गुजरात के बोटदा जिले में जहरीली शराब से हो रही लोगों की मौतों से पूरे राज्य में अफरा तफरी मची हुई है । वहीँ इस मामले को लेकर सियासत भी गरमाने लगी है। जहरीली शराब पीने से अब तक लगभग 55 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं करीब 150 से ज्यादा लोग इसकी चपेट में हैं। बताया जा रहा है कि जहरीली शराब पीने के बाद कई लोगों को उल्टी, दस्त , बुखार की शिकायत होने के बाद धीरे-धीरे लोगों की हालत गंभीर होने लगी। जिनका इलाज अहमदाबाद के अस्पतालों में चल रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब राज्य में शराब पर पूर्णतः प्रतिबंध है तो शराब कैसे पहुँची। ऐसे में राज्य की सत्ताधारी पार्टी भाजपा पर विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाए हैं कि सरकार के संरक्षण में राज्य में शराब परोसी जा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने गुजरात में जहरीली शराब से हुई इस घटना को लेकर खेद जताया है और इस घटना का जिम्मेदार सरकार को ठहराया है। केजरीवाल ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि शराब की बिक्री बंद होने के बावजूद भी राज्य में भारी मात्रा में शराब की बिक्री की जाती है। केजरीवाल के अनुसार शराब बेचने वालों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने कहा है कि ये कौन लोग है जो इसकी बिक्री करते हैं और इसका पैसा किसके पास जाता है इसकी जांच की जानी चाहिए।
निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने मांग की है कि राज्य निगरानी प्रकोष्ठ के प्रमुख पुलिस अधीक्षक निर्लिप्त राय को जहरीली शराब की घटना की जांच का जिम्मा सौंपा जाए। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव इसुदान गढ़वी ने विफलता के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी के इस्तीफे की मांग की है।हालांकि मामला बढ़ता देख मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने उच्च स्तरीय की बैठक के बाद आगे की कार्यवाई के लिए आदेश दियाहै । बैठक में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, फोरेंसिक विशेषज्ञ समेत स्वास्थ्य अधिकारियों को शामिल किया गया। मामले की गंभीरता को समझते हुए आतंकवाद निरोधी दस्ता ( एसआईटी) और अहमदाबाद अपराध शाखा ब्रांच इस मामले की जांच के लिए जुड़ गई है। जिसके बाद मुख्य आरोपी समेत 14 आरोपियों को हिरासत में लिया गया।
मेथनॉल अल्कोहल ने ली लोगों की जान
एक पीड़ित के अनुसार रविवार की रात को लोगों ने तस्कर द्वारा शराब खरीदी।जिसके बाद से ही कुछ लोगों की मृत्यु हो गई तो कई लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए। एक पीड़ित की पत्नी अनुसार उसके पति ने देर रात शराब पी जिसके बाद से उसकी हालत गंभीर हो गई। जहरीली शराब पीने की वजह से गांव के कई लोग अस्पताल में भर्ती किये जा चुके है। खबरों के अनुसार ये शराब पाउच में खरीदे गए थे। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच द्वारा बीते सोमवार को जहरीली शराब बनाने वाले मुख्य आरोपी को हिरासत में लिया गया। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी से पूछताछ की। आरोपी के अनुसार शराब फैक्ट्री में मेथनॉल की आपूर्ति की जा रही थी। मेथेनॉल मिलावट युक्त शराब को अहमदाबाद से जिले में सीधे सप्लाई किया जाता था। फोरेंसिक जांच में भी मौत की वजह शराब में मिली मिथाइल अल्कोहल को बताया गया। में भी इस मामले में जिला प्रभारी मंत्री वीनू मोरदिया ने कहा है कि दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगाी।
जहरीली शराब को लेकर विपक्ष ने साधा निशाना
जहरीली शराब को लेकर विपक्ष पार्टी ने भी राज्य सरकार पर निशाना साध दिया है। राजधानी के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने गुजरात में जहरीली शराब से हुई इस घटना को लेकर खेद जताया है। और इस घटना का जिम्मेदार सरकार को ठहराया है। केजरीवाल ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि शराब की बिक्री बंद होने के बावजूद भी राज्य में भारी मात्रा में शराब की बिक्री की जाती है। केजरीवाल के अनुसार शराब बेचने वालों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। ये कौन लोग है जो इसकी बिक्री करते है और इसका पैसा किसके पास जाता है इसकी जांच की जानी चाहिए।
शराबबंदी सिर्फ कागजों पर मौजूद है।
गौरतलब है कि राज्य में 1960 से शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है। जहरीली शराब की त्रासदी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी राज्य में जहरीली शराब के कारण कई लोगों की मौत हो चुकी है। वर्ष 2008 में जहरीली शराब पीने की वजह से करीब 150 लोगों की जान गई थी। ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि प्रतिबंध होने के बावजूद भी लोगो तक शराब कैसे पहुँच रही है। राज्य में 2017 से ही शराब प्रतिबंध को लेकर कड़े कानून बना दिए गए थे। जिसके तहत यदि कोई शराब बेचता है या खरीदता है तो उसे 10 साल कैद और 5 लाख रुपये जुर्माने की सजा हो सकती है। इसके बावजूद भी राज्य में शराब बिक्री पर प्रश्न उठ रहें है। दरअसल हाल ही में छोटे उदयपुर में बीजेपी के जिलाध्यक्ष रश्मिकांत वसावा एक कार्यक्रम में शराब के नशे में धुत्त होकर पहुंचे थे। जिसके बाद कांग्रेस के लीडर जगदीश ठाकोर ने रश्मिकांत वसावा का वीडियो को ट्वीट कर लिखा था कि “गुजरात में शराबबंदी की हकीकत बयां करते हुए छोटे उदयपुर के भाजपा जिलाध्यक्ष। क्या यही है भाजपा सरकार की शराबबंदी? जगदीश ठाकोर के अनुसार शराबबंदी सिर्फ कागजों पर मौजूद है। क्योंकि यहां हर जगह दारू मिलती है। ये वीडियो वायरल होने के बाद रश्मिकांत वसावा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।