”तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा” का नारा लगाने वाले महानायक सुभाष चंद्र बोस की आज जयंती है। आज के दिन पूरा देश उन्हें याद कर रहा है।
नेताजी की उपाधि से सम्मानित
सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वंत्रता संग्रामी थे। आजादी के महानायक सुभाष चंद्र बोस अपनी कड़ी मेहनत और महान नेतृत्व के कारण ‘नेताजी’ नाम से लोकप्रिय थे।
‘आईएएस’ की नौकरी छोड़कर बने देशभक्त
नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा के कटक में हुआ था। नेताजी बचपन से ही देशप्रेमी थे। अपने पिता के कहने पर उन्होंने ‘आईएएस’ की परीक्षा तो पास कर ली लेकिन उनका मन नौकरी करने में नहीं लगा। थोड़े दिन बाद उस नौकरी को छोड़कर भारत वापस आ गए।
‘आजाद हिन्द फौज’ का किया गठन
सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजो के खिलाफ 1942 में एक ‘आजाद हिन्द फौज’ भी बनाई थी। जिसमे ब्रिटिश मलय, सिंगापुर और अन्य दक्षिण पूर्व एशिया के हिस्सों के युद्धबंदी और बागानों में काम करने वाले मजदूर शामिल थे। थोड़े दिनों बाद 1921 में नेताजी की मुलाकात महात्मा गाँधी से हुई,उसके दौरान नेताजी को गांधीजी से मिलकर इतनी ख़ुशी हुई कि उन्होंने महात्मा गाँधी को ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि दी।
‘देशभक्तों के देशभक्त’ की उपाधि से सम्मानित
राष्ट्रपिता ‘महात्मा गांधी’ भी उन्हें बहुत मानते थे। उन्होंने नेताजी को ‘देशभक्तों के देशभक्त’ की उपाधि से नवाजा था।
देशप्रेमी होने के साथ कारप्रेमी भी थे ‘नेताजी’
सुभाष चंद्र बोस जैसे देशप्रेमी थे वैसे ही वो कार प्रेमी भी थे। एक ऐसी कार जिसने नेताजी का आजादी के सफर में बहुत साथ भी दिया और कई बार तो उनकी जान भी बचाई थी। वह कार आज भी देश की धरोहर के रूप में बहुत ही प्यार से सजाकर रखी हुई है।
‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का दिया नारा
सुभाष चंद्र बोस के एक ऐतिहासिक भाषण के शब्दों ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ ने ‘आजाद हिन्द फौज’ के जवानों के अंदर जोश भर दिया था।
कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके थे बोस
नेताजी कांग्रेस के गरम दल के युवा लीडर थे। वह 1938 और 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने। लेकिन महात्मा गांधी और कांग्रेस आलाकमान से मतभेदों के बाद 1939 में उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।नेताजी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दो बार अध्यक्ष चुना गया।
दिल दहलाने वाला हुआ था हादसा
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में मौत हो गई थी। नेताजी की मौत आज भी लोगों के लिए पहेली बनी हुई है। क्योंकि विमान हादसे के बाद उनका कुछ भी पता नहीं चला। इसलिए तमाम किस्से कहानियों में उन्हें जीवित बताया गया है। नेताजी ने ताइवान से जापान के लिए उड़ान भरी थी। लेकिन उनका विमान ताइवान की राजधानी ताइपे में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वह टोक्यो जा रहे थे।
विमान में अचानक से तकनीकी खराबी आ जाने के कारण आग लग गई और जलते-जलते वह क्रैश हो गया। बताया जाता है कि इस हादसे में नेताजी बुरी तरह से जल गए थे। यह भी संभावना जताई गई के वह हादसे में बच गए हों। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए तमाम जांच समितियां गठित कीं, लेकिन आज तक उनकी मौत कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिल पाए हैं।