कर्नाटक विधान परिषद में आज सुबह लोकतंत्र के साथ जो मजाक हुआ। कांग्रेसी सदस्यों एमएलसी ने विधान परिषद के उप सभापति के साथ जिस तरह धक्का-मुक्की की, उन्हें जिस तरह अपनी ओर खींचा उसको लेकर कहा जा रहा है कि कांग्रेस की असली नाराजगी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कुमार स्वामी को लेकर है। उप सभापति तो सिर्फ हंगामे का बहाना बन गए। कांग्रेस का कहना है कि उसके सदस्यों ने विधान परिषद में इसलिए हंगामा किया कि भाजपा और जेडीएस ने उपसभापति को गैर कानूनी तरीके से कुर्सी पर बिठाया, लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इसकी वजह पूर्व मुख्यमंत्री कुमार स्वामी की भाजपा से बढ़ती करीबी है।
दरअसल, हाल में जेडीएस नेता कुमार स्वामी ने कहा कि पूर्व में कांग्रेस के साथ सरकार बनाना उनकी भूल थी। कांग्रेस के जाल में फंसकर उन्होंने जनता का भरोसा खोया। उन्होंने कहा था कि यह अलग बात है कि वे अपने पिता एचडी देवगौड़ा की धर्म निरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता का सम्मान करते हैं, लेकिन कांग्रेस से हाथ मिलाने का उन्हें भारी नुकसान हुआ। कुमार स्वामी की इन बातों से हर कोई समझ सकता है कि वे भाजपा के करीब और कांग्रेस से दूर हो रहे हैं।
गौरतलब है कि 2018 में जेडीएस और कांग्रेस ने मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी, लेकिन बहुत जल्द ही दोनों दलों में मतभेद हो गए और सरकार गिर गई थी। आज विधान परिषद में कर्नाटक मवेशी बध रोक थाम कानून पर चर्चा होनी थी। कर्नाटक विधान परिषद में ”कर्नाटक मवेशी वध रोकथाम और संरक्षण विधेयक-2020” यह बिल 9 दिसंबर को ही विधानसभा में पारित हो चुका है। वहां भी कांग्रेस के विधायकों ने इस विधेयक को लेकर हंगामा किया था। कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने विधानसभा का बहिष्कार भी किया था। हालांकि, इस पर चर्चा नहीं हो सकी थी।
कर्नाटक के कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राज्य में गोहत्या पर रोक लगाने वाला कानून लाना सही नहीं होगा। इस कानून के आने के बाद से अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ जाएंगे। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा ने राजनीतिक फायदे के लिए यह कानून लाने का फैसला लिया है। राज्य में अगले महीने दो चरणों में ग्राम पंचायत चुनाव होंगे। ऐसे में यह कानून लाकर भाजपा इमोशनल कार्ड खेल रही है।
क्या है कानून में ;
1 -कर्नाटक में गोहत्या पर पूरी तरह से रोक लग गई है।
2 -गाय की तस्करी, अवैध ढुलाई, अत्याचार और गो हत्या करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।
3 -भैंस और उनके बछड़ों के संरक्षण का भी प्रावधान है।
4 -ऐसा करने वाले आरोपी के खिलाफ तेज कार्यवाही के लिए विशेष कोर्ट के गठन का भी प्रावधान है।
5 -विधेयक में गौशाला स्थापित करने का भी प्रावधान किया गया है।
6 -पुलिस मामले की जांच कर सकेगी।
विधान परिषद में सदन की मर्यादा उस समय तार-तार हो गई, जब कांग्रेस एमएलसी ने जबरदस्ती विधान परिषद के अध्यक्ष को कुर्सी से उतार दिया। इस मामले में कांग्रेस एमएलसी प्रकाश राठौड़ ने कहा कि बीजेपी और जेडीएस ने जब सदन ऑर्डर में नहीं था, तब गैरकानूनी तरीके से चेयरमैन बना दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी के द्वारा यह असंवैधानिक काम करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने उन्हें चेयर से नीचे उतरने को कहा। हमें उन्हें कुर्सी से उतारना पड़ा, क्योंकि यह अवैध था। इस घटना के बाद सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सी एम इब्राहिम ने जनता दल (सेकुलर) के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा से कल 14 दिसंबर को मुलाकात की, जिसके बाद इब्राहिम के जल्द ही कांग्रेस छोड़ने की अटकलें शुरू हो गई । कुछ दिन पहले ही कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने विधान परिषद सदस्य इब्राहिम से मुलाकात की थी। खबरों के मुताबिक शिवकुमार ने उनसे पार्टी नहीं छोड़ने का आग्रह किया था।
जेडीएस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने सात दिसंबर को इब्राहिम के घर जाकर उनसे मुलाकात की थी और पार्टी में लौटने का न्योता दिया था। कुमार स्वामी, जेडीएस विधायक आर मंजूनाथ और पार्टी नेता सुरेश बाबू आज 15 दिसंबर की बैठक में उपस्थित थे। सूत्रों ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के आवास पर आज हुई बैठक में नेताओं ने इब्राहिम के पार्टी में शामिल होने की संभावना और आगे के राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा की। सूत्रों के अनुसार इब्राहिम की नजर जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री इब्राहिम एक समय देवेगौड़ा के खास थे और जेडीएस छोड़कर 2008 में कांग्रेस में शामिल हो गये थे। सूत्रों ने बताया कि वह विधान परिषद में विपक्ष के नेता के पद के लिए अपने नाम पर विचार नहीं होने के बाद से कांग्रेस नेताओं खासकर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से नाराज हैं।