिक ताकत देने वाले अजय भट्ट कांग्रेस के सवालों का किस तरह से जबाब देते हैं।
इंदिरा हृदयेश ने संभाला मोर्चा
संजय स्वार
भाजपा ने राज्यपाल से कांग्रेस की शिकायत क्या की कि कांग्रेस भी सुप्तावस्था से जागकर संघर्ष के मूड में आती दिखाई दे रही है। सरकार के प्रति नरम रवैय्या अपनाने का आरोप झेल रही कांग्रेस ने त्रिवेन्द्र रावत सरकार को आईना दिखाने की शुरुआत कर दी है। इसका बीड़ा उठाया है नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने। 30 सितंबर को हल्द्वानी में एक दिवसीय उपवास रखकर उन्होंने बाकायदा संघर्ष की शुरूआत कर दी। डॉ. इंदिरा हृदयेश के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने हल्द्वानी में उपवास कार्यक्रम आयोजित कर प्रदेश सरकार को डेंगू को रोक पाने में बताया। इस उपवास में कांग्र्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपस्थिति से लगा कि कांग्रेस अब भविष्य में जन समस्याओं को लेकर सरकार के विरुद्ध मुखर होने जा रही है।
डॉ. इंदिरा हृदयेश ने हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में एक दिवसीय उपास के माध्यम से सरकार को कड़ा संदेश देने की कोशिश की। महामारी के तौर पर फैलते डेंगू और सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में इलाज को महंगा करने के खिलाफ आयोजित उपवास कार्यक्रम ने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए उस पर जनसमस्याओं के प्रति संवेदनहीन होने का आरोप लगाया। स्वास्थ्य और आधारभूत सरचनाओं के प्रति घोर लापरवाह होने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के राज में स्वास्थ्य सहित सारी व्यवस्थाएं चौपट हो चुकी हैं। जिस तरह डेंगू बेकाबू हुआ और सरकार ने जिस तरह उससे निपटने का प्रयास किया ये सरकार की घोर लापरवाही को दर्शाता है। अगर सरकार ने समय रहते सही कदम उठाए होते तो स्थिति यूं बेकाबू नहीं होती। भाजपानीत हल्द्वानी नगर निगम को निशाने पर लेते हुए डॉ इंदिरा हृदयेश ने कहा मेयर और नगर निगम अपने दायित्वों की पूर्ण करने में पूरी तरह विफल रहे हैं। नगर निगम और मेयर ने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर संवेदनशीलता दिखाई होती तो आज हल्द्वानी को ये स्थिति नहीं देखनी पड़ती। समय पर गड्ढे पड़े सड़कों की मरम्मत और फॉगिंग हुई होती तो महामारी का रूप ले चुके डेंंगू पर काबू पाया जा सकता था। ट्रिपल इंजन सरकार में हल्द्वानी के इस हाल की कल्पना भी नगर निगम के लिए शर्मनाक है। गड्ढे पड़ी सड़कों पर जमा पानी डेंगू का मुख्य कारण हैं, परंतु आधारभूत संरचनाओं के प्रति न सरकार गंभीर है न ही नगर निगम। उन्होंने कहा कि जनता का सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है और हम जनता के साथ खड़े होकर सरकार को उसकी नाकामियों पर आइना भविष्य में भी दिखाते रहेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो जेल भरो आंदोलन भी करेंगे।
त्रिवेंद्र सरकार की डेंगू पर खासी किरकिरी हुई है। सरकार डेंगू के नियंत्रण के दावे कर रही थी तब बढ़ती मरीजों की और डेंगू से हो रही मौतें बता रही थी कि सरकार इस पर कितनी गंभीर थी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत स्वयं डॉक्टर की भूमिका में आकर लोगों को पैरासिटामौल दवाई खाने की सलाह दे रहे थे। मुख्यमंत्री को ये सलाह उनके अधीन स्वास्थ्य महकमे की नाकामी की कहानी कह रही थी। इस डेंगू ने जहां सरकार को कठघरे में खड़ा किया वहीं विपक्ष खासकर कांग्रेस को सरकार पर सवाल खड़े करने का अवसर दे दिया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने इस विरोध की शुरूआत हल्द्वानी से कर दी है। इस अवसर पर बिखरी कांग्रेस भी एकजुट दिखाई दी। पिछले ढाई सालों में ये शायद पहला अवसर था जब कांग्रेसी भाजपा सरकार के खिलाफ इंदिरा हृदयेश के नेतृत्व में एकजुट हुए हों। नेताओं की उपस्थिति दर्शा रही थी कि भविष्य के संघर्षों की यहां से शुरूआत हो सकती है। हालांकि भाजपा ने इसे कांग्रेस की निराशा की उपज बताया और कांग्रेस पर सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार का आरोप लगाया। नैनीताल-ऊधमसिंहनगर से सांसद अजय भट्ट का नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश को मशवरा था कि अपनी सेहत का ख्याल रखें और उपवास करने के बजाय सरकार को सुझाव दें। कुल मिलाकर डॉ. इंदिरा हृदयेश के नेतृत्व में कांग्रेस का उपवास त्रिवेंद्र सरकार के लिए स्पष्ट संदेश था कि भविष्य में सरकार को विपक्ष के तीखे तेवरों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।