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सेना के शिकंजे में इमरान!

पाकिस्तान आर्मी चीफ असीम मुनीर और इमरान खान के बीच अदावत की खाई चौड़ी हो चुकी है। इमरान और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों की 9 मई की हरकतों से नाराज पाक सेना ने सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला बोलने के आरोप में उनके खिलाफ शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने आर्मी एक्ट, नागरिक और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करने, आगजनी, सेना अधिनियम और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम सहित देश से संबंधित कानूनों के तहत ट्रायल चलाया जाएगा। वहीं इमरान खान को देश छोड़ने का ऑफर दे कहा कि या तो देश छोड़कर चले जाओ या फिर आर्मी एक्ट का सामना करने के लिए तैयार रहो

पड़ोसी देश पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को एक ओर जहां पाक सेना ने देश छोड़ने का ऑफर दिया है। वहीं दूसरी तरफ इमरान खान ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान तबाही की तरफ बढ़ रहा है और ईस्ट पाकिस्तान मौजूदा बांग्लादेश जैसी स्थितियां फिर पैदा हो सकती हैं। इमरान खान ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी गठबंधन उनकी पार्टी के खिलाफ साजिश रच रहा है। दरअसल बीते दिनों इस्लामाबाद हाईकोर्ट परिसर से हुई इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में जगह-जगह हिंसा की घटनाएं हुई थीं। जिसके खिलाफ अब सेना और पुलिस प्रशासन कार्रवाई कर रहा है और बड़ी संख्या में पीटीआई कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है। सेना ने इमरान को कहा है कि वह देश छोड़कर चले जाएं या फिर आर्मी एक्ट का सामना करने के लिए तैयार रहें। जिसके बाद देशभर में आर्मी एक्ट की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, क्योंकि इस तरह के केस दर्ज होने पर दोषी ठहराए गए लोगों को सजा देने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। पाकिस्तान में अब तक कई राजनेताओं, पत्रकारों व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को आर्मी एक्ट के तहत सजा दी जा चुकी है। ऐसे में इमरान खान की पार्टी के नेता भी भयभीत हैं, उन्हें डर है कि उनके खिलाफ भी पाकिस्तानी सेना आर्मी एक्ट में कार्रवाई करेगी।

लाहौर के जमान पार्क स्थित खान के आधिकारिक आवास को पुलिस बलों ने चारों तरफ से घेर लिया है। पुलिस ने उनके घर की तरफ जाने वाली सड़क को भी बंद कर दिया है और उसे पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया है। जमान पार्क की बिजली भी गुल कर दी गई है। आरोप है कि उनके घर में 30 से 40 आतंकी छिपे हुए हैं। इसके लिए सुरक्षा बल खान के घर में तलाशी अभियान चलाना चाहता है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने इमरान खान के सामने दो विकल्प दिए हैं। पहला देश छोड़कर लंदन भाग जाएं, दूसरा आर्मी एक्ट का सामना करें और फांसी या उम्रकैद के लिए तैयार रहें। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इमरान खान फिलहाल अपने लाहौर स्थित घर पर अपनी पार्टी के करीबी नेताओं के साथ इन विकल्पों पर सलाह-मशविरा कर रहे हैं। पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर और इमरान खान के बीच अदावत की खाई चौड़ी हो चुकी है। आर्मी इमरान और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों की 9 मई की हरकतों से नाराज है। पाक सेना ने सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला बोलने के आरोप में उनके खिलाफ आर्मी एक्ट लगाने का फैसला किया है। पाक के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने फैसला लिया है कि नागरिक और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करने और आगजनी करने वालों के खिलाफ सेना अधिनियम और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम सहित देश के संबंधित कानूनों के तहत ट्रायल चलाया जाएगा।

सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर की अध्यक्षता में जीएचक्यू में हुई बैठक में यह खुलासा किया गया कि 9 मई को हुआ हमला सुनियोजित साजिश का हिस्सा था और इस आगजनी के पीछे का मकसद, सुहदा, स्मारकों की तस्वीरों का अपमान करना, और उसे जलाना शामिल था। बैठक में कहा गया कि ऐतिहासिक इमारतों को गिराने और सैन्य प्रतिष्ठानों में तोड़-फोड़, संस्था को बदनाम करने और उसे उकसाने के लिए किया गया था। उधर इमरान खान पहले ही अपनी हत्या की आशंका जता चुके हैं और कह चुके हैं कि जब तक उनके शरीर में खून का एक भी कतरा बचा है, वह देश छोड़कर नहीं जाएंगे। पिछले हफ्ते खान ने सरकार के लंदन प्लान का भी खुलासा किया था। तब खान ने कहा था कि सरकार चाहती है कि उनकी पत्नी बुशरा बेगम को सलाखों के पीछे डाल दिया जाए और उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला बनाकर उन्हें 10 साल तक जेल में रखा जाए।

जब पाकिस्तान में पीटीआई समर्थकों ने सेना प्रतिष्ठानों पर हमला बोला था, तब पीएम शहबाज शरीफ लंदन में थे। वह किंग चार्ल्स के राज्याभिषेक में शामिल होने वहां गए थे। वहीं उनके बड़े भाई और पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल- एन) सुप्रीमो नवाज शरीफ भी है। 72 वर्षीय नवाज शरीफ को एनफील्ड संपत्ति मामले में दोषी ठहराया गया था और दस साल जेल की सजा सुनाई गई थी। यह नवंबर 2019 से लंदन में इलाज के लिए गए थे और तब से वहीं हैं। नवाज शरीफ के अलावा अतीत में कई पाकिस्तानी हुक्मरान भी लंदन में निर्वासित जीवन बिताने को मजबूर हुए हैं। उनमें बेनजीर भुट्टो भी शामिल हैं। राजद्रोह के मुकदमा का सामना करने वाले पूर्व राष्ट्रपति और सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ भी स्वनिर्वासन के तहत लंदन चले गए थे।

