सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र में गोपाल बाबू गोस्वामी का गीत हर किसी की जुबान पर है। गीत के बोल है ‘ना रो चेली ना रो मेरी लाल, जा चेली चली जा ससुराल।’ यह गीत स्थानीय विधायक और कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या को लेकर चर्चा में है। कहा जा रहा है कि सोमेश्वर की जनता इस बार इस गाने के जरिए यह संदेश दे रही है कि रेखा आर्या को अपने मायके सोमेश्वर से ससुराल बरेली चले जाना चाहिए
पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनट मंत्री रेखा आर्या को इस बार सोमेश्वर विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र बाराकोटी से जबरदस्त टक्कर मिल रही है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में महज 710 वोटों से हारे बाराकोटी के साथ इस बार सिंपैथी लहर है। लगभग हर तीसरा आदमी यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर गंभीर दिखाई दे रहा है। साथ ही यहां की जनता इस बार रेखा आर्या के पति गिरधारी लाल साहू उर्फ पप्पू के कारनामों से नाराज दिखाई दे रही है।
विधानसभा क्षेत्र में विकास के नाम पर किस तरह से मजाक किया गया है इसका उदाहरण है यहां का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। इस केंद्र के सामने बोर्ड तो उप जिला अस्पताल का लगा दिया गया है लेकिन कहीं से भी इसमें उप जिला अस्पताल जैसी सुविधाएं नजर नहीं आती है। हैरानी की बात यह है कि पिछले 2 महीने में इस अस्पताल को लेकर तीन शासनादेश जारी हो चुके हैं। कभी शासनादेश 100 बेड का जारी होता है तो कभी 50 का तो कभी 10 बेड का।
ताकुला ब्लाॅक मुख्यालय तक अभी भी सड़क नहीं पहुंच पाई है। ताकुला ब्लाॅक का मुख्यालय गणानाथ में स्थित है। जहां से 7 से लेकर 11 किलोमीटर तक लोगों को पैदल चलने को मजबूर होना पड़ता है। चाहे क्षेत्र के लोग हो चाहे अधिकारी सभी ब्लाॅक मुख्यालय तक पैदल सफर करते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में पग-पग पर समस्याएं हैं। यहां भाजपा संगठन का कहीं नहीं दिखाई देता है। भाजपा संगठन के नाम पर मंत्री रेखा आर्या के पति सिर्फ गिरधारी लाल साहू की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी काम कर रही है। पूर्व में यहां से विधायक रहे और वर्तमान में अल्मोड़ा पिथौरागढ़ के सांसद अजय टम्टा पिछले विधानसभा चुनाव से ही सोमेश्वर से दूरी बनाए हुए हैं। इसका कारण बताया गया कि 2017 का जब विधानसभा चुनाव हुआ तो उनके खिलाफ से रेखा आर्या के पति ने भाजपा हाईकमान को शिकायत करते हुए कहा था कि वह इस क्षेत्र में नही आए। तब से अजय टम्टा ने सोमेश्वर से दूरी बना ली है।
भाजपा के नेताओं में पूर्व मंडल अध्यक्ष बिशन रावत, रमेश भाकुनी, पुष्कर मेहता, नरेंद्र मोहन रयाल, संजय जोशी, दीवान सिंह राणा आदि भी चुनावी कैंपेन में नजर नहीं आ रहे हैं। यहां की चर्चित भाजपा नेता कल्पना बोरा भी विधानसभा चुनाव में यहां के बजाय कालाढूंगी में सक्रिय हैं। बोरा ने अपना कार्य क्षेत्र कालाढूंगी बनाया हुआ है। लोगों की माने तो कल्पना बोरा के साथ रेखा आर्या ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। कल्पना बतौर भाजपा उम्मीदवार जिला पंचायत का चुनाव लड़ना चाहती थी। लेकिन ऐन वक्त पर रेखा आर्या द्वारा भुपाल मेहरा को कांग्रेस से लाया गया और उनकी पत्नी कविता मेहरा को भाजपा का टिकट दे दिया गया। जिसके चलते पिछले डेढ़ दशक से सोमेश्वर में भाजपा की राजनीति कर रही कल्पना बोरा का टिकट कट गया। इसी तरह बीजेपी की महिला मोर्चा मंडल अध्यक्ष रही लीला बोरा भी पंचायत चुनाव न लड़ सकी थीं। उनका टिकट काटकर रेखा आर्या ने अपने पीए मोहन जोशी की पत्नी गीता जोशी को दिला दिया था।
भाजपा के पिछले ढ़ाई दशक से नेता रहे बलवंत आर्य और उनकी पत्नी मधुबाला आर्य ने तो रेखा आर्या के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। सोमेश्वर की पूर्व प्रमुख लक्षिमा देवी के पुत्र बलवंत आर्या की पत्नी ने भाजपा से बागी होकर निर्दलीय ताल ठोक दी है। जबकि बलवंत आर्या सपा से टिकट लेकर चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं। बीजेपी महिला प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष रही मधुबाला आर्या और उनके पति ब्लाॅक को-आॅपरेटिव बैंक के चेयरमैन रहे तथा बले गांव के प्रधान बलवंत आर्या का चुनाव लड़ने का मकसद सिर्फ रेखा आर्या को चुनावी शिकस्त देना है। दोनों पति-पत्नी रेखा आर्या को उनके पति गिरधारी लाल साहू के जरिए घेरने में जुटे हैं।
