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2021 से जितनी उम्मीदें उतनी ही बड़ी चुनौतियां

साल 2020 पूरी दुनिया के लिए बड़ा भयानक रहा है । इस वर्ष हमने पाने की औसत में कई गुना ज्यादा  ज्यादा खोया है। देश की अर्थव्यवस्था से लेकर नौकरी-व्यवसाय सब चौपट रहे हैं। साल 2021 का आगाज हो गया  है। नए वर्ष की राह ताक रहे लोग इस उम्मीद में है कि 2021 उनके जीवन को खुशियों से भर देगा। इसी उम्मीद के साथ आइए जानते हैं कि 2021 देश के लिए कैसा रहेगा।

अग्नि परीक्षा से गुजरेंगी राजनीतिक पार्टियां –

2020 की राजनीति पर नजर डालें तो इस वर्ष राजनीतिक लिहाज से एकाधिकार देखने को मिला था।  2021 में भी ऐसा हो सकता है। ग्राहकों, कृषि, मुद्रा और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे विषयों से संबंधित मुद्दों पर सरकार खास कदम उठा सकती है।

बीजेपी के लिए  साल 2021 में कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों का बहुत महत्व है। इन चुनावों में अपनी भौगोलिक पहुंच का विस्तार करते हुए खुद को संपूर्ण भारत की पार्टी साबित करने की उसकी रणनीति की भी परीक्षा है । देश के पूर्वी हिस्से में अपना दबदबा कायम करने के लिए जहां पश्चिम बंगाल और असम में पार्टी का अभियान जोरों पर है, वहीं दक्षिण की राजनीति में खुद को एक महत्वपूर्ण पक्ष के रूप में मजबूत दावेदारी पेश करने के लिए भी काफी जोर लगा रही है। इस कारण 2021 बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2024 से पहले एक यही वर्ष है जब उसके पास अपना जनाधार बढ़ाने का मौका है।

बीजेपी उत्तर-पूर्वी राज्यों में जीत दर्ज कर चुकी है। अब वह प. बंगाल में की सत्ता में आने को आतुर है। अगर ऐसा होता है तो पूरा पूर्वी हिस्से पर पार्टी का दबदबा होगा। 2011 के राज्य विधानसभा चुनाव में 4 प्रतिशत  वोट हासिल करने वाली बीजेपी को 2016 के विधानसभा चुनाव में 10प्रतिशत  वोट मिले थे। उसने 2019 के लोकसभा चुनाव में तो हैरान ही कर दिया जब उसने प. बंगाल के 40 प्रतिशत  मतदाताओं का समर्थन प्राप्त कर लिया। 2024 को लोकसभा चुनाव से पहले प. बंगाल में बीजेपी की यह हैरतअंगेज उपलब्धि वाकई काफी मायने रखती है। असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने विपक्षी दलों पर अपनी बढ़त बरकरार रखने की चुनौती है।

 साल 2021 कई सियासी पार्टियों की किस्मत का फैसला करने वाला  है। देश के पांच   राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने  हैं।  ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां इन चुनावों में जीत दर्ज करने के इरादे  के साथ नए साल में चुनावी मैदान में उतरेंगी।  इन राज्यों,जैसे बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट, पुडुचेरी में कांग्रेस, तमिलनाडु में AIADMK और असम में भाजपा की सरकार है। इन्हीं राज्यों में चुनाव है इस कारण सभी पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुट गई हैं हैं।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021-

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की चर्चा इन दिनों हर राजनीतिक गलियारे में है। क्योंकि यह पिछले दो  बार से मुख्यमंत्री रही ममता बनर्जी को भाजपा से कड़ी टक्कर मिल रही है।  यहां ममता बनर्जी के करीबी एक – एक कर टीएमसी से किनारा कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं।  ऐसे में ममता बनर्जी के लिए लगातार चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं।

केरल विधानसभा चुनाव 2021- 

केरल देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जहां लेफ्ट की सरकार है।  ऐसे में इस बार लेफ्ट गठबंधन एलडीएफ ने 140 मे से 91 सीटों पर जीतकर सरकार बनाई थी, लेकिन एलडीएफ को कांग्रेस के गठबंधन वाले यूडीएफ के साथ भाजपा से भी कई जगहों पर चुनौती मिल रही है। ऐसे में लेफ्ट को अपने वजूद को बचा पाने का सवाल खड़ा होता है।

असम विधानसभा चुनाव 2021-

भाजपा ने साल 2016 में असम में कांग्रेस को हराकर असम की सीट को हासिल किया था।  इसके बाद भाजपा ने सर्वानंद सोनोवाल को अपना मुख्यमंत्री बनाया।  साल 2016 में भाजपा को 126 में से 6 सीटें मिली थी।  कांग्रेस को 26 सीटें और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा कुछ सीटों पर जीत दर्ज की गई थी।

