देहरादून। 2017 में प्रचंड बहुमत से सत्ता में काबिज हुई भाजपा की त्रिवेन्द्र रावत सरकार के पांच माह के बाद ही संघ के द्वारा सरकार के पांच महीने के कार्यकाल और उनकी नीतियों तथा प्राथमिकताओं पर एक समीक्षा बैठक की थी। इस समीक्षा बैठक में संघ के पदाधिकारीयों के द्वारा सरकार के काम करने के तरीके पर एक तरह से नारजगी जताई गई साथ ही सरकार को अनेक मुद्दो के साथ सरकार की प्राथमिकताये तय करने की सलाह दी थी।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उत्तराखण्ड के चार दिवसीय दौरे मे एक बार फिर से संघ की नारजगी की सुगबुगाहट सामने आई है जिस से यह साफ हो गया है सरकार के चार साल के कार्यकाल के बावजूद आज भी संघ और सरकार के बीच समन्वय नही बन पाया है। आज भी संघ भाजपा सरकार से अपने मुद्दों और विषयो पर समन्वय नही बन पा रहा है और यही कारण है कि संघ ओर सरकार के बीच दूरियां हाने की चर्चायें समाने आती रही है।
भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस के द्वारा 2017 में सरकार के पांच महीन के कार्यकाल की समीक्षा के दौरान सरकार पर अनेक मामलो में ढिलाई बरतने के अरोपा लगाये थे। इस समीक्षा बैठक में एक बात स्पष्ठ तौर पर यह देखने में आई थी कि जिन मामलो को प्रदेश सरकार ओर खास तौर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मीडियाके प्लेटफार्मो में जल्द से जल्द पूरा करने का दावा करते थे उन्ही मुद्दो पर संघ ने सरकार की कार्ययशैली पर ही सवाल खड़े किये थे। संघ ने राज्य में शिक्षा, बेरोजगारो को रोजगार देने, चिकित्सा स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारी कमी, कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार और तीर्थाटन और पर्यटन के क्षेत्र में विशेष ध्यान देने तथा राज्य के डिग्री कालेजों के हालतो में सुधार करने के साथ साथ राज्य में खेलो को बढ़ावा देने की और राज्य में नौकरियो में खेल कोटा बनाये जाने और राज्य में तेजी से हो रहे पलायन को रोकने के लिये येाजना बनाये जाने की बाते हों। संघ ने तो बैठक में यहा तक कह दिय था भाजपा संगठन और इसके नेता हर चुनाव में जनता के सामने वादा करते रहे है। लेकिन सत्ता में आते ही भाजपा सरकार ओर संगठन की प्राथमिकताये बदल जाती है। एक तरह से तरह से संघ ने सरकार को आईना दिखाने में कोई कसर नही छोड़ी।
देहरादून स्थित संघ कार्यालय में नड्डा की संघ के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक को भले ही भाजपा या संघ अनौपचारिक बैठक कह कर बात को सरल भाव से बोल रहा है लेकिन सूत्रो की माने तो इस अनौपचारिक बैठक में भी संघ के द्वारा अपने तमाम उन्ही मुद्दो पर काम ना होने पर नारजगी जताई है। हांलाकि इस बैठक के बाद जिस तरह से समाचार पत्रो में सरकार के काम- काज से संघ भी खुश है के शीर्षको से मामले को हल्का किया गया है वह भी अपने आप में ही कई चर्चाओं को जन्म दे रहा है। संघ और भाजपा से छन का आ रही सगबुगाहट की बात करे तो संघ ने कई मुद्दो पर अपनी नारजगी नड्डा के सामने रखी है। इनमें सरकार ओर संघ के बीच हुई चार समन्वय बैठाको मे दो दर्जन बिन्दुओ पर चर्चाये होने के बावजूद इन पर काम न होने की बात भी सामने आई है। खास तौर पर देवस्थानम बोर्ड को लेकर संघ की नारजगी की खबरे छन का आ रही है।
गौर करने वाली बात है कि संघ मदिरो ओर मठो को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की बात अपने एजेंडे में रखता रहा है और भाजपा सरकार के द्वारा तमाम विरोधा के बावजूद देवस्थानमा बोर्ड का गठन कर के संघ को नारज किया हुआ है। संघ के द्वारा दूवभूमि में शराब के करोबार को सरकार के द्वारा बढ़ाये जाने को लेकर भी नारजगी जताई है। संघ के प्रमुख एजेण्डे लव जेहाद को लेकर सरकार की लापरवाही से संघ की नाराजगी बनी हुई है। दरअसल पूर्ववर्ती कांग्रेास की बहुगुणा सरकार के समय अंतरधार्मिक विवाह को बढ़ावा देने के लिये तत्कालीन सरकार के द्वारा विवाहीत जोड़ो को निश्चित धनराशी दिये जाने का शासनादेश जारी किया गया था। इस शासनादेश को जिटहरी के जिला समाजकल्याण अधिकारी के द्वारा कुद ही दिनो पूर्व मीडिया में फिर से प्रसारित किया जिस से राज्य में अनतधामिक विवाह के लिये सरकार के द्वारा प्रोत्साहन देने की बात खुल कर सामने आ गई।
भाजपा लव जेहाद को लेकर अनेक तरह की बात करती रही है लेकिन उसी की सरकार के विभाग द्वारा राज्य में अंतरधार्मिक विवाह को न सिर्फ प्रोत्साहन दिया जा रहा है साथ ही सरकार के द्वारा धनराशी का भी अनुदान दिये जाने की खबरो से संघ खासा नारज हुआ। हांलाकि सरकार के द्वारा उक्त शासनादेश को वापस लेने की बात कह कर सरकार ने अपने खिलाफ उठ रहे नारजगी के स्वरो का कुछ हद तक दब दिया लेकिन इस पूरे मामले मे ंसरकार की जम कर फजीहत हो चुकी है। संघ के द्वारा इसी मामले को अणार बना कर सरकार के खिलाफ अपनी नारजगी वक्त करने में कोई कसर नही छोड़ी बेरोजगारी को दूर करने ओर पलायन को रोकने के मामले में भी संघ की नाजगी की खबरे छन का आ रही है जबकि राज्य सरकार ओर खास तौर पर मुख्यमंत्री बेरोजगारी को कम करने और पलायन को रोकने में सरकार की कामयाबी के दावे करते रहे है। संघ की नारजगी इस बात का प्रमाण है कि सरकार के दावो ओर हकीकत में बहुत बड़ा अंतर है जिसको संघ ने बेहतर तरीके से देख और परख है।
जिस तरह से संघ की बैठक में सरकार के कामकाज ओर संघ के ऐजेण्डे पर सरकार की लापरवाही की खबो सामने आई है उस से सरकार ओर भाजपा के माथे पर चिंता की लकीरे बढ़ गई है। 2022 में उत्तराखण्ड के साथ साथ उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने है और उत्तर प्रदेश मे योगी सरकार के द्वारा संघ के प्रमुख मुद्दो को अपनी प्राथमिकता में रखा हुआ है जबकि उत्तराखण्ड में आज भी संघ अपने मुद्दो और ऐजेण्डे के लिये सरकार की ओर तक रहा है यह संघ और भाजपा के लिये कई राजनीतिक परेशानियों का कारण बन सकती है। अब देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने चार दिवसीय दौरे का फीड बैक किस तरह से लेकर भविष्य में क्या होगा और किस तरह से होगा पर काम करते है लेकिन इतना तो तय है कि संघ की नारजगी प्रदेश सरकार और भाजपा के 2022 के चुनाव में कोई न कोई बड़ा राजनीतिक असर तो छोड़ ही सकती है।