झारखंड में जहां एक और महिला विकास के लिए और उनकी शिक्षा को लेकर सरकार कई प्रयास कर रही है वही आए दिन महिलाओं के साथ हो रही हिंसा को लेकर कई मामले देखने -सुनने को मिलते हैं। हाल ही में एक मामला झारखंड के पलामू जिले से सामने आया है। जहां भरी पंचायत में एक युवती को शारीरिक और मानसिक रुप से प्रताड़ित किया गया। युवती को भरी पंचायत में उसके बाल मुड़वा कर उसी जलील किया गया। उसके माथे पर चूना टीका लगाकर उसे जूते चप्पलों की माला पहना कर गांव घुमाया गया। उसके बाद गांव से निकाल कर उसे जंगल में मरने के लिए छोड़ दिया गया। युवती रात भर जंगल में रोती रही। मामले की सूचना मिलने पर पुलिस ने उसे इलाज के लिए एमआरएमसीएच मेदिनीनगर में भर्ती कराया।
पाटन थाना क्षेत्र के जोगियाही पंचायत की रहने वाली 25 साल की युवती की शादी 19 अप्रैल होनी थी। लेकिन बरात आने पर वह घर से चली गई। जिसके बाद बरात को वापिस लौटना पड़ा। जिससे परिजन समेत पूरा गांव गुस्से में आ गया। कुछ दिनों बाद युवती ने अपनी भाभी को बताया कि वो छतरपुर इलाके में रह रही हैं। उसके बाद ही परिजनों द्वारा 13 मई को घर ले आया गया। चचेरे भाई के अगुवाई में पंचायत बुलाई गई। जहां उसे प्रताड़ित किया गया।
खबरों अनुसार युवती की भाभी ने पंचायत के आदेश पर उसके बाल काटे थे। पंचायत के दौरान सतेंद्र उरांव, बालेश्वर उरांव, पच्चू राम ने उसकी पिटाई की थी। युवती के अनुसार शादी करने की उसकी कोई इच्छा नहीं थी उसके बावजूद उसकी शादी करवाई जा रही थी। पंचायत के दौरान युवती को लेकर कहा गया कि उसने शादी न करके परिवार और गांव की इज्जत मिट्टी में मिलाई है। यहां तक की उसकी हत्या की भी बातें की जा रही थी। इस मामले में पुलिस द्वारा जांच पड़ताल की जा रही है।
इस तरह की यह पहली कोई घटना नहीं है। पिछले महीने 4 अप्रैल को झारखंड के लातेहार जिला के महुआडांड़ थाना क्षेत्र के ओसरा पंचायत के भेड़िगझार में एक वृद्ध दंपति पर डायन बिसाही होने का आरोप लगाया गया था। उस दौरान भी ग्रामीणों द्वारा दंपत्ति के सिर मुड़वा और चुना लगा कर पूरे गांव में घुमाया गया था, हालांकि ग्रामीणों द्वारा किया गया अमानवीय कृत्य की सूचना मिलने के बाद लातेहार जिला के पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई ग्रामीणों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। तंत्र -मंत्र और पुरानी कुरीतियों के नाम पर अक्सर झारखंड राज्य से महिला हिंसा की खबरें आती है।
झारखंड में महिला के प्रति हिंसा को लेकर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य संरक्षण (एनएफएचएस) के आकड़े भी संकेत करते हैं। एनएफएचएस-पांच के आंकड़ों मुताबिक 18-49 साल की गांव की 33.4 फीसदी विवाहित महिलाएं कभी न कभी घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं। एक अन्य आंकड़े की बात करें तो गर्भावस्था के दौरान 3.4 फीसदी ग्रामीण महिलाओं के साथ शारीरिक हिंसा हुई है। वहीं 18-29 वर्ष की 1.5 ग्रामीण युवतियां हिंसा की शिकार हुईं हैं।
देश में सुरक्षित नहीं महिलाएं