उत्तर- कोरिया द्वारा एक बार फिर शुक्रवार देर रात (भारतीय समय अनुसार गुरुवार देर रात) को दो प्रोजेक्टाइल मिसाइल दागी गयी। बीते तीन सप्ताह के अंदर उत्तर -कोरिया द्वारा छठी बार मिसाइले दागी गयी है जिससे अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव और बढ़ सकता है।
उत्तर कोरिया द्वारा ये दो मिसाइल पूर्वी तट से दागी गयी हैं। हालांकि अभी यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि ये मिसाइलें किस तरह की क्षमता रखने वाली थीं। लेकिन माना जा रहा है कि ये कम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल हो सकती हैं, जिनका उत्तर कोरिया इस वर्ष कई बार परीक्षण कर चुका है। एक अन्य मीडिया रिपोर्ट द्वारा जानकारी दी गई है कि दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ (जेसीएस) ने कहा , कि उत्तर कोरिया द्वारा शुक्रवार 16 अगस्त (भारतीय समयानुसार गुरुवार देर रात) ताजा मिसाइल परीक्षण किया गया है। साथ ही दक्षिण कोरिया की सेना के हवाले से कहा गया है कि दोनों मिसाइलें कांगवोन प्रांत के तोंगचोन शहर के पूर्वी तट से दागी गईं। जिसे जापान के समुद्र क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। जेसीएस द्वारा कहा गया कि दक्षिण कोरिया की सेना उत्तर कोरिया के इन परीक्षणों पर नजर बनाए हुए है और हर स्थिति से निपटने को तैयार है।इन परीक्षणों की वजह किम जोंग द्वारा पहले ही बता दी गयी हैं कि आखिर क्यों उनका देश यह परीक्षण कर रहा है?
गौरतलब है कि अधर में लटके उत्तर- कोरिया और अमेरिकी सेना के संयुक्त युद्ध अभ्यास और यूएस से मिलने वाली बार-बार की धमकियों ने किम जोंग की नाराजगी बढ़ा दी है। परमाणु हथियारों को नष्ट करने को लेकर उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच चल रही बातचीत के किसी नतीजे पर नहीं पहुंचने को लेकर भी तानाशाह किम जोंग का गुस्सा बढ़ा हुआ है। दोनों ही देश इस संबंध में पिछले एक महीने से बातचीत के दौर से गुजर रहे हैं। किम जोंग की मंशा है कि कुछ हथियार नष्ट करने से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनके देश पर लगाए प्रतिबंधों को हटा लें। जबकि राष्ट्रपति ट्रंप उत्तर कोरिया के ऐसे सभी हथियार नष्ट कर देने के बाद प्रतिबंध हटाने की बात पर अड़े हुए हैं।
इससे पूर्व भी उत्तर-कोरिया द्वारा पांच बार मिसाइल्स का परीक्षण किया जा चुका है और ये उसका तीन सप्ताह के अंदर छठी बार किया गया मिसाइल परीक्षण है। माना जा रहा है कि तानाशाह किम जोंग द्वारा लगातार मिसाइल परीक्षण करना दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है। उत्तर कोरिया के इस परीक्षण को अमेरिका के समक्ष उसकी सैन्य ताकत में इजाफा करने के तौर पर देखा जा रहा है।