भारत में इन दिनों कई ऐसी फिल्में हैं जो राजनीति का शिकार होने के कारण सिनेमाघरों में रिलीज नहीं हो सकी। अगर रिलीज में हुई है तो सेंसर बोर्ड उन फिल्मों में विवादित दृश्यों को हटा देता है। सत्य घटनाओं पर आधारित फिल्में अक्सर विवादों के घेरे में आ जाती हैं। फीस बढ़ोतरी को लेकर जेएनयू के छात्रों ने इस साल काफी बड़ा आंदोलन किया था। धीरे-धीरे आंदोलन इतना बड़ा हो गया कि पूरे देशभर के युवा सड़कों पर तख्तियों के साथ दिखने लगे। इसी मुद्दे पर एक मलयालम फिल्म बनी है जिसका नाम है वर्तमानम। फिल्म रिलीज से पहले ही विवादों का सामना कर रही है। दरअसल केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने इस फिल्म को हरी झड़ी देने से इंकार कर दिया है।
वर्तमानम फिल्म को सिद्धार्थ शिवा ने डायरेक्ट किया है। और पुरस्कार विजेता अभिनेत्री पार्वती तिरुवोतू इस फिल्म में मुख्य भूमिका में है। फिल्म की कहानी केरल की एक महिला के इर्द-गिर्द घूमती है। जो स्वंतत्रता आंदोलन से जुड़े एक क्रांतिकारी पर शोध कार्य करने के लिए दिल्ली स्थित जेएनयू विश्वविद्यालय में जाती है। मार्च में फिल्म का पहला पोस्टर आया था। जिसमें पार्वती हिजाब पहने नजर आती है। पार्वती के अलावा फिल्म में रोशन मैथ्यू और डैन डैविस भी नजर आएंगे। फिल्म निर्माता एवं पटकथा लेखक आर्यदान शौकत ने कहा कि सीबीएफसी के अधिकारियों ने प्रमाण-पत्र नहीं देने का कोई कारण नहीं बताया है।
शौकत ने आगे कहा कि “फिल्म को इसी सप्ताह प्रमाण-पत्र के लिए मुंबई स्थित सेंसर बोर्ड की पुनरीक्षण समिति के पास भेजा जाएगा। शौकत कांग्रेस नेता भी हैं। यहां सीबीएफसी अधिकारियों ने हमें अभी यह जानकारी दी कि फिल्म को पुनरीक्षण समिति के पास भेजा जाना है। हमें अभी तक यह नहीं पता कि फिल्म को प्रमाण-पत्र क्यों नहीं दिया गया।” फिल्म निर्माता ने बताया कि उन्होंने पटकथा लिखने के पहले कई महीने अध्ययन एवं शोध किया और जेएनयू परिसर की संस्कृति एवं जीवनशैली से रूबरू होने के लिए कई दिन दिल्ली में बिताए। यदि हमें 31 दिसंबर से पहले सेंसर बोर्ड की मंजूरी नहीं मिलती है, तो हम फिल्म को इस बार किसी पुरस्कार के लिए नहीं भेज सकते हैं। राजनीतिक कारणों से फिल्म दिखाने को मंजूरी नहीं दी गई। उन्होंने सेंसर बोर्ड के उस सदस्य के हालिया ट्वीट का भी जिक्र किया, जो भाजपा के एससी मोर्चा के राज्य उपाध्यक्ष हैं। सेंसर बोर्ड के सदस्य एवं वकील वी. संदीप कुमार ने हाल में ट्वीट किया था कि मंजूरी इसलिए नहीं दी गई, क्योंकि आर्यदान शौकत इसके पटकथा लेखक एवं निर्माता हैं।