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Uttarakhand

इंसाफ के लिए भटकती बुजुर्ग मां

बुजुर्ग मां चीख-चीखकर कह रही है कि उसके इकलौते बेटे की जान दुर्घटना में नहीं गई, बल्कि उसकी हत्या हुई है। सात माह से वह निरंतर ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी के दरबार में गुहार लगा रही है। हमेशा पुलिस-प्रशासन के समक्ष दर्द सुनाने जाती है। लेकिन सहानुभूति दिखाने के बजाए उसे धकिया दिया जाता है

 

उत्तराखण्ड में आम आदमी की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। शासन-प्रशासन के चक्कर काटने और दर-दर की ठोकरें खाने के बावजूद थानों में उनकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की जाती। हाल में ‘दि संडे पोस्ट’ टीम को समाचार संकलन के दौरान इसी तरह का एक मामला दिखाई दिया। 28 जून 2018 को दोपहर दो बजे रुद्रपुर स्थित ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर एक 70-75 वर्षीय वृद्धा आई। उसके हाथ में दो-तीन पॉलीथीन बैग थे। जिलाधिकारी कार्यालय के सामने आते ही महिला रोने लगती है। उस वक्त जो लोग वहां बैठे थे उन सभी से अपना दुखड़ा सुनाने लगती है। इस पर जिलाधिकारी कार्यालय में तैनात एक कर्मचारी उसे धकियाते हुए बाहर निकालने लगता है। ‘दि संडे पोस्ट टीम ने हस्तक्षेप करते हुए वृद्धा से उसकी आपबीती जाननी चाही। इस पर वृद्धा फूट-फूटकर रोने लगी। बामुश्किल शांत कराये जाने के बाद उस बेबस महिला ने जो व्यथा-कथा कही वह शासन-प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाती है।

वृद्धा के अनुसार इसके इकलौते बेटे की गत वर्ष संदेहास्पद परिस्थ्तियों में हत्या कर दी गई। लेकिन सात माह बाद भी उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। पिछले सात माह से शायद ही कोई दिन ऐसा रहा होगा जब वृद्धा अपने मृत बेटे की रिपोर्ट दर्ज कराने की उम्मीद से जिलाधिकारी कार्यालय न आई है। इसकी गवाही महिला के पॉलीथीन बैग से मिले वह साक्ष्य हैं, जो प्रशासन को कठघरे में खड़ा करते हैं। पुलिस की लापरवाही भी इस मामले में नजर आ रही है। महिला ने जब अपना पिटारा खोला तो उसमें जिलाधिकारी कार्यालय में प्रत्येक शनिवार को लगने वाले जनता दरबार यानी जनसुनवाई दिवस के वह मोहर लगे प्रार्थना पत्र मिले जिसमें पीड़िता द्वारा अपने बेटे की मौत की रिपोर्ट दर्ज करने की बार-बार गुजारिश की गई है। ऐसे एक नहीं दर्जनों प्रार्थना पत्र और उन पर जनता दरबार की लगी मोहर इस बात की ओर इशारा करते हैं कि न्याय पाना एक गरीब के लिए आज भी टेढ़ी खीर है। चौंकाने वाली बात यह कि महिला ने जो दर्जनों प्रार्थना पत्र अपने बेटे की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए जनता दरबार में पेश किए उन पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के आदेश-निर्देश भी हैं। जिसमें जांच कराने की बात कही गई है। लेकिन जांच के नाम पर 156(3) के बयान को ही पुलिस जांच का हवाला दिया गया है। सात माह में बार- बार यही बात दोहराई जाती रही है कि महिला के बेटे मनोज गुप्ता (30) की मौत एक्सीडेंट से हुई है, जबकि मृतक की मां पिछले सात माह से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी के साथ ही थाना चौकी में चीख-चीखकर कह रही है कि उसके बेटे की एक्सीडेंट मौत नहीं हुई, बल्कि उसकी हत्या कराई गई। यह हत्या थी या एक्सीडेंट जब इसकी तह में ‘दि संडे पोस्ट’ टीम ने पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

ऊधमसिंह नगर के किच्छा में उत्तराखण्ड कॉलोनी है। जहां एक छोटे से घर में अपनी मां, पत्नी और तीन बच्चों के साथ मनोज गुप्ता रहता था। मनोज मजदूरी करके तो उसकी पत्नी राधिका घरों में साफ-सफाई का काम करके किसी तरह परिवार का पेट पाल रहे थे। इसी दौरान मनोज ने अपनी जिंदगी की जमा पूंजी से एक प्लॉट लेकर घर बनाने का सपना देखा था। 23 दिसंबर 2017 को चार लाख रुपए लेकर प्लाट खरीदने निकला था। लेकिन शाम को उसकी पत्नी राधिका के फोन पर किसी अज्ञात व्यक्ति का फोन आया। उसने बताया कि उसके पति की हालत बहुत नाजुक है और उसे किच्छा के सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। राधिका ने अपनी सास मुन्नी देवी को फोन किया और जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचने की बात कही। दोनों सास-बहू ने अस्पताल में मनोज को देखा तो उसके सर से खून बह रहा था। पहली नजर में देखने पर लग रहा था कि उसके सर के पीछे वाले हिस्से में किसी नुकील चीज से वार कर गंभीर रूप से घायल किया गया है। किच्छा के सरकारी अस्पताल से रेफर कर वह उसी हालत में मनोज को हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल ले गए। इस दौरासन वह पहले से ही बेसुध था और कोमा में जा चुका था। सुशीला तिवारी अस्पताल में कोई फायदा ना देख मनोज को हल्द्वानी के ही विवेकानंद अस्पताल में ले जाया गया। जहां 25 दिसंबर 2017 को उसने आखिरी सांसे ली।

