जेट एयरवेज को आखिरकार अपना नया मालिक मिल गया है। कोरोना संकट काल में जब सभी एयरलाइंस की हालत खस्ता है, ऐसे में यह खबर जेट एयरवेज एयरलाइन्स में नई जान फूंक सकती है।करीब एक साल पहले पैसों की तंगी के चलते बंद पड़े जेट एयरवेज एयरलाइन्स एक बार फिर उड़ान भरने को तैयार है।
एक समय दिवाला प्रक्रिया के तहत भेजी गई एयरलाइंस कंपनी जेट एयरवेज की फ्लाइट्स अब 2021 की गर्मियों में फिर शुरू हो जाएंगी। संयुक्त अरब अमीरात के कारोबारी मुरारी लाल जालान और लंदन की कालरॉक कैपिटल के संयुक्त उपक्रम हारा का परिचालन 2021 की गर्मियों में फिर शुरू हो सकता है। इस संयुक्त उपक्रम ने जेट एयरवेज के रिवाइवल की बोली जीती है। अब गठजोड़ को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) तथा अन्य नियामकीय मंजूरियों का इंतजार है।
जेट एयरवेज को नागर विमानन मंत्रालय (Civil Aviation Ministry) और नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) से फ्लाइट्स के लिए समय व द्विपक्षीय यातायात अधिकार की बहाली का इंतजार है। इसके अलावा गठजोड़ की योजना एयरलाइन का परिचालन फिर शुरू होने के बाद फ्रेट सर्विस शुरू करने की है। कर्जदाताओं की समिति (COC) अक्टूबर 2020 में ही गठजोड़ की ओर से जमा कराए गए रिवाइवल प्लान को मंजूरी दे चुकी है। नकदी संकट की वजह से जेट एयरवेज का परिचालन 17 अप्रैल 2019 को बंद हो गया था। इसके बाद जून 2019 में उसे दिवाला प्रक्रिया के तहत भेज दिया गया था।
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जेट एयरवेज कभी देश की सबसे बड़ी प्राइवेट कंपनी थी। लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि कंपनी डूब गई। अगर हम इसके इतिहास को देखें तो कंपनी भले ही अप्रैल 2019 में डूबी हो लेकिन इसके डूबने की शुरुआत 2018 की दिवाली से ही हो गई थी।
दिवाली का ही वक्त था जब नरेश गोयल अपने फाइनेंशियल एडवाइजर्स के साथ दीपक पारेख से सलाह लेने मुंबई के उनके घर पर गए थे। वह जानना चाहते थे कि जेट एयरवेज को कैसे बचाया जाए। तब टाटा ग्रुप संकट में घिरी जेट को खरीदना चाहता था। उस वक्त TPG कैपिटल की अगुवाई में एक प्राइवेट इक्विटी कंसोर्शियम भी दौड़ में था।
तब दीपक पारेख ने नेरश गोयल को यह सलाह दी थी कि वह पीछे हट जाएं और नए निवेशकों को मौका दें। पारेख अबू धाबी सरकार के मुख्य सलाहकार थे। और अबू धाबी की सरकारी एयरलाइन कंपनी एतिहाद, जेट की पार्टनर थी।
नरेश गोयल की मनमर्जी पड़ी भारी :
नरेश गोयल की दोस्ती कई नेताओं, पॉलिसीमेकर्स, चीफ एग्जिक्यूटिव, एयरलाइन लीज पर देने वालों और मैन्युफैक्चर्स से हैं। जेट एयरवेज को बचाने के लिए उन्होंने सबकी बात सुनी लेकिन की अपने मन की। उन्होंने पद छोड़ने से मना कर दिया। गोयल को यह भरोसा था कि वह अपनी कंपनी बचा लेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अभी तक इस डील में रूचि ले रहे टाटा ग्रुप ने भी अपना हाथ पीछे खींच लिया।
कारोबार बंद करने से कुछ दिन पहले तक जेट एयरवेज को हर दिन 21 करोड़ का लॉस हो रहा था। इसके अलावा कंपनी पर कम से कम 1500 करोड़ रुपए का कर्ज था।
