सरोजिनी नायडू को ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ कहा जाता था। उन्होंने देश की आजादी के संघर्ष में शिरकत की और आजादी के बाद उन्हें यूनाइटेड प्रोविंसेज (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) का राज्यपाल बनाया गया। उन्हें देश की पहली महिला राज्यपाल होने का गौरव हासिल है। सरोजिनी नायडू को उनकी सुरीली आवाज की वजह से महात्मा गाँधी ने उन्हें ‘भारत कोकिला’ की उपाधि दी थी।
सरोजिनी नायडू को राजनैतिक जीवन में महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल सहित अन्य राजनेताओं का सक्रिय सहयोग मिला।गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह ‘बर्ड ऑफ टाइम’ और ‘ब्रोकन विंग’ ने उन्हें दुनिया में प्रसिद्ध कर दिया था। 1898 में डॉ गोविंदराजुलू नायडू से इनका विवाह हुआ।
1914 में नायडू पहली बार गांधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गईं। एक कुशल सेनापति के रूप में नायडू ने अपनी प्रतिभा का परिचय सत्याग्रह और संगठन में दिया। उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गईं। नायडू भारत के महिला आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़ी रहीं।
उन्होंने भारतीय विद्यार्थियों के हितों को भी आगे बढ़ाया। साल 1923-29 तक वो बॉम्बे म्यूनिसिपल कार्पोरेशन की सदस्य रहीं और वो ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के नेताओं में से एक थीं। श्रीमती एनी बेसेंट की प्रिय मित्र और गांधीजी की प्रिय शिष्या सरोजिनी नायडू ने अपना सारा जीवन देश के लिए अर्पण कर दिया। 2 मार्च, 1949 को उनका देहांत हो गया था।