महंगाई पर संसद से सड़क तक जारी है हंगामा कुछ दिन पहले केंद्र दूध, आटा, दही और अनाज जैसी रोजमर्रा इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं को भी अब जीएसटी के दायरे में लाने के बाद सरकार के इस फैसले का विरोध संसद से लेकर सड़कों तक पहुंच गया है। आम आदमी सहित विपक्षी दलों द्वारा सवाल उठाया जा रहा है कि जिन वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया था उस पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किसका था। लोकसभा और राज्यसभा में महंगाई के मुद्दे को लेकर खूब हंगामा जारी है।
विपक्ष ने सदन में लगातार महंगाई पर चर्चा की मांग कर रहा है। जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही नहीं हो पा रही है। हंगामा इतना तेज है कि उप सभापति हरिवंश की चेतावनी के बावजूद भी विपक्षी सांसद चुप नहीं हुए तो उपसभापति द्वारा टीएमसी के सात, डीएमके छह, टीआरएस के तीन, सीपीएम के दो और सीपीआई के एक सांसद और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह समेत 19 सांसदों को एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया गया है । केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को कोविड हुआ है । इसलिए वह सदन में नहीं आ सकीं. इस वजह से महंगाई के विषय पर चर्चा नहीं हो सकी।
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान भी यह प्रश्न उठाया गया। भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने प्रश्न किया कि जिस बैठक में दही ,अनाज, लस्सी आदि पर जीएसटी लगाए जाने का फैसला लिया गया था। उसमें दिल्ली, केरल, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के मंत्रियों की मंजूरी थी या नहीं । जिसका जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने कहा अनाज, दही, लस्सी सहित विभिन्न वस्तुओं पर माल और सेवा पर जीएसटी लगाए जाने का फैसला विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह जीओएम ने सर्वसम्मति से लिया था। राज्य मंत्री पंकज चौधरी के अनुसार लखनऊ में हुई जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में कई राज्यों के मंत्रियों का एक समूह (जीओम) बनाने का फैसला किया गया था। इस समूह में कर्नाटक, बिहार, केरल, गोवा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल जैसे प्रदेशों के मंत्री शामिल थे ,जीओम सर्वसम्मति से फैसले लेता है। वित्त मंत्री के अनुसार जीएसटी का फैसला भी सबकी सहमति से लिया गया है ।
सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने के बाद देशभर में “एक देश ,एक मूल्य “का सिद्धांत लागू किया गया है । इसी सिद्धांत के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर समान जीएसटी लागू किये जाने को लेकर भाजपा सदस्य अशोक वाजपेयी द्वारा सवाल उठाया गया। जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह के फैसले जीएसटी परिषद लेती है और परिषद में यह प्रस्ताव आया था। इसलिए पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने के प्रस्ताव को लेकर अभी विचार किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी परिषद की सर्व सहमति के बाद 18 जुलाई को दही, पनीर, गुड, चीनी, शहद, लस्सी, चावल, आटा, और ब्रेड जैसी रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली चीजों पर 5% की GST लगा दी गई । हालांकि इससे पहले यह सभी उत्पाद जीएसटी के दायरे से रखे गए थे।
गौरतलब है कि हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी जीएसटी को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देने के लिए एक ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्यों द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स को ध्यान में रखते हुए, जब जीएसटी लागू किया गया था, तो ब्रांडेड अनाज, दाल, आटे पर 5 फीसदी की GST दर लागू की गई थी। लेकिन इस प्रावधान का दुरुपयोग देखने को मिला और धीरे-धीरे इन वस्तुओं से जीएसटी राजस्व में काफी गिरावट दर्ज की गई। जिसके बाद सरकार की फिटमेंट कमेटी ने इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी पैकेज्ड और लेबलयुक्त सामानों पर समान रूप से जीएसटी लगाने का प्रस्ताव दिया था।
सूत्रों के अनुसार प्री-पैक्ड फूड आइटम्स को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला तब लिया गया, जब राज्यों के प्रतिनिधियों ने राजस्व के नुकसान को लेकर प्रतिक्रिया दी। राज्य पहले फूड प्रोडक्ट पर वैट लगाकर राजस्व हासिल करते थे। जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके बाद ही जीएसटी काउंसिल द्वारा प्री-पैक्ड फूड आइटम्स को जीएसटी के दायरे में शामिल किया गया। सीबीडीटी के अनुसार अनाज, दाल और आटे जैसे खाद्य वस्तुओं पर 25 किलोग्राम वाले सिंगल पैकेट पर जीएसटी लगेगा। केंद्र वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने जीएसटी ऑन प्री पैकेज्ड एंड लेबल्ड से संबंधित कई चीजों को स्पष्ट किया है। इसके मुताबिक रोजाना खाने वाली वस्तुओं की पैकिंग लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 के तहत होती है ,तो 25 किलो से अधिक के वजन पर जीएसटी नहीं लगेगा।