लोकसभा चुनाव 2024 होने में अभी काफी समय बाकी है,लेकिन राजनीतिक पार्टियां इसकी तैयारी अभी से इसकी तैयारी में जुट गए हैं। इसी सिलसिले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 23 सितंबर को पूर्णिया और 24 सितंबर को किशनगंज में रैली कर सीमांचल को साधेंगे,क्योंकि सीमांचल इलाका आरजेडी के यादव-मुस्लिम समीकरण और महागठबंधन के गढ़ के रूप में देखा जाता है। इस समीकरण को साधने के लिए भाजपा एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। यहां तक कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया की टेरर मॉड्यूल और फंडिंग मामले को लेकर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण की टीम ने पटना के अलावा बिहार के दरभंगा, अररिया, सारण, कटिहार, वैशाली और मुजफ्फरपुर जिले में छापेमारी शुरू कर दी है। इन छापेमारियों को लेकर कहा जा रहा है कि भाजपा सीमांचल को साधने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।
इस दौरान एनआईए की टीम पटना के फुलवारी शरीफ में आतंकी ट्रेनिंग कैंप के भंडाफोड़ होने के बाद मामले में आरोपियों के ठिकानों पर भी पहुंची है। आरोपी परवेज आलम, सनाउल्लाह, मुस्तकीम समेत अन्य संदिग्ध आतंकियों के परिजन से भी पूछताछ की है। दो महीने पहले एनआईए की टीम ने पटना के फुलवारी शरीफ में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कार्यालय में छापेमारी की थी तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ था। एनआईए की टीम को वहां से कुछ संदिग्ध दस्तावेज मिले थे। इसमें मुस्लिम युवकों को शारीरिक प्रशिक्षण के नाम पर देश में हिंसा फैलाने के लिए हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी।जांच एजेंसियों को आतंकी गतिविधियों के लिए भी ट्रेनिंग देने का शक है। पुलिस को मौके से जो दस्तावेज मिले उसमें भारत को वर्ष 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश का जिक्र भी था।
बिहार के अलग-अलग जिलों में मौजूद संदिग्ध आतंकी और स्लीपर सेल के सहारे ही महाबोधि मंदिर में बम ब्लास्ट किया गया था। वर्ष 2013 में पीएम नरेंद्र मोदी की पटना रैली में सीरियल ब्लास्ट भी हुआ था। इसके बाद बिहार के कई आतंकियों के नाम सामने आए थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक,बिहार में इन दिनों आतंकियों के कई संगठन एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। जो आने वाले वक्त में न सिर्फ बिहार बल्कि देश के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। कटिहार में मदरसा ब्लास्ट और दरभंगा रेलवे स्टेशन पर ब्लास्ट आतंकियों के गलती की वजह से ही हुई थी। अगर उनसे गलती नहीं होती तो ये पता भी नही चलता कि बिहार को सेफ जोन मानकर आतंकी देश में दहशत फैलाने के लिए किस तरह की साजिश रच रहे हैं। सीमांचल के इलाके में डेमोग्राफ लगभग बदल चुकी है। यहां हिंदुओं की संख्या लगातार घट रही है और जो बचे हैं, उन्हें या तो जगह छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है या फिर वो अपनी मर्जी से मुस्लिम बहुल इलाकों को छोड़ रहे हैं।
बिहार को सीमांचल से साधेगी भाजपा
देश के गृहमंत्री अमित शाह आगामी 23 सितंबर को दो दिवसीय दौरे पर बिहार जा रहे हैं। इस दौरान पूर्णिया और किशनगंज जिलों का दौरा करेंगे।23 सितंबर को पूर्णिया में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद पूर्णिया और आसपास के जिलों और मंडलों के पदाधिकारियों के साथ बैठक में शामिल होंगे।अगले दिन यानी 24 सितंबर को सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक होगी, जिसमें सीमांचल के हालात को समझने की कोशिश करेंगे,लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि,केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इसी दौरान सीमांचल से साधेंगे बिहार क्योंकि इलाका काफी संवेदनशील माना जाता है। सीमांचल में 40 से 70 फीसदी आबादी अल्पसंख्यकों की है। इस इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा है। ऐसे में अमित शाह अपने सीमांचल दौरे पर इस मुद्दे को रैली में उठा सकते हैं।