महाराष्ट्र में भाजपा की दशकों तक हमजोली रही शिवसेना इन दिनों भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी है तो भाजपा भी इसके जवाब में शिवसेना के नायक छत्रपति शिवाजी की विरासत पर अपना दावा करती नजर आ रही है। भाजपा का यह दांव शिवसेना के भीतर भारी बेचैनी का कारण बन चुका है। दरअसल, शिवसेना की राजनीति मराठी अस्मिता के नाम पर टिकी है। ऐसे में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री गोविंद कारजोल ने छत्रपति शिवाजी भोंसले महाराज की वंशावली खोज यह दावा कर डाला है कि वे मराठा नहीं कर्नाटकी थे। बकौल, गोविंद कारजोल छत्रपति के पूर्वज बैलियप्पा कर्नाटक के सोरातपुर जिला गडक के मूल निवासी थे। दशकों पहले सोरातपुर में अकाल पड़ने के चलते उनका परिवार महाराष्ट्र शिफ्ट हो गया था। छत्रपति शिवाजी बैलियप्पा की चैथी पीढ़ी से थे। भाजपा का यह दांव शिवसेना को खासा अखरा है। इसका सीधा जवाब न देकर उसने मुंबई में रह रहे 25 लाख की आबादी वाले गुजराती समाज को लुभाना शुरू कर दिया है। भाजपा का कोर वोट बैंक रहे इस समाज के लिए पिछले दिनों पार्टी ने ‘जलेबी-फांफड़ा, उद्धव ठाकरे आपना’ कार्यक्रम की शुरुआत कर डाली है। जलेबी-फांफड़ा गुजरातियोें का प्रिय भोजन है। शिवसेना ने इसके चलते नया नारा गढ़ डाला ‘जलेबी-फांफड़ा, उद्धव ठाकरे आपना’। सेना जगह-जगह जलेबी-फांफड़ा की दावत गुजरातियों को देने में जुट गई है। उसका लक्ष्य 2022 में होने जा रहे बृहद मुंबई नगर पालिका (बीएमसी) के चुनावों में गुजराती समाज के वोट बैंक को साधना है। खबर है कि कभी घनिष्ठ मित्र रहे दोनों दलों की लड़ाई का असली आनंद एनसीपी और कांग्रेस के नेता इन दिनों ले रहे हैं।