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गुटबाजी से त्रस्त कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के विधानसभा चुनावों के लिए पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद के द्वारा नेतृत्व में होने की संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही उनके एक वफादार को पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने की उम्मीद है। नई दिल्ली में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेताओं के साथ दो दिवसीय बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि गुलाम नबी आजाद को चुनावी रणनीति बनाने के लिए पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई की बागडोर मिल सकती है। कांग्रेस ने लंबे समय से जम्मू-कश्मीर में गुटबाजी देखी है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष जी, मीर ने एक गुट के दबाव के कारण अपना इस्तीफा दे दिया, जिससे पार्टी के पुनर्गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ। आजाद और वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज के बीच की खींचतान एक खुला रहस्य है। आजाद के वफादार कहे जाने वाले विकार रसूल का नाम एआईसीसी की बैठक के दौरान सामने आया, लेकिन कुछ नेताओं ने उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया। एक और नाम जो चर्चा में है वह है पार्टी के केंद्र शासित प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला का। कहा जाता है कि आजाद ने आलाकमान को जम्मू-कश्मीर प्रमुख के पद के लिए चार नामों का सुझाव दिया था, जिन पर अभी फैसला करना बाकी है। गौरतलब है कि कांग्रेस 2019 में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत सकी, जबकि भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तीन-तीन सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, वेणुगोपाल, सोनी और आजाद ने ‘जम्मू-कश्मीर के नेताओं को जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ भाजपा की जनविरोधी नीतियों से एकजुट होकर लड़ने और बाद के विभाजनकारी एजेंडे को हराने की सलाह दी है।’

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