सीमांचल के जिलों में मुस्लिमों की बड़ी आबादी है, जिसके चलते भाजपा जनसंख्या के असंतुलन और घुसपैठ को मुद्दा बनाती रही है। इतना ही नहीं महागठबंधन के दलों पर इस इलाके में तुष्टिकरण के आधार पर वोटों खींचने का आरोप लगाती रही है।जेडीयू के साथ होने के चलते भाजपा खुलकर हिंदुत्व कार्ड नहीं खेलती थी, लेकिन बदले हुए माहौल में अपने एजेंडे पर राजनीतिक समीकरण सेट करने का मौका दिख रहा है। इस दौरान अमित शाह सीमांचल में घुसपैठ की समस्या उठा सकते हैं तो साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय को अपनी तरफ खींचने के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं को उनके सामने रखेंगे।
घुसपैठ के मामले पर बिहार के पूर्व मंत्री रामसूरत राय पहले ही कह चुके है कि, पूर्णिया, अररिया, कटिहार और किशनगंज में एक विशेष समुदाय के स्थानीय लोगों ने बाहरी लोगों का घुसपैठ कराया है। उनके बयान के मुताबिक,उन्हें स्थानीय लोगों ने बताया था कि घुसपैठियों की ओर से विदेशी पैसे का इस्तेमाल कर बड़े पैमाने पर जमीनों को भी खरीदा जा रहा है। कुछ दलालों फर्जी कागजात के आधार पर घुसपैठियों को जमीन उपलब्ध करा रहे हैं।
तो क्या ये माना जाय कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आगमन से पहले एनआईए की टीम पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के आतंकी मॉड्यूल को नेस्तनाबूद करने की तैयारी में जुटी है? अमित शाह का कार्यक्रम सीमांचल के उन इलाकों में है, जहां बताया जाता है कि रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की सबसे ज्यादा घुसपैठ हुई है। बताया ये भी जाता है कि ये घुसपैठिये न सिर्फ स्लीपर सेल का काम करते हैं बल्कि उनका इस्तेमाल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया आतंकी घटनाओं को अंजाम दिलाने में भी कर सकती है। घुसपैठियों के बीच पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया ने अपना तगड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया है। लिहाजा अमित शाह के बिहार आने के पहले ही एनआईए गृह मंत्री की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर लेना चाहती है। ऐसा भाजप नेताओं का कहना है।
गौरतलब है कि,भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने भी इस पर अफसोस जताया है। बिहार में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और एसडीपीआई से लिंक की तलाश में एनआईए के कई जिलों में छापेमारी चल रही है। इस पर उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है। बिहार में लगातार कट्टरपंथी संगठन का दायरा बढ़ता जा रहा है। ये राज्य और समाज के लिए चिंता की बात है। कट्टरपंथियों ने देश और समाज का बड़ा नुकसान किया है। बिहार में जिस तरह इन्होंने पांव पसारना शुरू किया है, इसे लेकर समाज को खुद आगे आना होगा।भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि, बिहार के युवा को गुमराह कर उन्हें अंधकार में धकेलने के अलावा ऐसे कट्टरपंथी संगठनों का कोई योगदान नहीं है। ऐसे संगठनों से सरकार और जांच एजेंसियां तो सख्ती से निपट ही रही है, समाज के लोगों को भी ऐसे संगठनों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। इनकी जड़ें जमने से पहले ही अपने आसपास से उखाड़ फेंकना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि, आतंकवाद इस वक्त देश में पूरी तरह काबू में है। देश ने बहुमुखी विकास के रास्ते पर बढ़ने का सफर तेजी से शुरू किया है। बिहार में भी उद्योग और रोजगार को लेकर युवाओं में रुझान बना है। ऐसे में पीएफआई और एसडीपीआई जैसे कट्टरपंथी संगठनों का बढ़ता दायरा देश के लिए खतरे की घंटी है।