[gtranslate]
Uncategorized

युद्ध की वजह बन सकती है हेलमंद नदी    

ईरान -अफगानिस्तान दोनों मुल्कों के बीच पानी विवाद बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों के बीच पानी को लेकर चल रहे बयान बाजी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह विवाद युद्ध की स्थिति धारण कर सकती है। ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने तालिबान को चेतावनी देते हुए कहा कि उनकी बातों को गंभीरता लिया जाए ताकि तालिबान बाद में शिकायत न करें । हेलमंद पानी समझौते की ओर इशारा करते हुए रईसी द्वारा दिए गए इस बयान पर तालिबान के जनरल मोबिन ने कहा कि पानी लेलों ,लेकिन हमला मत करो।

ईरान में औसत से भी कम बारिश होती है। उसमें से भी बारिश का अधिकतर पानी भाप बन कर उड़ जाता है। दोनों देशों की सीमा पर बसे इलाकों के लिए हेलमंड नदी जीवन दायनी की तरह कार्य करती है। जलवायु परिवर्तन की वजह से इस नदी का क्षेत्र सिमटता जा रहा है। जिसके चलते  ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हेलमंद नदी का जल विवाद दोनों मुल्कों के बीच लम्बे अरसों से चला आ रहा है। सन 1973 में दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत अफगानिस्तान को हर साल ईरान को 820 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देना है।

हाल ही में ईरानी राष्ट्रपति ने अपनी पहली  पाकिस्तानी यात्रा के दौरान कहा कि हमारी सरकार ईरान के जल अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है,हम अपने लोगों के अधिकारों का हनन नहीं होने देंगे। उन्होंने ईरान और अफगानिस्तान के मध्य हुए समझौते की तरफ ध्यान दिलाते हुए कहा कि हेलमंद  नदी समझौते के मुताबिक तालिबान सरकार सिस्तान और बलूचिस्तान के लोगों को पूरा पानी मुहैया कराए। इब्राहिम रईसी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि तालिबान उनकी बातों को गंभीरता से ले ताकि बाद में कोई शिकायत ना कर सके। इसके अलावा रईसी ने यह भी कहा कि तालिबान ईरानी हाइड्रोलॉजिस्ट को हेलमंद नदी के जल स्तर की जांच करने की अनुमति दे।

अफगानिस्तान और ईरान के बीच हेलमंद  जल समझौते को लेकर ईरानी राष्ट्रपति की टिप्पणी पर तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने अंतरिम सरकार की तरफ से एक बयान जारी किया। जिसमें तालिबान प्रवक्ता ने ईरानी अधिकारियों को सार्वजनिक तौर पर ऐसे बयानों से परहेज करने की चेतावनी दी है। तालिबान के अनुसार अफगानिस्तान हेलमंड संधि के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन उनका देश गंभीर सूखे से जूझ रहा है, जिसने अफगानिस्तान से ईरान को पानी की आपूर्ति सीमित कर दी है। हालांकि उन्होंने आश्वासन भी दिया है कि दशकों से चले आ रहे इस मामले को सुलझाने के लिए जल्द ही ईरानी अधिकारियों को अफगानिस्तान बुलाया जाएगा।

गौरतलब है कि वर्ष 2021 में अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने ईरान पर जो टिप्पणियां की थी वो क्षेत्र में पानी को लेकर पैदा हो रहे संकट के संकेत थे .उस दौरान उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान पानी देने लिए प्रतिबद्ध है लेकिन वो पानी के बदले तेल की मांग अफगानिस्तान से कर सकते है। बीबीसी की एक रिपोर्ट मुताबिक 70 के दशक में हुई जल संधि के तहत अफगानिस्तान बांध बनाने पर जोर दे रहे थे। लेकिन ईरान ये कहते हुए पीछे हटता रहा कि बांध बनाने से झीलों और दूसरे क्षेत्रों में पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुँच सकता है।

 

यह भी पढ़ें : ईरान -अफगानिस्तान में मौत की सजा में बढ़ोतरी

 

You may also like

MERA DDDD DDD DD