गौरतलब है कि पाकिस्तान में पिछले काफी समय से राजनीतिक अस्थिरता का दौर अपने चरम पर है। पिछले दिनों पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार करने के बाद पूरे पाकिस्तान में जिस तरह से हिंसा हुई, उससे पाकिस्तानी आर्मी की जमकर फजीहत हुई है। इमरान खान के समर्थकों ने कई आर्मी अफसरों के घरों को जला दिया, आर्मी के जवानों पर हमले किए गए और आर्मी के विरोध में नारेबाजी की गई। पाकिस्तान में ऐसा पहली बार हुआ है, जब आर्मी का इस तरह से खुला विरोध किया गया। इस हिंसा के बाद पाक आर्मी ने सख्त रवैया अपना लिया है। सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने चेतावनी दी कि ‘हमला करने वालों पर ऐसी कार्रवाई की जाएगी कि नस्लें याद रखेंगी।’

आर्मी एक्ट के तहत कार्रवाई
पाकिस्तान की अदालतों पर यह आरोप लग रहा है कि वह लगातार इमरान खान को बचा रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि पाकिस्तानी आर्मी अपनी फजीहत का बदला लेने के लिए इमरान खान पर आर्मी एक्ट के तहत कार्रवाई कर सकती है। इस एक्ट के तहत केस दर्ज होने पर पूरा मामला आर्मी के हाथों में चला जाएगा। मामले की सुनवाई भी आर्मी की अदालत में होगी। ऐसे में इमरान खान के बचने की उम्मीद भी खत्म हो जाएगी। उन्हें भी पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की तरह फांसी पर लटकाया जा सकता है।

क्या है आर्मी एक्ट
पाकिस्तान में आमतौर पर आर्मी एक्ट के तहत सेना में कार्यरत अधिकारियों पर ही कार्रवाई की जाती है। इस एक्ट के जरिए उनका कोर्ट मार्शल किया जाता है। लेकिन विशेष परिस्थितियों में इस कानून का इस्तेमाल आम आदमी के खिलाफ भी किया जाता है। यह एक्ट जासूसी, देश के खिलाफ जंग छेड़ने और अवैध गतिविधियों के लिए फंडिंग लेने के मामले में लगाया जाता है। इस एक्ट के तहत दर्ज मामलों की सुनवाई मिलिट्री सिमरी कोर्ट में होती है।

कितनी सजा का प्रावधान
ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट 1923 के सेक्शन 3 में जासूसी का आरोप साबित होने पर दोषी को 14 साल की सजा सुनाई जाती है। वहीं आर्मी एक्ट के सेक्शन 59 के तहत दोषी पाए गए व्यक्ति को सजा-ए-मौत या उम्र कैद होती है। खास बात यह है कि इन मामलों में ज्यादा सबूतों की भी आवश्यकता नहीं होती है।

मिलिट्री कोर्ट में दोषी ठहराए गए 345 को मौत की सजा
आर्मी एक्ट से जुड़े मामलों की सुनवाई मिलिट्री कोर्ट में होती है। जहां से किसी के बच निकलने की संभावना काफी कम होती है। एक रिपोर्ट से यह सामने आया है कि जनवरी 2019 तक पाकिस्तान में मिलिट्री कोर्ट में 646 मामले आए। उनमें से 641 मामलों में सजा हुई। मतलब कि 99 फीसदी मामलों में सजा हुई। सिर्फ 5 मामलों में आरोपी बरी किए गए। मिलिट्री कोर्ट में पेश होने वाले जिन लोगों को दोषी ठहराया गया, उनमें से 345 को मौत की सजा हुई, जबकि 296 आरोपियों को उम्रकैद की सजा हुई।56 को फांसी दी गई।

आर्मी एक्ट की धारा-59 से बचना मुश्किल
हाल ही में यह खबर आई कि इमरान खान के खिलाफ सैन्य कानून और गोपनीयता अधिनियम के तहत केस चलाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। जिसके बाद से इमरान लगातार यह डर जाहिर कर रहे हैं कि उनके खिलाफ पाकिस्तानी सेना और शहबाज सरकार ने कुछ बड़ा प्लान किया है। कानूनविदों के मुताबिक इमरान के खिलाफ पाकिस्तान में अब तक 100 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं। मगर, उन्हें सबसे ज्यादा डर आर्मी एक्ट के तहत होने वाली कार्रवाई का है। पाकिस्तान में आर्मी एक्ट की धारा-59 के तहत अगर किसी व्यक्ति को दोषी पाया जाता है तो उसे मौत या उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है।

पूर्व पीएम जिनका हुआ बुरा अंजाम
पाकिस्तान में सितंबर 1956 से अक्टूबर 1957 तक प्रधानमंत्री रहे हुसैन शहीद सुहरावर्दी को भी ऐसी ही सजा दी गई थी। उसके बाद 1973 से 1977 तक प्रधानमंत्री रहे जुल्फिकार अली भुट्टो को मार्शल लॉ रेगुलेशन 12 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में 4 अप्रैल 1979 को उन्हें फांसी दे दी गई थी।

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