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव 2021-

साल 2021 में तमिलनाडु में भी विधानसभा चुनाव होने हैं।  यहां के चुनाव इस बार खास होने वाले हैं क्योंकि इस बार के चुनाव में दो बड़े दिग्गज जे जयललिता और एम करुणानिधि नहीं होंगे।  पिछली बार AIADMK को 136 सीटें और DMK को 89 सीटें मिली थी।

पुडुचेरी विधानसभा चुनाव 2021-

पुडुचेरी में  भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।  फिलहाल यहां DMK और कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार है।  पिछले चुनाव के दौरान कांग्रेस गठबंधन को 18 सीटें मिली थी, जब भाजपा और आल इंडिया एन आर कांग्रेस को 14 सीटें मिली थी।

भाजपा – जेडीयू  गठबंधन का क्या होगा?- 

राजनीति  की ही बात हो रही है तो 2021 में बिहार में बीजेपी-जेडीयू गठजोड़ पर भी निगाहें रहेंगी, हाल-फिलहाल में जिस तरीके से अरुणाचल के 6 जेडीयू विधायक बीजेपी में शामिल हुए. नीतीश कुमार का बयान आया कि वो सीएम बने रहने के कुछ खास इच्छुक नहीं हैं, और फिर जेडीयू की कमान आरसीपी सिंह को सौंपी गई।  सरकार के पहले दिन से ही जो हालात हैं उसे देखकर कुल मिलाकर कह सकते हैं कि पार्टियों के बीच का वैचारिक मतभेद इस कार्यकाल में बढ़ता दिख रहा है।  2021 में कुछ फेरबदल हो सकता है।

भारत-चीन-अमेरिका रिश्ते 2021 में लेंगे नया मोड़-

साल 2020 कई अहम घटनाओं के लिए याद रखा जाएगा, इसमें एक बड़ी घटना भारत-चीन सीमा विवाद या गलवान घाटी की रक्तरंजित घटना भी है।  इस घटना के बाद से भारत-चीन के रिश्ते पर एक बार फिर बड़ी दरार आ गई है।  अब यह देखना बहुत अहम होगा कि आने वाला साल एशिया के दो महाशक्तिशाली देशों के रिश्ते को क्या रंग देता है।

उधर अमेरिका में नए राष्ट्रपति के आने से भारत-चीन पर भी प्रभाव पड़ेगा। ये देखना होगा कि नई सरकार का दोनों देशों के प्रति क्या रुख रहेगा। बाइडेन ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि चीन जिस प्रकार से काम कर रहा है, इसके लिए वह उसे दंडित करना चाहते हैं।

वैश्विक आर्थिक संकट- 

भारत में आर्थिक मंदी के कई कारण हैं। ज्योतिषियों के मुताबिक, भारत का यह आर्थिक संकट साल 2022 से पहले हल नहीं होने वाला है।  वर्ष 2020 और 2021 में आर्थिक मंदी की समस्याओं को और बढ़ाने का काम करेगी जो वैश्विक मंदी का बड़ा कारण भी बन सकता है।  दुनिया भर में बड़े आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन हो सकते हैं।

सामाजिक क्रांतियों के साथ एक छोटे विश्व युद्ध जैसी स्थिति बनी रहेगी – 

अब एक बार फिर  राजनीतिक और सामाजिक क्रांतियों के साथ एक छोटे विश्व युद्ध जैसी स्थिति ला सकती है। वैश्विक आर्थिक मंदी से भारत, जापान, अमेरिका, यूरोप, ब्राजील की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।  रियल स्टेट बाजार में मंदी आएगी और स्टील की कीमतें भी घटेगी। अप्रैल 2022 के बाद ऐसी स्थितियों में कुछ राहत मिलने की संभावना है।

कितना नियंत्रण में होगा कोरोना-

 कोरोना का असर दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 तक घटने लगेगा | इस अवधि में लोगों का जीवन सामान्य पटरी पर लौटने की उम्मीद है।  कोविड-19 से जंग में जल्द ही कोई समाधान मिल सकता है।  रिकवरी रेट में भी सुधार होगा।  हालांकि इस महामारी का प्रभाव 2021 की पहली तिमाही तक देखने को मिल सकता है।  अगस्त के महीने से एक बार फिर से सामान्य स्थिति स्थापित होने लगेगी और जनजीवन भी सामान्य रूप से चलने लगेगा।

