Country Uttarakhand

हाथरस मामले में एक और वीडियो सामने आया, घटना स्थल पर मौजूद थे चार लोग 

देश को झकझोर कर रख देने वाले  हाथरस मामले में अब एक और  मोड़ सामने आ रहा है। उत्तर प्रदेश के इस  बहुचर्चित कांड में हर रोज नए तथ्य और वीडियो सामने आ रहे हैं। इससे पुलिस की विवेचना भी उलझ रही है।  नए  वीडियो में  यह दावा किया जा रहा है कि घटना के समय घटनास्थल पर चार लोग मौजूद थे।

हालांकि अभी इनकी पहचान नहीं हुई है। इससे पहले भी एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें बिटिया की मां केवल एक युवक संदीप द्वारा उसकी बिटिया का नाम लेना बता रहीं हैं। बिटिया के मुंह से भी घायल अवस्था में संदीप का नाम लिया जा रहा है, इसका भी एक वीडियो वायरल हो चुका है।

सूत्रों की मानें तो जब दोनों पक्षों के  फोन की सीडीआर निकाली तो यह बात सामने आई कि दोनों पक्षों के मोबाइल फोनों से लगातार बात होती रहती थी। 104 बार बात होना भी सामने आया। हालांकि बिटिया के पक्ष ने इसे साजिश बताया। कुछ ग्रामीण यह भी कह रहे हैं कि इस लड़की और मुख्य आरोपी संदीप के बीच गहरी दोस्ती थी। इसे लेकर लड़की के परिजन रोक-टोक करते थे।

दूसरी तरफ  पीड़िता  के परिजन  कह रहे हैं कि आरोपी पक्ष के लोग उन्हें फंसाने की साजिश कर रहे हैं। जबकि दिवंगत पीड़िता के भाई का कहना है कि आरोपी पक्ष से मेरी आमने -सामने भी बात नहीं होती तो हम फोन पर क्यों बात करेंगे। घर में एक ही नंबर है, वह भी हमारे पिता के पास रहता है। हमारी बहन हमारी निगरानी में रहती थी।

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पीड़िता  के पक्ष और आरोपी पक्ष की कॉल डिटेल भी पुलिस खंगाल रही है। सूत्रों की मानें तो यह बात भी सामने आई कि इस केस में पहले आरोपी संदीप के मोबाइल नंबर और मृतका के भाई के नाम के मोबाइल नंबर पर पांच माह की सीडीआर (रिकॉर्डिंग  )में 104 बार बातचीत की बात सामने आ रही है। इस बातचीत का कुल समय पांच  घंटे से भी ज्यादा का रहा है।

पांच माह की यह सीडीआर अक्तूबर 2019 से मार्च 2020 तक की है। फरवरी माह में तो दोनों नंबरों पर चालीस बार बातचीत हुई। मार्च में भी बातचीत हुई। यह पूरा मामला खासा वायरल हो रहा है। वहीं बिटिया का भाई इसे साजिश बता रहा है। पीड़िता के भाई का कहना है कि पता नहीं किस तरीके से हमारे नंबरों को मिलाकर दिखाया जा रहा है। यह बात समझ से बाहर है। उसका कहना है कि हालांकि यह नंबर तो हमारा ही है, लेकिन दूसरा नंबर किसका है, इसकी हमें कोई जानकारी नहीं है। यह पूरा मामला घुमाया जा रहा है। वहीं आरोपियों के परिवार वाले शुरू से ही इस पूरे मामले  में अपने बेटों को निर्दोष  बता रहे हैं। उनके बेटे क्या कर रहे थे, इस बारे में भी वह बता रहे हैं। आरोपियों के परिजनों के मुताबिक घटनाक्रम के समय  कोई भी नामजद वहां नहीं था। सब अपने -अपने काम में थे।

जेल में बंद आरोपी रामू के पिता राकेश का कहना है कि उनका बेटा रामू तो एक चिलर प्लांट में नौकरी करता है।  घटना के दिन भी  वह  ड्यूटी पर था। चिलर प्लांट में उसके साथ के और कर्मचारी व मैनेजर इस बात के गवाह हैं। वहां के रजिस्टर में उसकी हाजिरी दर्ज है। उनके बेटे को बिना वजह फंसा दिया गया है। यही नहीं जब धारा 307 का मुकदमा 14 सितंबर को दर्ज हो गया तो दो दिन बाद मुझे और मेरे बेटे को पुलिस ले गई। जब हमारे खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला तो पुलिस ने 20 सितंबर को हमें छोड़ भी दिया, लेकिन इसके बाद उनके बेटे का नाम बयान में बढ़ा दिया और फिर बेटे को पुलिस 26 सितंबर को पकड़ कर ले गई।

इस कांड के मुख्य आरोपी संदीप के पिता कहते हैं  कि उनका बेटा पूरी तरह से निर्दोष है।जिस समय शोर शराबा हुआ, उनका बेटा गाय को पानी पिला रहा था। उनके बेटे के खिलाफ शुरू में जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज किया गया। यह भी आरोप लगा कि पीड़िता की जीभ काटी गई है। यदि लड़की की जीभ कटी हुई थी तो उसने बयान कैसे दे दिए। थाने पर कुछ अस्पताल में कुछ और फिर मेडिकल कॉलेज में कुछ और । आखिर अलग-अलग बयान दिए। तीन और लोगों के नाम बाद में जोड़े गए।

इस मामले  के एक अन्य आरोपी  लवकुश की मां  का कहना है कि वह 14 सितंबर को अपने बेटे लवकुश के साथ खेत में बाजरा काट रही थी। इस बीच शोर सुनकर हम भी भागकर गए। वहां लड़की की मां खेत में चारा काट रही थी। हम भी गए देखने गए। लड़की खेत में पड़ी थी। भाई घर गठरी लेकर आ गया था। जब किसी मां का बच्चा परेशान होगा तो क्या वह खेत में चारा काटेगी। आखिर उसने उस समय शोर क्यों नहीं मचाया। मैं उस समय अपने बेटे से बोली कि पानी लाकर दे दे तो मेरे बेटे ने पॉलीथिन में पानी लाकर बिटिया की मां को दिया है कि लो पिला दो, इसे। इसके बाद मुझे नहीं मालूम कि क्या हुआ। आठ दिन बाद पुलिस मेरे बेटे को घर से पकड़ कर ले गई।

वहीं रवि के पिता अतर सिंह का कहना है कि इस घटना से हमारा  कोई  मतलब नहीं है। हमारे परिवार से वर्ष 2001 में झगड़ा हुआ था। उस समय से ही यह लोग रंजिश मानते हैं। उस समय भी रवि को झूठा फंसाया गया था और वह जेल भी गया था। इसके बाद इस बार भी उसका नाम बाद में लिखवा दिया गया। वह भी झूठी बयानबाजी कर। घटना के वक्त रवि तो घर में चारा काट रहा था। जब और लोगों की नामजदगी हुई तो रवि को पुलिस पकड़कर ले गई।

इससे पहले इस  मामले में  आरोपियों ने हाथरस के एसपी को पत्र लिखा था । इस पत्र में उन्होंने  पूरा मामला ऑनर किलिंग का बताया है । मामले में चार आरोपियों ने जेल से भेजे गए पत्र में लिखा  कि मुख्य आरोपी संदीप के साथ पीड़िता की दोस्ती थी। पीड़िता के घरवालों को यह बात मंजूर नहीं  थी। पूरा परिवार इसे लेकर नाराज था। उन्होंने परिवारवालों पर ही पीड़िता को मारने का आरोप लगाए हैं ।

 

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