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झारखंड में अब अधिक पोषक तत्व के साथ मिलेगा मिड-डे मिल

झारखंड सरकार ने स्कूलों में खाली पड़ी जमीनों को विद्यार्थियों के हित में इस्तेमाल करने का एक बेहतरीन तरीका खोज निकाला है। जिसके तहत राज्य के अधिकतर स्कूलों में इस परियोजना पर काम शुरू कर दिया गया है। झारखंड के स्कूलों में विद्यार्थियों के मिड-डे मिल में अधिक पोषक तत्व शामिल करने के उद्देश्य से स्कूलों में स्थित खाली पड़ी जमीनों पर किचन गार्डन बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि राज्य में अब बच्चों को अधिक पोषक तत्व के साथ मिड-डे मिल मिलेगा।

सरकार के निर्देशानुसार किचन गार्डन हेतु स्कूलों में पड़ी खाली जमीनों को चिन्हित करने का काम किया जा रहा है। राज्य सरकार ने शिक्षा पदाधिकारियों ,उपायुक्तों को योजना के तहत आवश्यक कदम उठाने को कहा हैं। इस योजना के कार्य को सफल बनाने के लिए उपायुक्तों ने अलग – अलग जिलों में जाकर विभागीय अधिकारीयों के साथ बैठक की है। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के कहने अनुसार झारखंड में कुल मिलाकर 28010 प्राथमिक विद्यालय और 15970 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमे से 80 प्रतिशत अधिकतर स्कूलों के पास खेल मैदान के अलावा और भी खाली जमीने है। बच्चों के लिए किचन गार्डन इन्हीं जमीनों पर तैयार किए जाएंगे। सरकार स्कूलों में पढ़ाने से लेकर बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार द्वारा योजनाएं बनाकर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

इस योजना को राज्य के कई जिलों में पोषण वाटिका नाम से संबोधित किया जा रहा है। इस योजना के तहत स्कूलों में विकसित हो रहे किचन गार्डन मे उन्हीं सब्जियों और फलों की पैदावार होगी जो बच्चों के पोषण स्तर को बेहतर कर सकें। इस योजना का उद्देश्य यह है कि स्कूली बच्चों के मिड डे मील में पोषण के स्तर को बेहतर बनाने के लिए किचन गार्डन में उगाई जाने वाली सब्जियों को शामिल किया जा सके। सरकार के मुताबिक इस गार्डन में अच्छी गुणवत्ता वाली मौसमी हरी सब्जियां उगाई जाएंगी। सब्जियों के साथ-साथ यहां सहजन, अमरुद, केले जामुन पपीता जैसे फलों के फलदार पौधों को लगाया जाएगा। इस गार्डन को तैयार करने में मनरेगा और वन विभाग के श्रमिकों की सहायता ली जाएगी। किचन गार्डन की सुरक्षा जिम्मेदारी शिक्षा समितियों को दी गई है। जो कि इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी को सुनिश्चित करेंगे।


कुपोषण का शिकार है राज्य


इस योजना के तहत स्कूली विद्यार्थियों को मिड-डे-मील में भरपूर पोषक तत्व मिल पाएगा। जिससे उनका स्वास्थ्य स्वस्थ रह सकेगा। गौरतलब है कि झारखंड में करीबन 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। “राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण” पांचवीं रिपोर्ट के अनुसार 5 साल से कम उम्र वाले 36 लाख 64 हजार बच्चों में 15 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित है। उसमें से भी 3 लाख के करीब बच्चे अत्यधिक रुप से कूपोषण की समस्या का शिकार है। सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में गंभीर कुपोषण से ग्रस्त बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास ठीक तरह से नहीं हो पा रहा। राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा मांझी के अनुसार स्कूली विद्यार्थियों के पोषण स्तर को बेहतर करने के लिए मिड डे मील में सब्जियां और अंडे देने का प्रावधान किया गया है।

 

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