हाल ही में विश्व प्रसिद्ध ‘टाइम’ मैगजीन ने ‘100 इमर्जिंग लीडर्स टाइम लिस्ट’ में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद रावण को भी जगह दी है। इसके बाद से यह माना जा रहा है कि वे न सिर्फ दलित युवाओं के हीरो हैं, बल्कि विश्व के एक बड़े युवा वर्ग को भी प्रभावित और प्रेरित कर रहे हैं। आजाद देश की राजनीति में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी गठित की है। चन्द्रशेखर आजाद रावण से शोभा अक्षर की खास बातचीत
आपको ‘100 इमर्जिंग लीडर्स टाइम लिस्ट’ में स्थान मिला है, तो क्या अब आपकी जिम्मेदारी और बड़ी नहीं हो गई है। न्यायिक, आर्थिक और सामाजिक बराबरी की आपकी यह लड़ाई अब और आगे कैसे बढ़ाएंगे आप?
देखिए, मैं सदा सकारात्मक सोचता हूं। हालांकि ‘टाइम’ की इस लिस्ट के आने के बाद चैलेंज और जरूर बढ़ गया है, पर मैं पाॅजिटिव वाइव्स पर विश्वास करने वाला व्यक्ति हूं। भारत में लगातार विषमताएं बढ़ रही हैं। अब भारत के भविष्य को आकार देने का समय है। यहां गैर-बराबरी ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं। मैं अपने लोगों के साथ निरन्तर जमीन पर कार्य कर रहा हूं। हमें बस आगे आना है। हम दुनिया को साबित कर सकते हैं कि हम एक सकारात्मक बयार भारत में ला सकते हैं, जहां सबके अधिकार एक समान होंगे।
आजादी के पहले की स्थिति हो या बाद की हो, दलितों के साथ हो रहे जातिगत अत्याचारों में कुछ ही बदलाव आए हैं। आज भी कई ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाते हैं जहां जाति के आधार पर न्याय से वंचित कर दुत्कार दिया जाता है। इतनी मजबूत जड़ों को कैसे उखाड़ फेंकेंगे आप?
विडम्बना यही है, यहां हर दलित सफाईकर्मी तो नहीं है लेकिन लगभग हर दलित सफाईकर्मी है। देश की आजादी के बाद जब संविधान बना तो इन सभी परिस्थितियों पर गम्भीरता से ध्यान दिया गया, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि काॅन्स्टीट्îूशन के नियमों का पूर्ण रूप से पालन ही नहीं हुआ है।
देश की पहली सरकार जब बनी वो चुनी हुई सरकार नहीं थी, मनोनीत सरकार थी। लेकिन सरकार कोई भी रही उसके बाद गरीब आज भी गरीब है, अमीर आज भी लगातार अमीर होते जा रहे हैं। भारत-चीन की इकोनाॅमी में कितना फर्क है, बल्कि भारत पहले आजाद हुआ। परिवर्तन लाने के लिए राजनीति में जगह बनानी पड़ेगी, इसीलिए आजाद समाज पार्टी की स्थापना की है हमने
मैं यहां एक चीज साफ कर दूं, मैं यह सिर्फ दलितों के ही संदर्भ में नहीं कह रहा हूं बल्कि किसी भी वर्ग पर किसी काम को जबरन न थोपा जाए, यह सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए। मैं अपने समाज को तैयार करने पर काम कर रहा हूं। वे इंजीनियर बने , डाॅक्टर बने , विदेश जाकर शिक्षा प्रप्त करें, जिससे उन्हें हर समय वंचित रखा गया। मैं यह कहना चाहता हूं कि यदि शरीर का एक अंग कमजोर है, मान लीजिए बाजू कमजोर है तो क्या उसे मजबूत करने के बजाए आप उसे अलग-थलग छोड़ देंगे? नहीं ना! उसी तरह देश के लगभग 23-25 करोड़ लोग जिस वर्ग से आते हैं और कमजोर हैं उनके साथ न्याय बिल्कुल होना चाहिए। हर वर्ग के शोषित लोगों के उत्थान पर एक समान काम होना चाहिए। उत्तराखंड में कोरोनाकाल के दौरान एक घटना हुई। वहां एक जगह कुछ लोगों ने क्वारंटाइन में इसलिए खाना खाने से मना कर दिया क्योंकि भोजन बनाने वाली महिला दलित थी। यह घटना बताती है कि आज भी दलितों पर अत्याचार किए जा रहे हैं।
आप पर यह आरोप लगता है कि आप देश में सिर्फ दलित पाॅलिटिक्स करते हैं, अन्य वर्ग के जो शोषित और पीड़ित लोग हैं उनके लिए आप आवाज न के बराबर उठाते हैं। चंद्र शेखर जी, यह तो हम भी देखते हैं आप उत्तर भारत में ही अधिक सक्रिय हैं। आरोप सही है, तो क्यों हैं?
