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महिलाओं की भागीदारी के बिना संभव नहीं विश्व गुरु बनना

भारत में हमेशा ही स्त्रियों को पूजनीय माना जाता रहा है,लेकिन हकीकत में ऐसा है नहीं। अधिकतर उनके साथ आए दिन दुर्व्यवहार ,शोषण के अधिकतर मामले आते रहते हैं। बीते 15 अगस्त के दिन यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले से पीएम मोदी ने ‘महिलाओं के सम्मान’ का मुद्दा गंभीरता के साथ उठाया है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में भी लोग महिलाओं का अपमान कर देते हैं। इससे न केवल महिलाओं का अपमान होता है,बल्किइससे देश-समाज का विकास भी बाधित होता है। यदि देश को 2047 में एक विकसित राष्ट्र बनने का सपना देखना है, तो महिलाओं की भागीदारी के बिना यह कार्य अधूरा रह जाएगा। अगर महिलाओं को उचित भूमिका दी जाती है तो इससे भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प आसान हो जाएगा। हालांकि इसके यह संकेत भी निकाले जा रहे हैं कि आने वाले वर्षों में केंद्र सरकार की योजनाओं में महिला योजनाएं प्रमुख बनी रहने वाली हैं। जैसे 2019 में भाजपा की सत्ता में वापसी में भी महिलाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई थी।

 

महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने को लेकर पीएम मोदी के बाद अब संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्त्रियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने और उन्हें सशक्त बनाने का अनुरोध किया है। भागवत ने कहा कि स्त्रियां पुरूषों के मुकाबले ज्यादा क्षमतावान होती हैं। महिलाओं को आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं है, वह खुद आगे बढ़ने में सक्षम हैं । उन्होंने देश की जनता से अपील की है कि स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने ये भी दावा किया कि स्त्रियों को हमारे यहां जगत – जननी है। लेकिन स्त्रियों को पुरूषों के समान मानते हुए भी उनके साथ घरों में गुलामों जैसा बर्ताव किया जाता रहा है। पुरुषों को महिलाओं को आगे ले जाने की जरूरत ही नहीं है।न ही उन्हें किसी के मार्गदर्शन की जरूरत है। वो खुद क्षमतावान हैं । महिलाओं का मार्गदर्शन पुरुषों के बस की बात नहीं। महिलाओं को लंबे समय तक सीमित दायरे में रखा जा सकता है ।

यह बात उन्होंने संघ परिवार की महिला विंग राष्ट्रीय सेविका समिति के किताब के विमोचन के दौरान यह बात कही है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोगों को महिला सशक्तीकरण की शुरुआत अपने घर से ही करनी चाहिए। यही नहीं उन्होंने महिला अधिकारों और उनके साथ होने वाले भेदभावों को लेकर कहा कि ” समाज में महिलाओं को उनका सही अधिकार मिलना चाहिए।पुरुषों और स्त्रियों के बीच होने वाले भेदभाव को भी खत्म करना जरूरी है। देश में सभी को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। पुरुष और स्त्री को समान बताते हुए उन्होंने कहा ” महिला और पुरुष गाड़ी के दो पहिए के समान हैं । महिला ज्यादा क्षमतावान या पुरुष इसपर बहस करने की जरूरत ही नहीं है। अगर हमें विश्व गुरु भारत बनना है तो इसके लिए महिलाओं की एक समान भागीदारी जरूरी है।

 

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