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पाकिस्तान में गहराया नया संकट

पड़ोसी देश पाकिस्तान में काफी समय से सियासी उथल – पुथल और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के बीच अब एक नया संकट गहरा गया है। दरअसल देश भारी आर्थिक संकटों का सामना कर रहा है। हालत इतनी ख़राब होने लगी है कि लोग आत्महत्या तक करने को मजबूर हैं। बढ़ती मेहगाई और खाने पीने की वस्तुओं समेत दवाइयों की भारी कमी और उनकी बढ़ती कीमतों के कारण आम आदमी को जीने के लिए कठोर संघर्ष करना पड़ रहा है। एक ओर जहां महगाई आसमान छू रही है वहीं दूसरी और देश में मानसिक अवसाद के मरीज लगातार बढ़ रहें हैं । कई शहरों में मरीजों के लिए दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं । जो दवाइयां उपलब्ध हैं उनकी कीमत इतनी ज्यादा है कि आम लोगों के लिए उन्हीं खरीद पाना मुमकिन नहीं है।

प्रसिद्ध मनोचिकित्सक के अनुसार “लिथियम कार्बोनेट” जो कि “बाइपोलर डिसआर्डर विकार” और अन्य मानसिक रोगों से ग्रस्त मरीजों के लिए ये दवा जरूरी होती हैं । इसे बिक्री करने वाला कोई भी ब्रांड बाजारों में नहीं है। पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, शिफा इंटरनेशनल हॉस्पिटल इस्लामाबाद और मेयो हॉस्पिटल लाहौर के कई मनोचिकित्सकों ने भी इसकी पुष्टि की है।

मानसिक विकारों सहित मिर्गी के लिए भी अन्य दवाएं मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं हैं । देश में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर जैसे मानसिक विकारों से ग्रसित हो रहे बच्चों के लिए भी इलाज के लिए मिथाइलफेनाडेट और वयस्कों में मिर्गी के लिए क्लोनाज़ेपम ड्रॉप्स और टैबलेट सहित कुछ अन्य आवश्यक दवाएं भी बाजार में नहीं है। इस्लामाबाद और लाहौर के फार्मेसियों के किये गए सर्वेक्षण के अनुसार भी देश भर में कई बीमारियों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं भी अनुपलब्ध हैं। टीबी, मिर्गी, पार्किंसंस रोग, अवसाद, हृदय रोग और अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों को दवाएं नहीं मिल रही है । कहा जा रहा है कि दवा कंपनियों ने उत्पादन की लागत बढ़ जाने से इन दवाओं का उत्पादन करना बंद कर दिया है। देश भर में लोग कई मानसिक रोगों सहित अन्य बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। दवाओं के न होने के कारण मरीजों का सही इलाज नहीं हो पा रहा। जिससे करीब 23 करोड़ जनसंख्या वाले देश में आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान में हर साल आत्महत्या की कोशिशों के करीब 1 लाख 30 हजार से लेकर 2 लाख 70 हजार मामले दर्ज किये जाते हैं।

गौरतलब है कि गूगल कंपनी ने पाकिस्तान में आये इस नए संकट से उभारने के लिए तरीका खोज निकाला है। बीते महीने जून में गूगल द्वारा पाकिस्तान में आत्महत्या के मामलों की बढ़ती संख्या और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए एक ‘सुसाइड हॉटलाइन’ शुरू करने को लेकर एक गैर सरकारी संगठन उमंग से हाथ मिलाया गया है। उमंग एक मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन है जो आत्महत्या करने के बारे में सोचने वाले लोगों को यह कदम नहीं उठाने में मदद करता है।
पाकिस्तान नागरिकों द्वारा आत्महत्या करने की जिज्ञासा रखने वाले लोग आत्महत्या में मदद ,आत्महत्या कैसे करें! जैसे सवालों के जवाब गूगल पर खोजते हैं। जिसका डाटा गूगल उमंग हेल्पलाइन के पास भेजता है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मान्यता भी प्राप्त है। संगठन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी किंजा नईम के अनुसार देश में 40 फीसदी आबादी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित हैं।

 

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