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फूड डिलीवरी से लेकर कैब सर्विस तक इस्तेमाल होंगे केवल ई-वाहन

दिल्ली में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है और हर साल सर्दी के मौसम में स्मॉग के कारण लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं। सरकार प्रदूषण की जांच के लिए कदम उठाती है लेकिन वे पर्याप्त नहीं होते हैं। सरकारों द्वारा कई प्रयास किए जाते रहे हैं , जैसे ट्रैफिक सिग्नल पर वाहनों को रोकने की अपील और प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर डीजल से चलने वाले जनरेटर बंद करने के आदेश जारी किए जाते हैं।

इसको ध्यान में रखते हुए ही अब दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने ऐप-आधारित टैक्सी ऑपरेटरों, ई-कॉमर्स में इस्तेमाल होने वाले वाहनों और फूड डिलीवरी के लिए फाइनल मसौदा नीति जारी की है। परिवहन विभाग के मुताबिक अब ऐप से मिलने वाली टैक्सियां ​​या ई-कॉमर्स और फूड डिलीवरी के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहनों को 2030 तक ई-वाहनों में बदलना होगा।

5 जुलाई को दिल्ली सरकार ने दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर्स योजना 2022 जारी की। वाहन एग्रीगेटर्स की मसौदा नीति में कहा गया है कि ऐप-संचालित टैक्सियों, खाद्य वितरण, ई-कॉमर्स से जुड़ी कंपनियों को अपने वाहन बेड़े में केवल इलेक्ट्रिक वाहन रखने की आवश्यकता होगी।


दिल्ली मोटर व्हीकल एग्रीगेटर्स योजना के तहत ई-वाहनों को बढ़ावा देने और प्रदूषण को कम करने का उद्देश्य है। मसौदा नीति में कहा गया है कि ई-वाहनों के अलावा अन्य वाहनों की उपस्थिति होने पर प्रत्येक वाहन पर 50,000 रुपये की दर से जुर्माना देय होगा।

दिल्ली परिवहन विभाग के मुताबिक इस योजना को लेकर कैब कंपनियों, ई-कॉमर्स कंपनियों और फूड डिलीवरी कंपनियों के अधिकारियों से पहले ही चर्चा हो चुकी है। विभाग का कहना है कि इस योजना के तहत इन कंपनियों को 2030 तक चरणबद्ध तरीके से अपने सभी वाहनों को ई-वाहनों में बदलने का लक्ष्य दिया गया है।

दिल्ली में वाहनों के धुएं से 41 फीसदी प्रदूषण

केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने इसी साल 25 जून को एक फैसले में कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में पेट्रोल और डीजल के इस्तेमाल के लिए बीएस-6 मानक होना जरूरी होगा।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कई कारण हैं, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण में औद्योगिक प्रदूषण का योगदान 18.6 फीसदी है। इस क्षेत्र में 3,100 से अधिक छोटे और बड़े उद्योग हैं और इस प्रदूषण को उनका योगदान माना जाता है।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में वाहनों के धुएं से 41 फीसदी प्रदूषण होता है। दिल्ली में एक करोड़ से अधिक पंजीकृत वाहन हैं, जिनमें ट्रक, ट्रैक्टर, कार, तिपहिया और दो पहिया वाहन शामिल हैं।

इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों के लिए लाभ

यह देश में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के लिए शुरुआती चरण है। बड़ी कंपनियों के अलावा कई स्टार्टअप भी इस सेगमेंट में अपने वाहन लॉन्च करने में लगे हुए हैं, खासकर इलेक्ट्रिक टू व्हीलर सेगमेंट में कई नए नाम जुड़ गए हैं। ऐसे में जब दिल्ली में कैब सर्विस, फूड डिलीवरी ऐप और ई-कॉमर्स से जुड़ी कंपनियों द्वारा केवल इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करना अनिवार्य होगा, तब इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड भी बढ़ेगी।

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