भले ही पूरी दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए प्रयास होते रहते हो। लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि हर देश खुद को सुरक्षित रखने के लिए हथियारों के निर्माण और उनकी खरीद पर काफी खर्च करता है।
गौरतलब है कि लगभग दो साल से भी अधिक समय से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। इस महामारी ने कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को अपंग कर दिया है फिर भी हथियारों की दौड़ अब तक जारी है। वहीं दूसरी तरफ रूस और यूक्रेन युद्ध ने भी बड़े पैमाने पर रक्षा खर्च को बढ़ावा दिया है। हालांकि इससे पहले भी दुनिया के कई देश अपने रक्षा खर्च पर अरबों -खरबों रुपये निवेश करते रहे हैं। लेकिन अब विश्व के मौजूदा हालातों ने दुनिया के कई देशों की चिंता को इतना बढ़ा दिया है कि आने वाले वर्षों में रक्षा पर होने वाला खर्च और बढ़ने की पूरी संभावना जताई जा रही है। स्टॉकहोम में इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि मौजूदा समय में दुनियाभर में परमाणु हथियारों की बाढ़ आ जाएगी।
स्टॉकहोम स्थित इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया की परमाणु शक्तियों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, भारत, इजरायल, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, अमेरिका और रूस के पास पिछले साल की तुलना में इस साल कम परमाणु हथियार हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल की शुरुआत में इन देशों के पास 12,705 परमाणु हथियार थे, जो पिछले साल के मुकाबले 375 कम थे। SIPRI ने यह भी स्पष्ट किया है कि 2022 में कटौती वास्तव में उन हथियारों को हटाने से संबंधित है जिन्हें अमेरिका और रूस द्वारा सेवानिवृत्त कर दिया गया है।
1986 की तुलना में यह संख्या बहुत कम हो गई है, जब दुनिया में 70,000 से अधिक परमाणु हथियार थे। लेकिन शीत युद्ध की समाप्ति के बाद, सबसे बड़ी परमाणु शक्तियों रूस और अमेरिका ने अपने हथियारों को कम करना शुरू कर दिया, जिसके कारण परमाणु हथियारों की कुल संख्या में तेजी से कमी आई।
लेकिन सिपरी ने कहा है कि परमाणु निरस्त्रीकरण का युग समाप्त होने के कगार पर है और शीत युद्ध के बाद परमाणु युद्ध का खतरा अपने चरम पर है।
सिपरी ने कहा कि पिछले साल की तुलना में परमाणु हथियारों में थोड़ी कमी आई है लेकिन आने वाले दशक में इनके बढ़ने की संभावना है। यूक्रेन के साथ युद्ध के दौरान, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक से अधिक अवसरों पर परमाणु हथियारों का उल्लेख किया है। सिपरी ने कहा कि चीन और ब्रिटेन सहित कई देशों ने आधिकारिक या अनौपचारिक रूप से अपने शस्त्रागार का आधुनिकीकरण करना शुरू कर दिया है।
हालांकि, एक तथ्य यह भी है कि परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय संधि 2021 की शुरुआत में लागू हुई और इस साल अमेरिका और रूस ने अपनी ‘न्यू स्टार्ट’ संधि को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है, जिसके तहत दोनों देश कटौती पर सहमत हैं। लेकिन सिपरी का कहना है कि पिछले कुछ समय से हालात खराब हो रहे हैं।
रूस और अमेरिका के पास दुनिया के 90 प्रतिशत परमाणु हथियार हैं। 2022 की शुरुआत तक 5,977 हथियारों के साथ रूस दुनिया का सबसे अधिक परमाणु संपन्न देश है। हालांकि, पिछले साल की तुलना में उसके भंडार में 280 हथियारों की कमी हुई है। सिपरी का अनुमान है कि रूस के पास कम से कम 1,600 हथियार हैं जिनका तुरंत इस्तेमाल किया जा सकता है।
वहीं अमेरिका के पास पिछले साल की तुलना में 120 कम यानी 5,428 परमाणु हथियार हैं। अमेरिका भले ही हथियारों के मामले में रूस से पिछड़ जाए, लेकिन उसने रूस से 1,750 अधिक परमाणु हथियार तैनात किए हैं।
कुल संख्या के मामले में चीन तीसरे नंबर पर है। इसके पास 350 परमाणु हथियार हैं। इसके बाद फ्रांस (290), ब्रिटेन (225), पाकिस्तान (165), भारत (160) और इजरायल (90) का स्थान है।
सिपरी ने पहली बार उत्तर कोरिया के हथियारों की संख्या का भी जिक्र किया। रिपोर्ट के मुताबिक, इसके पास 20 वॉर हेड्स और करीब 50 हथियार विकसित करने के लिए कच्चा माल है। इस साल की शुरुआत में सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा , “परमाणु युद्ध कभी नहीं जीता जा सकता है और कभी भी नहीं जीता जाना चाहिए”।
SIPRI का कहना है कि सभी पाँच देश अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार या आधुनिकीकरण कर रहे हैं। सिपरी ने कहा, “चीन अपने परमाणु शस्त्रागार में उल्लेखनीय वृद्धि के करीब है।