कोरोना वायरस से छुटकारा कब तक?- 

दुनिया को कोरोना और साल के आखिर तक आते-आते कोरोना के नए स्ट्रेन के खौफ के बीच वैक्सीन की आस है। मेदांता लीवर इंस्टीट्यूट के चेयरमैन और चीफ सर्जन एएस सॉइन कहते हैं कि आम लोगों को वैक्सीन के लिए लंबा इंतजार करना होगा। उन्हें 2021 की शुरुआत के 6 महीने तक वैक्सीन मिलेगी ही नहीं। इसलिए जाहिर है कि महामारी की तरह हमें भी सावधानियों को लगातार जारी रखना है।

संचार पर कैसा होगा असर-

साल 2021  महत्वपूर्ण साबित हो सकता  है।   भारत के लिए अपने संबंधों के आकलन करने और लोगों या अन्य देशों से बेहतर संबंध स्थापित करने के लिए अच्छा समय लेकर आ सकता है।

किसान कानूनों का क्या होगा? – 

सरकार और किसानों के बीच कई राउंड की बातचीत बिना किसी समाधान के होती ही जा रही है।  दिल्ली के कई बॉर्डरों पर पिछले एक महीने से ज्यादा समय  से ये किसान अपने मोबाइल घरों यानी ट्रैक्टर-ट्रॉली लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार हर बार कहती है हम किसानों की बात सुनने को तैयार हैं तो फिर इसी बीच कभी पीएम मोदी कह देते हैं कि इस प्रदर्शन में विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है, विपक्ष कह रहा कि उपदेश मत दीजिए कानून खत्म कीजिए।  किसान अपनी जगह डटे हैं,कानूनों को खत्म करने की मांग जारी है।

बजट से क्या हैं उम्मीदें?- 

अब बात आपके जेब की करें तो साल 2021 का आम बजट हाल के सालों का सबसे चुनौतीपूर्ण बजट होने वाला है।  इसकी वजह साफ है।  एक तरफ तो कोरोना की मार से  अर्थव्यवस्था बाहर निकली है।  पिछले साल का बहीखाता कोरोना वायरस संकट की वजह से पूरी तरह गड़बड़ा चुका है।  ऐसे में सरकार की चुनौती होगी कि वो कैसे वित्तीय अनुशासन का पालन कर पाती है।  एक तरफ सरकार को फिस्कल डेफिसिट को भी काबू में रखना है लेकिन दूसरी तरफ इकनॉमी को बूस्ट देने के लिए अलग-अलग सेक्टर्स और स्टेकहोल्डर्स को राहत के कदम भी उठाने होंगे।   इस बार के बजट में देखना होगा कि सरकार का फोक डिफेंस पर रहता है या फिर हेल्थ और एजुकेशन को तरजीह मिलती है?

खस्ताहाल अर्थव्यवस्था में नौकरियां कहां मिलेंगी?-

रोजगार की बात करें तो 2021 आपके लिए अच्छी खबर लेकर आ सकता है। जॉब सर्च के मशहूर प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर हुए सर्वे में 40 प्रतिशत  प्रोफेशनल्स का मानना है कि आने वाले नए साल में नौकरियों में अच्छा खासा इजाफा होगा। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कंवेशनल तौर पर नौकरियों के जो सेक्टर मशहूर रहे हैं भविष्य में वहां उतनी नौकरियां नहीं आने वाली हैं।  कोरोना वायरस संकट के बाद तीन अहम सेक्टर पर सबका ज्यादा जोर है- ई-कॉमर्स, IT एंड टेलीकम्युनिकेशन और हेल्थकेयर, तो यहां नौकरियां मिल सकती हैं। सलाह ये भी है कि अगर आप अपने मिड करियर में हैं तो डिजिटल स्किल बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए, शॉर्ट टर्म कोर्सेज आपके करियर को बूस्ट दे सकते हैं।

 रिलीज को तैयार हैं ये 9 फिल्में-

 बात करें बॉलीवुड की तो इस साल थियेटर से सिकुड़कर OTT प्लेटफॉर्म्स पर पहुंच गया है।  ‘सड़क 2’, ‘लक्ष्मी बॉम्ब’, कूली नंबर वन जैसी कुछ फिल्म के लिए ऑनलाइन रिलीज का रास्ता चुना गया लेकिन 2021 में ये 9 फिल्में रिलीज को तैयार हैं, जिनमें रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की मच अवेटेड फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’, 1983 क्रिकेट वर्ल्ड कप की जीत पर बनी रणवीर सिंह की फिल्म ’83’, अक्षय कुमार और कैटरीना कैफ की फिल्म सूर्यवंशी, शाहिद कूपर की जर्सी, सलमान खान की फिल्म राधे और रणबीर की शमशेरा जैसी फिल्में हैं।

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