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कर्मचारियों के बजाए , मंदिर समितियों के लिए ममता ने खोला राजकोष

पश्चिम बंगाल हाईकोर्ट कोर्ट में कुछ महीने पहले राज्य सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों को दिए जाने वाले महंगाई भत्ता न मिल पाने को लेकर एक याचिका दायर की गई थी। जिसके जवाब में राज्य सरकार ने कहा था कि राज्य कोष में इतने पैसे नहीं है। उस दौरान कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए थे कि 3 महीने के भीतर सभी दस लाख सरकारी कर्मचारियों को भत्ता दिया जाए। लेकिन तीन महीने बीतने के बावजूद कर्मचारियों महंगाई भत्ता नहीं दिया गया है । एक बार फिर महंगाई भत्ते के लिए और राज्य सरकार द्वारा समितियों को अनुदान दिए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई है।

 

हर वर्ष दुर्गा पूजा का आयोजन होता है। जिसे बंगाल में बड़े धूम -धाम से मनाया जाता है। इसके लिए इस बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़े स्तर पर दुर्गा पूजा कराने वाली समितियों को राज्य सरकार की तरफ से अनुदान देने का फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुधीर घोष ने कोलकाता हाई कोर्ट याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा राजकोष को समितियों को अनुदान देने में लुटाया जा रहा है। याचिका कर्ता के मुताबिक पिछले दौरान जब याचिका दायर की गई थी तो कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को मांहगाई भत्ता देने का कड़ा निर्देश दिया था। उस दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को केंद्र जितना महंगाई भत्ता देने के निर्देश दिया था। राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण 2019 के आदेश को बरकरार रखते हुए, न्यायलय ने जोर देकर कहा था कि ” महंगाई भत्ता कर्मचारियों का कानूनी अधिकार है। लेकिन अभी तक राज्य सरकार द्वारा इस भत्ते को देने की कोई पहल नहीं की गई।

दरअसल सरकार अभी तक ये तय नहीं कर पाई की वह कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देगी या सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका को चुनौती देगी। हाल ही में दायर की गई याचिका के अनुसार ममता बनर्जी की सरकार दुर्गा पूजा आयोजन करवाने वाली 43 हजार पूजा समितियों को साठ -साठ हजार रुपये देने की घोषणा की है। गौरतलब है कि इससे पहले भी इसी मामले के संदर्भ में दो बार हाईकोर्ट में याचिका डाली जा चुकी है।

ममता बनर्जी द्वारा समितियों को आर्थिक अनुदान देने के साथ-साथ बिजली बिल में भी 60 प्रतिशत छूट दी गई है। सुधीर कुमार घोष के मुताबिक राज्य सरकार के इस फैसले से राज्य के वित्तीय कोष पर बड़ा असर पड़ेगा । सरकार द्वारा जो धनराशि पूजा समितियों को दुर्गा पूजा आयोजन हेतु दी जा रही है। वह राशि अगर राज्य सरकार जनहित के लिए खर्च की जाए तो राज्य का विकास हो पाएगा । इनके मुताबिक पूजा समितियों को वित्तीय सहायता देने की कोई जरूरत नहीं है।

लोग स्वेच्छा से सालों से दुर्गा पूजा के लिए करोड़ो रूपये दान देते है। कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश का राज्य सरकार के तहत अवज्ञा की जा रही है। किसी कर्मचारी को अभी तक कोई महंगाई भत्ता नहीं दिया गया। सरकार के अनुसार राजकोष में पैसा नहीं है। इसके बावजूद पूजा समितियों को अनुदान दिया जा रहा है।

वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार भी 31 प्रतिशत बकाया महंगाई भत्ते पर खर्च होने वाले भारी -भरखम रकम सुनकर राज्य सरकार परेशान है। आर्थिक तंगी से गुजर रही सरकार के लिए महंगाई भत्ते के रूप में इतनी धनराशि देना मुश्किल लग रहा है। छठवां वेतन आयोग लागू होने से पहले सरकार को महंगाई भत्ते पर प्रति महीने 25 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते थे। अब यह रकम प्रति माह 68 करोड़ होने का अनुमान है।

 

 

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