साहू के बारे में कहा जा रहा है कि वह पिछले 1 साल से ही घर-घर में कुकर बांट रहे हैं। अब तक हजारों कुकर बांट चुके हैं। शाॅल और साड़ी के अलावा युवाओं को ट्रैक सूट और क्रिकेट किट बांटकर वह धन बल पर चुनाव प्रभावित करने की तैयारी कर रहे हैं। यही नहीं बल्कि कभी वह घरों में भिटोली भिजवा देते हैं तो कभी सोमेश्वर की महिलाओं से राखी बंधवाने तो कभी सैनिकों के सम्मान पर फौजी जैकेट बांटकर जनता में चुनावी पैकेज चला चुके हैं।
रेखा आर्या पर मुख्यमंत्री राहत कोष का दुरुपयोग करने के भी आरोप लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि उन्होंने अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री राहत कोष का पैसा जमकर लुटाया है। बहुत से ऐसे नेताओं को भी धनराशि आवंटित की गई है जो इस कोष से धनराशि पाने के हकदार ही नहीं है। ऐसे लोग जो गरीबी रेखा से ऊपर जीवन यापन कर रहे हैं उन्हें यह राहत राशि दे दी गई है। कई गांव में तो 70 से 80 प्रतिशत तक मुख्यमंत्री राहत कोष की राशि आवंटित कर दी गई है। सवाल यह है कि क्या एक गांव में ही सत्तर से अस्सी प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं? क्षेत्र के लोग इस मामले में मुख्यमंत्री राहत कोष की राशि को चुनावी पैकेज की तरह बांटने का आरोप लगा रहे हैं।
सोमेश्वर के वीरेंद्र भाकुनी कहते हैं कि ‘रेखा आर्या सरकारी धन का दुरुपयोग कर रही हैं। वह मुख्यमंत्री राहत कोष को बांटकर मतदाताओं को प्रभावित करने का काम कर रही हैं। इसके अलावा उनके पति साहू पूर्व में कई बार सोमेश्वर की जनता के बारे में कह चुके हैं कि यहां एक पव्वा और एक नोट में वह वोट खरीद कर फिर से चुनाव जीत जाएगा। लेकिन इस बार जनता सबक सिखाने के मूड में है।
कांग्रेस कैंडिडेट राजेंद्र बाराकोटी पिछले विधानसभा चुनाव में अपने क्षेत्र ताकुला से करीब डेढ़ हजार वोटों से पीछे रह गए थे। इस बार वह वहां पर सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। ताकुला क्षेत्र के लोग भी बाराकोटी को पसंद कर रहे हैं। राजेंद्र बाराकोटी के तारणहार बनकर राज्यसभा सांसद और यहां से पूर्व में विधायक रहे प्रदीप टम्टा चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। प्रदीप टम्टा जनता के बीच जाकर अपनी पार्टी प्रत्याशी को जिताने की अपील कर रहे हैं। उनकी अपील का असर होता हुआ भी दिखाई दे रहा है। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने भी इस बार मजबूत कैंडिडेट हरीश आर्या को मैदान में उतारा है। फिलहाल हरीश आर्या भाजपा और कांग्रेस दोनों को नुकसान पहुंचाते दिख रहे हैं। जबकि उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी की किरण आर्या महज उपस्थिति दर्ज कराती दिख रही हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में सोमेश्वर में चैकाने वाले परिणाम नोटा को लेकर आए थे। नोटा को यहां पर लोगों ने इतने वोट दिए कि वह तीसरे नंबर पर आ गया था। तब कहा गया था कि भाजपा के जितने असंतुष्ट नेता और कार्यकर्ता थे उन्होंने नोटा के बटन को जमकर दबाया था।
सोमेश्वर में फिलहाल एक नारा चल रहा है ‘इस बार-बरेली पार।’ मतलब साफ है कि यहां की जनता रेखा आर्या और उनके पति गिरधारी लाल साहू उर्फ पप्पू से नाराज हैं। गौरतलब है कि साहू बरेली निवासी हैं, जहां उन पर हत्या सहित कई संगीन मामले दर्ज हैं। बरेली के हिस्ट्रीशीटर रहे गिरधारी लाल साहू बरेली के ही जैन दंपत्ति हत्या कांड में बेल पर हैं। अल्मोड़ा जिले में साहू को 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ही तड़ीपार करने के आदेश दिए जा चुके थे। इस बार राज्य में भाजपा सरकार होने के चलते साहू सोमेश्वर की राजनीति में सक्रिय रहकर साम, दाम, दंड, भेद के हथकंडे अपनाकर किसी तरह चुनाव जीतने की जुगत में हैं।