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बहुजन समाज पार्टी का गठन उत्तर प्रदेश में राजनीतिक रूप से हाशिए में पड़े दलित समाज को सत्ता की मुख्यधारा का हिस्सा बनाने के लिए किया गया था। इसकी अध्यक्ष मायावती एक समय में सवर्ण जातियों के खिलाफ सख्त टिप्पणियों के लिए जानी जाती थी। ‘तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’ का नारा बसपा की पहचान बन उभरा था। समय का फेर ऐसा कि अब सवर्ण जातियों से नफरत करने वाली बसपा का तंत्र पूरी तरह ब्राह्मण सतीश मिश्रा और उनके परिजनों के हवाले हो चला है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा प्रदेशभर के ब्राह्मणों को लुभाने का काम कर रहे हैं तो उनकी पत्नी कल्पना मिश्रा महिला मतदाताओं को बसपा से जोड़ने की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। मिश्रा के बेटे कपिल युवाओं संग संवाद कर रहे हैं और सतीश मिश्रा के दामाद पार्टी वाॅर रूम के इंचार्ज बन चुके हैं। मायावती के करीबी रहे कई ताकतवर दलित नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। बसपाई सूत्रों की मानें तो बहिनजी पार्टी के पुराने
नेताओं की बनिस्पत सतीश मिश्रा पर ज्यादा भरोसा करती हैं। यही कारण है कि धीरे-धीरे दलित समाज का मायावती और बसपा संग मोहभंग होने लगा है। खबर यह भी गर्म है कि चुनाव बाद यदि बसपा के पक्ष में नतीजे नहीं आते हैं तो बचे-खुचे दलित समाज के नेता भी पार्टी छोड़ देंगे।

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