ये जो लोग आरोप लगा रहे हैं मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि उनके पास क्या सबूत है कि मैं कर्नाटक नहीं गया, केरल नहीं गया, पश्चिम बंगाल नहीं गया या अन्य जगह नहीं गया? मैं आपको बता दूं अभी कर्नाटक में एक पत्रकार पर हमला हुआ था, मैं बेंगलुरु गया था एक विरोध प्रदर्शन में शामिल भी हुआ। देखिए, मेरे दादा, परदादा अमीर नहीं थे। मैं पैसे से इतना संपन्न नहीं हूं कि एक साथ सभी जगह के घटना स्थल पर पहुंच सकूं। पर पूरी कोशिश करता हूं कि अधिक से अधिक लोगों के लिए न्याय की आवाज उठा सकूं। आप मेरे ट्विटर देखें, वहां से भी लगातार लिखता रहता हूं।
केरल के रहने वाले पत्रकार सिद्दीकी कप्पन काफी दिनों से जेल में बंद हैं, उन्हें 5 अक्टूबर 2020 को तब गिरफ्तार किया गया जब वे हाथरस ग्राउंड जीरो रिपोर्टिंग करने जा रहे थे। आपके लोगों ने आपके नेतृत्व में उनकी रिहाई के लिए अभी तक कोई कार्यक्रम नहीं किया, क्यों?
मथुरा टोल प्लाजा से जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था, उसी के बाद मैंने ट्वीटर पर पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के लिए आवाज उठाई थी। उनका मामला अब कोर्ट में है, यह कोर्ट का काम है। हमारी लीगल टीम भी है जो अपने स्तर पर उनकी मदद कर रही है। मनदीप पुनिया की रिहाई के लिए भी मैंने अपनी बात कही थी, नवदीप कौर से मिलने तो मैं जेल भी गया था। मैं पिछले दिनों जयपुर गया था। वहां एक वीडियो वायरल हुआ था, एक बच्ची के साथ दुव्र्यवहार किया गया था। आरोपी आज गुनाहगार साबित होकर, जेल में बंद है। देखिये उत्तर प्रदेश की बात करूं तो यहां तानाशाह है। उसी का शिकार कप्पन भी हुए, आप ये देखो एक मीडिया दिल्ली में भीड़ के पीछे के एजेंट को छुपाने का काम करता है, उन्हें कुछ नहीं कहा जाता। दूसरा पत्रकार अगर सच्चाई दिखाए तो उसे जेल के अंदर डाल दिया जा रहा है, कैसा लोकतांत्रिक देश है यह। यह तानशाही है। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार दोनों जालिम सरकार हैं।
पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, अगले वर्ष पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चुनाव होने हैं, यहां चुनाव जातिगत समीकरण और धनबल से लड़ा जाता है। आपकी राजनीतिक पार्टी ‘आजाद समाज पार्टी’ की क्या भूमिका रहेगी, आपकी क्या रणनीति है इन चुनावों पर?
