मेडिकल काॅलेज का नाम बदले जाने की लड़ाई में पहले भाजपा नेता ही भिड़े हुए थे। लेकिन अब पूर्व कैबिनेट मंत्री बेहड़ भी इसमें कूद पड़े हैं
ऊधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर में स्थापित मेडिकल काॅलेज पर राजनीति शुरू हो गई है। इसमें पूर्व कैबिनेट मंत्री तिलकराज बेहड़ और किच्छा के विधायक राजेश शुक्ला आमने-सामने आ गए हैं। हालांकि इसे भाजपा का अंदरूनी राजनीतिक मामला बताया जा रहा है। दरअसल, भाजपा की जिला पंचायत अध्यक्ष रेनू गंगवार ने 16 फरवरी को जिला पंचायत में एक प्रस्ताव पास कराया। जिसमें रुद्रपुर मेडिकल काॅलेज का नाम पंडित राम सुमेर शुक्ला मेडिकल काॅलेज से बदलकर सरदार वल्लभभाई पटेल मेडिकल काॅलेज रख दिया गया। इससे पहले जिला पंचायत अध्यक्ष रेनू गंगवार ने बकायदा जिला पंचायत में नाम परिवर्तन के लिए प्रस्ताव पास कराया।
इसके बाद मेडिकल काॅलेज के नाम पर राजनीति शुरू हो गई। शुरू में यह लड़ाई भाजपा बनाम भाजपा दिखाई दे रही थी। जिसमें किच्छा के वर्तमान विधायक राजेश शुक्ला ने इसका जमकर विरोध किया है। विरोध करने का कारण यह है कि रुद्रपुर मेडिकल काॅलेज का नाम किच्छा के विधायक राजेश शुक्ला के पिताजी पंडित रामसुमेर सिंह शुक्ला के नाम पर था, वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में इस मेडिकल काॅलेज का नाम विधायक राजेश शुक्ला के पिताजी के नाम पर रखा गया था। तब चर्चा यह थी कि हरीश रावत और किच्छा विधायक राजेश शुक्ला में कुछ पाॅलिटिकल अंडरस्टैंडिंग हुई है और राजेश शुक्ला भाजपा छोड़ कांग्रेस में जाएंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। लेकिन पूर्व में चली चर्चाओं को अब एक बार फिर रुद्रपुर के पूर्व विधायक और कैबिनेट मंत्री तिलक राज बेहड़ ने हवा दे दी है। उन्होंने यह कहकर इस मामले में आग लगाने का काम किया है कि हरीश रावत को गुमराह और सौदेबाजी कर विधायक राजेश शुक्ला तराई के मेडिकल काॅलेज का नाम अपने पिता के नाम कराने में सफल रहे थे। यह हकीकत भी जनता के सामने आनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मेडिकल काॅलेज के नाम को लेकर जो प्रस्ताव जिला पंचायत अध्यक्ष ने सभी की सहमति से पास कराया उसे सरकार को स्वीकार करना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि रुद्रपुर मेडिकल काॅलेज को लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम देने से प्रदेश का गौरव बढ़ेगा।
हालांकि इसके विरोध में किच्छा के विधायक राजेश शुक्ला ने कांग्रेस नेता तिलक राज बेहड़ पर उल्टा वार करते हुए कहा है कि वह जनता को बताएं कि मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनके बीच क्या सौदेबाजी हुई थी। तिलक राज बेहड़ फिलहाल सौदेबाजी की बात पर चुप हो गए हैं। बहरहाल मेडिकल काॅलेज के नाम परिवर्तन का मामला मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास विचारणीय है। इसके बाद इस विवाद के तार प्रदेश स्तर के नेताओं से जुड़ते प्रतीत हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि किच्छा के विधायक राजेश शुक्ला उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के करीबी हैं। उन्हें इसी का नुकसान उठाना पड़ रहा है। चर्चा है कि वर्तमान सरकार में एक कैबिनेट मंत्री अपने एक समर्थक के जरिए शुक्ला पर राजनीतिक वार कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष रेनू गंगवार के पति सुरेश गंगवार किच्छा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की मंशा पाले हुए हैं। सुरेश गंगवार को पहले कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य का खास बताया जाता है। सुरेश गंगरार पूर्व में कांग्रेस में थे। लेकिन यशपाल आर्य के कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने के साथ ही सुरेश गंगवार भी कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा में चले गए थे। फिलहाल सुरेश गंगवार ने अपनी राजनीतिक आस्था परिवर्तित कर ली है। पहले जहां वह यशपाल आर्य के खास बताए जाते थे वहीं वर्तमान में वह गदरपुर के विधायक और कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय के करीबियों में गिने जाने लगे हैं। रुद्रपुर मेडिकल काॅलेज के नाम परिवर्तन पर विधायक राजेश शुक्ला को राजनीतिक रूप से घेरने की तैयारी की जा रही है।