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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली की कुर्सी को बचाने में जुटा चीन

नेपाल में जिस तरह के राजनीतिक हालात चल रहे हैं, सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के मतभेद जिस तरह खुलकर सामने आ रहे हैं, उसे देखकर लगता नहीं कि प्रधानमंत्री केपी ओली की कुर्सी बची रह पाएगी। ऐसे में ओली हर तरह से हाथ-पांव मार रहे हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि उन्ह्रें हटाने की कोशिशें भारत के इशारे पर हो रही हैं। अपने पक्ष में उन्होंने चीन को भी उतार दिया है।

कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड,बामदेव, झाला नाथ और माधव कुमार नेपाल जैसे दिग्गज नेता ओली की कार्यशैली से बेहद खफा हैं और निरंतर उनसे प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने की मांग कर रहे हैं। अपने खिलाफ पार्टी में बढ़ते दबाव के बीच ओली ने अपनी कुर्सी की सलामती के लिए इस दौरान न सिर्फ संसद के बजट सत्र को स्थगित किया, बल्कि विपक्षी पार्टी कांग्रेस से भी समर्थन के लिए संपर्क साधा है। यही नहीं उनकी मंशा एक ऐसा अध्यादेश लाकर खुद पार्टी तोड़ने की है ताकि उनकी सरकार बची रहे ।

ओली भली भांति जानते हैं कि पार्टी की स्टैंडिंग कमिटी के 44 में से 30 सदस्य उनके खिलाफ हैं। ये सदस्य उनसे इस्तीफा मांग रहे हैं। ऐसे में वे अध्यादेश लाकर पॉलिटिकल पार्टीज एक्ट में बदलाव करेंगे जिससे उन्हें पार्टी को तोड़ने में आसानी होगी। यदि असंतुष्ट  नेता पार्टी तोड़ते हैं तो ऐसी स्थिति में ओली को अपने पक्ष में 138 सांसद दिखाने होंगे, लेकिन अध्यादेश के बाद सिर्फ 30 प्रतिशत सांसदों का समर्थन ही उनके लिए पर्याप्त होगा। यह स्थिति उनके लिए अनुकूल होगी क्योंकि 40 प्रतिशत सांसद उनके साथ हैं।

ओली जहां एक ओर राजनीतिक समीकरण अपने लिए अनुकूल कर रहे हैं, वहीं असंतुष्ट नेताओं पर चीन के द्वारा दबाव भी बनवा रहे हैं। इसी दबाव का नतीजा है कि इस बीच कम्युनिस्ट पार्टी की जो बैठक ओली के भविष्य को लेकर अहम मानी जा रही थी वह चीन के दबाव के बाद 8 जुलाई तक टल गई है। समझा जा रहा है कि रविवार 5 जुलाई को चीन की राजदूत हाओ यांकी की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के नेताओं से मुलाकात के बाद यह बैठक टली है। नेपाल के प्रुमख समाचार पत्र हिमालयन टाइम्‍स के मुताबिक चीन की राजदूत हाओ यांकी ने नेपाली कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के वरिष्ठ नेता माधव नेपाल से मुलाकात की। नेपाल ओली विरोधी खेमे के प्रमुख नेताओं में से हैं। चीनी राजदूत ने राष्‍ट्रपति विद्या देवी भंडारी से भी मुलाकात की। चीनी राजदूत की इन मुलाकातों को ओली की कुर्सी बचाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि चीन ने अपनी राजदूत को ओली की कुर्सी बचाने के काम में लगा दिया है।

दाताराम चमोली

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