जेट एयरवेज का कारोबार अगर डूबा है तो यह उसके प्रमोटर की नाकामी भी है। इंडस्ट्री के कई लोगों कहते थे कि गोयल का मानना है कि मैं ही जेट एयरवेज में हूं। जब लोग जेट एयरवेज की तरफ देखते हैं तो वो मेरी तरफ देखते हैं। गोयल बातचीत करने में माहिर थे। अपने जवाब से वह सबको लाजवाब कर देते थे। लेकिन जेट एयरवेज की हालत देखकर लगता है कि वह बात करते रह गएं और कंपनी बिना किसी काम की रह गई।
कई जानकारों का कहना है कि जेट की मुश्किल तब से शुरू हुई जब गोयल ने 2007 में प्रतिद्वंदी कंपनी सहारा को 1450 करोड़ रुपए में खरीदा था। इस डील के साथ ही जेट फाइनेंशियल, लीगल और HR की कई मुश्किलों में फंस गई। गोयल ने एयर डक्कन, इंडिगो और स्पाइसजेट को टक्कर देने के लिए सहारा को खरीदा था। लेकिन यह रणनीति पूरी तरह उल्टी पड़ गई। साथ ही गोयल ने IPO का पैसा नए प्लेन ऑर्डर करने में खर्च कर दिया। इसके बाद छोटी-छोटे ब्रेकर भी जेट के लिए बड़े हो गए। इसके बाद 2012 में किंगफिशर बंद हो गया।
इसके बाद गोयल ने दूसरी गलती कर दी। उन्होंने 10 एयरबस A330 और बोइंग 777 प्लेन का ऑर्डर दे दिया। दो तरह के प्लेन खरीदकर जेट ने अपना खर्च बढ़ाने के अलावा कुछ नहीं किया। इसके साथ ही गोयल ने सीट भी कम रखी। ग्लोबल प्रैक्टिस में जहां 400 सीटें होती हैं वहां इसमें सिर्फ 308 सीटें थीं। यानी रेवेन्यू का एक चौथाई हिस्सा खुद खत्म कर लिया।
इसके ऊपर तुर्रा ये कि गोयल यह मानने को तैयार नहीं थे कि फ़र्स्टक्लास की 8 सीटों से कोई कमाई नहीं हो रही है। उस वक्त अधिकारियों ने इन सीटों को हटाने की सलाह दी लेकिन गोयल नहीं माने। यानी 250 किलो की एक-एक सीट का बोझ बिना किसी वजह एयरक्राफ्ट पर लदा था।
नरेश गोयल ने जिन अधिकारियों को जेट एयरवेज चलाने के लिए नियुक्त किया था, उनपर कभी भरोसा नहीं किया। नरेश गोयल ने बिना किसी वजह के एयर सहारा खरीद लिया। नए महंगे एयरक्राफ्ट जोड़ लिए। गोयल आंत्रप्रेन्योर्स के लिए सबक हैं कि कोई भी फाउंडर अपनी कंपनी से बड़ा नहीं हो सकता।
दिवालिया प्रक्रिया के तहत ये रिजोल्यूशन प्लान UK की कंपनी Kalrock Capital और UAE के बिजनेसमैन मुरारी लाल जालान ने पेश किया। करीब एक साल पहले पैसों की तंगी के बाद जेट एयरवेज को बंद करना पड़ा था।
जेट एयरवेज के रिजोल्यूशन प्रोफेशनल (RP) ने BSE को दी गई जानकारी में बताया कि इस प्रस्ताव पर ई-वोटिंग हुई जिसके बाद इसे मंजूरी दी गई। ई-वोटिंग के जरिये मुरारीलाल जालान और फ्लोरिएन फ्रिट्श (Florian Fritsch) का रेज्योलूशन प्लान 17 अक्टूबर 2020 को मंजूर कर लिया गया। बंद पड़ी जेट एयरवेज को दो कंसोर्शियम से बोलियां मिलीं थी। पहली बोली में UK की Florian Fritsch की Kalrock Capital और UAE में मौजूद कारोबारी मुरारी लाल जालान शामिल थे।
दूसरी बोली हरियाणा Flight Simulation Technique Centre, मुंबई की Big Charter और अबू धाबी की Imperial Capital Investments की ओर से दाखिल की गई थी।
खस्ताहाल जेट एयरवेज:
बता दें कि एक वक्त में भारतीय एयरलाइंस की पहचान बन चुकी जेट एयरवेज पैसों की तंगी की वजह से अप्रैल 2019 में ग्राउंडेड हो गई थी। जेट एयरवेज के पास तब 120 विमानों का लंबा बेड़ा हुआ करता था, लेकिन जब एयरलाइन बंद हुई तब उसके पास सिर्फ 16 विमान ही बचे थे। मार्च 2019 को खत्म हुए वित्त वर्ष में जेट एयरवेज का घाटा 5 हजार 535 करोड़ रुपये था।