मनोज के परिजनों को सांत्वना देने कई लोग आए। इसी दौरान एक स्थानीय नेता जो भाजपा विधायक का खास है, आकर उनकी पत्नी से ऐसी बातें करता है जिससे कहानी में नया मोड़ आ जाता है। मृतक मनोज की मां को कानों-कान खबर भी नहीं होने दी गई और रातों-रात उसकी पत्नी राधिका से यह लिखवा लिया गया कि मनोज की मौत एक्सीडेंट से हुई थी। इस तरह एक संदेहास्पद मौत को दुर्घटना का रूप दे दिया गया। इसके पीछे रुपयों का लालच देना बताया गया।

‘दि संडे पोस्ट’ टीम सबसे पहले किच्छा थाने में पहुंची। जहां तीन पुलिसकर्मियों ने मनोज की मौत को अपने-अपने तरीके से बयां किया। एक ने कहा कि मौत एक्सीडेंट से हुई जबकि दूसरे ने कहा कि अभी तक जांच चल रही है। जिसमें यह स्पष्ट होना बाकी है कि मौत कैसे हुई, तीसरे पुलिसकर्मी ने मृतक की वृद्धा मां को पागल करार दे दिया। बहुत ही संवेदनहीनता के साथ उसने कहा कि बुढ़िया के पास और तो कोई काम है नहीं वह झोला उठाती है और चल देती है कलेक्ट्रेट, थाने, चौकियां में। उसने यहां तक कह दिया कि बुढ़िया का दिमाग चल गया है और वह किसी को भी अपने बेटे की हत्या का मुजरिम बना देती है। ‘दि संडे पोस्ट’ टीम ने मृतक की पत्नी से मिलना बेहतर समझा। मृतक की पत्नी राधिका ने बताया कि उनके पति की हत्या की गई है। किसी का भी जब एक्सीडेंट होता है तो उसके सारे शरीर पर चोट के निशान होते हैं, लेकिन उनके सिर्फ सिर पर चोट थी। ऐसा लगता था जैसे किसी ने उनके पीछे से वार किया हो। मनोज को मारने का कारण राधिका रुपयों की बात करती है। वह कहती है कि मनोज घर से चार लाख रुपए लेकर गए थे। लेकिन जब वह घायल व्यवस्था में मिले तो उनके पैंट की जेब में सिर्फ 30 हजार रुपये थे। वह कहती है कि एक स्थानीय भाजपा नेता ने जो विधायक का खास आदमी है, ने मुझसे लिखवाया कि उनका एक्सीडेंट हुआ है। मुझसे कहा गया कि अगर इसको एक्सीडेंट दिखाएंगे तो हम तुम्हें सरकार से पैसा दिलवायेंगे। नेता जी ने सरकार से 50 हजार रुपये दिलवाने का वादा किया था। लेकिन आज सात माह बाद भी हमें एक भी पैसा नहीं मिला। उधर मृतक की मां मुन्नी देवी भी अपने बेटे की हत्या में चार लोगों के नाम ले रही है। इन चार आरोपी लोगों के नाम लिखकर वह कई बार जनता दरबार में जिलाधिकारी और एसएसपी के समक्ष रिपोर्ट दर्ज करने की गुहार लगा चुकी है। लेकिन गरीब की कोई नहीं सुनता। ‘दि संडे पोस्ट’ टीम ने जब घटना स्थल किच्छा स्थित आदित्य चौंक पर नालंदा स्कूल के सामने जाकर स्थिति का जायजा लिया तो कोई भी बोलने को तैयार नहीं हुआ। एक्सीडेंट के बारे में हर किसी ने अनभिज्ञता जाहिर की।

बात अपनी-अपनी

जिस महेंद्र पाल पर मृतक की पत्नी आरोप लगा रही है कि उसने मुझसे सरकार से पैसा दिलवाने का आश्वासन देकर यह लिखवाया कि मेरा पति एक्सीडेंट में मरा है, उसका दोष सिर्फ इतना है कि उसने जनता दरबार में मृतक परिवार से यह पूछ लिया था कि उनके पास चार लाख रुपया कहां से आया। उसी दिन से मृतक के परिजन महेंद्र पाल पर आरोप लगा रहे हैं। इस मामले में मैं भी चाहता हूं कि मृतक के परिवार को न्याय मिले। मैंने मृतक की मां मुन्नी देवी को बुलाया है, उन्हें लेकर मैं एसएसपी के पास जाऊंगा और रिपोर्ट दर्ज कराऊंगा।
राजेश शुक्ला, विधायक किच्छा

मनोज की एक्सीडेंट में मौत हुई है। घटना स्थल पर जाकर हमने कई लोगों के बयान ले लिये हैं। सभी के बयानों को लेकर कलम बंद कर कोर्ट में 156 (तीन) के तहत दे दिया गया है। मृतक की मां सदमे में हैं। वह उन लोगों पर ही अपने बेटे की हत्या का आरोप लगा रही है जो उसको एक्सीडेंट के बाद अस्पताल लेकर आए थे। जब कोई व्यक्ति किसी को मरेगा तो वह उसे अस्पताल क्यों लेकर आएगा। दूसरी बात यह भी कि एक मजदूर व्यक्ति जिसके पास कुछ नहीं उसे कौन मारेगा।
एमसी जोशी, जांचकर्ता किच्छा थाना

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