14 अगस्त 2019
देश का झंडा फहराने पर भोगी थी सजा।
कालाढूंगी (नैनीताल) दि संडे पोस्ट कोटाबाग के संवाददाता आशीष ढोंडियाल के पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हरीश चंद्र ढोंडियाल आजादी का 73 वां पर्व नहीं देख सके। उनका लम्बी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया। आंवलाकोट कोटाबाग निवासी 95 वर्षीय ढोंडियाल के निधन से कोटाबाग क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी। हरीश चंद्र ढोंडियाल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गढ़ माने जाने वाले कोटाबाग में एक मात्र जीवित बचे थे।
ढोंडियाल के निधन की खबर पर कालाढूंगी तहसीलदार गोपाल राम आर्य सहित कई प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके घर पहुंचकर शोक संवेदना व्यक्त की। तथा चित्रशिला घाट रानीबाग में उनके अंतिम संस्कार में पहुंचकर कई प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें अंतिम सलामी दी। 20 नवम्बर 1924 में आंवलाकोट कोटाबाग में जन्में हरीश चंद्र ढोंडियाल ने प्रथम पढ़ाई कोटाबाग में ही की उसके बाद काशीपुर फिर लखनऊ तथा बरेली में पढ़ाई की। स्व ढोंडियाल में शुरुआती पढ़ाई के दौर से ही आजादी की ललक थी और वह आजादी आंदोलन से जुड़ने लगे थे। लखनऊ स्थित एक कॉलेज में अपनी पढ़ाई के दौरान आयोजित एक सभा में उन्होंने देशप्रेम में देश का झंडा फहराया तो उन्हें इसका खामयाजा भुगतान पड़ा था। इसके बाद वह खुलकर देश की आजादी के लिए होने वाले आंदोलन में खुलकर प्रतिभाग करने लगे। जब अंग्रेजों देश छोड़ो आंदोलन तेज हुआ वह पीएचडी कर रहे थे उन्होंने उस समय पीएचडी की पढ़ाई बीच में छोड़कर आजादी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गए।
फोटो। हरीश चंद्र ढोंडियाल।