देखिए, देश की पहली सरकार जब बनी वो चुनी हुई सरकार नहीं थी, मनोनीत सरकार थी। लेकिन सरकार कोई भी रही उसके बाद, गरीब आज भी गरीब है, अमीर आज भी लगातार अमीर होते जा रहे हैं। भारत-चीन की इकोनाॅमी में कितना फर्क है, बल्कि भारत पहले आजाद हुआ। परिवर्तन लाने के लिए राजनीति में जगह बनानी पड़ेगी, इसीलिए आजाद समाज पार्टी की स्थापना की है हमने। हमारे लिए राजनीति कोई व्यापार नहीं है, बल्कि राजनीति यह तय करती है कि देश आगे बढ़ेगा या पीछे जाएगा। हमारा काम नया शुरू हुआ है इसलिए समय तो लगेगा। पर वन वोट और वन वैल्यू की ताकत तो वही है, चाहे प्रधानमंत्री बनाना हो चाहे मुख्यमंत्री। इस देश में एक दुर्भाग्य यह है कि महिला शक्ति को नजरअंदाज किया जाता है। उन्हें सत्ता से वंचित रखा जाता है। बाबा अंबेडकर कहते थे कि देश की प्रगति, वहां रह रही स्त्रियों कीे उन्नति से तय होती है। यहां तो इन्हें दोयम दर्जे का माना जाता है। रोज रेप, हत्याएं, दुव्र्यवहार की घटनाएं सामने आती हैं। वे प्रधान बनती हैं तो उनके पति प्रधान प्रतिनिधि बनकर सरकारी ताकतों का दुरुपयोग करते हैं। मैं कहना चाहता हूं कि मेरी पार्टी का मानना है कि स्त्रियां सिस्टम चलाएंगी तो निश्चित रूप से सिस्टम की सारी खामियां दूर हो जाएंगी।
अब जबकि आप पाॅलिटिक्स में उतर गए हैं, तो उत्तर प्रदेश में यदि बहुजन समाजवादी पार्टी से गठबंधन करना पड़ा तो मुख्यमंत्री कि चेहरा कौन होगा, सुश्री मायावती या आप?
यह तो उस समय तय कर लिया जाएगा। बस मेरी पूरी लड़ाई है कि गरीबों को भी राजनीति करने का समान अवसर मिले। मैं कोई मुख्यमंत्री बनने के लिए राजनीति में नहीं आया हूं मैं तो बस यह चाहता हूं कि देश की स्त्रियां सुरक्षित रहें, रात 10 बजे बाद भी आजादी से आ-जा सकें, बेरोजगार लोगों को रोजगार के सामान अवसर मिले । गजब का देश है, 70 वर्ष के लोग देश चला रहे, देश का युवा आन्दोलन कर रहा है। मीडिया भी उनका है, एबीपी में रुबिया लियाकत जी मुझे झूठे आंकड़े दिखाकर प्रश्न पूछ रही थीं। एनसीआरबी में तो रिकाॅर्ड आंकड़ा ही आता है। यूपी में 10 गुना क्राइम बढ़ा है जो रिकाॅर्ड ही नहीं हुआ है।
वर्तमान सरकार की नीतियों पर आपकी बात?
देखिए, देश के चार स्तम्भों में से तीन पर कब्जा किया जा चुका है। न्यायपालिका हो, मीडिया हो,विधान पालिका हो, सबको पता है कि इन पर कौन राज कर रहा है। बची एग्जेक्यूटिव बाॅडी, उसमें भी ये अपने ही लोगों को अब भर रहे हैं। धर्म और राष्ट्रवाद की कवायद आखिर कितने दिन काम करेगी। धर्म से किसी का पेट नहीं भरा जा सकता, धर्म से किसी गरीब का छत नहीं बनाया का सकता।
आपके पास पावर नहीं होगी तो आप कैसे इन्हें सुधारेंगे, सिस्टम को बदलने के लिए यह तय है कि सिस्टम में आना होगा। देश के प्रधानमंत्री के पास शक्तियां होती हैं?
बिल्कुल, मैं कभी प्रधानमंत्री बना, तो अपने कैबिनेट में हर वर्ग के काबिल लोगों को जगह दूंगा। स्त्री शक्ति, मेरी बहनंे मेरी प्राथमिकता होंगी। तब यह सिस्टम जरूर दुरुस्त होगा।
नए कृषि कानून के विरोध में हो रहे किसान आंदोलन में आपकी भूमिका क्या है?
किसान आंदोलन, देश हित में हो रहा है। मैं आन्दोलरत अपने तमाम किसान भाइयों के साथ हूं। वे जहां कहते हैं, जब कहते हैं उपस्थित रहता हूं। इस बार हमने अपने कुलगुरु रविदासजी महाराज की जयंती भी सभी बाॅर्डरों पर मनाई। इंसानों में जाति नहीं होती, मेरे ऊपर जो आरोप लगाते हैं, उन्हें मैं किसी बात से नहीं बल्कि अपने काम से जवाब देना चाहता हूं। जो मैं कर रहा हूं।
हमसे बातचीत करने के लिए बहुत-बहुत ट्टान्यवाद?
आपको भी शुभकामनाएं बहन।