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वीरबाला बीना की याद में लगेगा मेला

  •          के .एस . असवाल

जंगल में लगी आग से वन सम्पदा को बचाने में अपनी जान गंवा चुकी चमोली जनपद के गौचर की वीरबाला कु. बीना की स्मृति में हर वर्ष मेला आयोजित होता है। बीना स्मृति पर्यावरण संवर्धन एवं विकास मेला चमोली एवं रुद्रप्रयाग की सीमा डांडाखाल में 11 मई से 13 मई तक आयोजित किया जाएगा। मेले की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मेले में लोगों को पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए जागरूक किया जाता है और हर वर्ष अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक पौधों को लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। हर वर्ष फरवरी माह के बाद पहाड़ों में फायर सीजन शुरू हो जाता है। लेकिन वन विभाग द्वारा जब तक फायर सीजन की तैयारियां शुरू की जाती है तब तक आधे से अधिक जंगल आग की चपेट में आ जाता है। जिसके चलते आग को बुझाने में वन विभाग से ज्यादा सहभागिता ग्रामीणों द्वारा ही निभाई जाती है। दुर्भाग्य यह है कि वन विभाग द्वारा आग बुझाने वाले लोगों को कभी सम्मानित तो दूर प्रोत्साहित तक नहीं किया जाता है। जबकि विभाग द्वारा वनाग्नि के नाम पर एक मोटा बजट डकार दिया जाता है। बावजूद इसके ग्रामीणों द्वारा बिना स्वार्थ के जल-जंगल और जमीन का संरक्षण किया जाता है।

विकासखंड कर्णप्रयाग के तहत रानीगढ़ पट्टी के डांडाखाल में होने वाले तीन दिवसीय पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन मेले के बारे में जानकारी देते हुए मेला समिति के अध्यक्ष भरत सिंह बिष्ट ने बताया कि यह मेला कुमारी बीना पुत्री राजेन्द्र सिंह गांव तौलसैंण ग्राम पंचायत बरतोली की स्मृति में मनाया जाता है। कु. बीना ने 18 अप्रैल 1999 में गांव के जंगल में लगी आग से वन सम्पदा को बचाने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन इस दौरान वह चारों तरफ से आग की लपटों से घिर कर बुरी तरह से झुलस गई थीं। जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। 12 दिन जिंदगी और मौत से जूझते हुए 30 अप्रैल को बीरबाला पंचतत्व में विलीन हो गई। तब से क्षेत्र के लोगों द्वारा हर वर्ष बीना की स्मृति में पर्यावरण संरक्षण मेला आयोजित किया जाता है। जिसमें क्षेत्र के लोग बढ़-चढ़कर प्रतिभाग करते हैं। भरत सिंह बिष्ट के अनुसार मेले को भव्य बनाने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर दी गई हैं। इस अवसर पर मेला समिति के उपाध्यक्ष धन सिंह बिष्ट, कोषाध्यक्ष दलवीर सिंह, सचिव बलवीर सिंह, विक्रम सिंह बिष्ट आदि के अलावा संयोजक के रूप में ग्राम प्रधान ढमढमा, बरतोली, मझखोला, और सहयोगी संस्था शिव शक्ति पर्यावरण एवं पर्यटन न्यास डांडाखाल के कार्यकर्ता मौजूद थे।

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