पंडित शिवकुमार शर्मा मशहूर भारतीय संतूर वादक हैं। शिवकुमार शर्मा का आज जन्मदिवस है। इनका जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू में गायक पंडित उमा दत्त शर्मा के घर हुआ था। संतूर एक कश्मीरी लोक वाद्य होता है।
आज संतूर की लोकप्रियता का सर्वाधिक श्रेय शिवकुमार शर्मा को ही जाता है। उन्होंने संतूर को भारतीय शास्त्रीय संगीत के अनुकूल बनाने के लिए इसमें कुछ परिवर्तन भी किए। शिवकुमार शर्मा संतूर के महारथी होने के साथ साथ एक अच्छे गायक भी हैं।
एकमात्र इन्हें संतूर को लोकप्रिय शास्त्रीय वाद्य बनाने में पूरा श्रेय जाता है। इन्होंने संगीत साधना आरंभ करते समय कभी संतूर के विषय में सोचा भी नहीं था, इनके पिता ने ही निश्चय किया कि ये संतूर बजाया करें।
सूफी संस्कृति में संतूर को कभी भी एक एकल वाद्य यंत्र नहीं माना गया, जब तक कि पंडित शिवकुमार शर्मा ने इस उपकरण को इस्तेमाल करने के तरीके को बदल नहीं दिया। उन्होंने राग से लेकर यमन, किरवानी, भूपाली और जोग सभी में महारत हासिल की है। बीते दिनों शिवकुमार ने सिटी एनसीपीए आदी अनंत में प्रस्तुति दी। इस मौके पर उन्होंने शास्त्रीय संगीत के मौजूदा स्वरूप के बारे में खुलकर बात की।
साल 1993 तक पंडित शिवकुमार ने आठ फिल्मों में संगीत दिया> लेकिन उसके बाद उन्होंने यह फिल्मों से दूरी बना ली। इस बारे में उन्होंने कहा, “मैंने हिंदी फिल्मों के लिए संगीत रचना का आनंद लिया। दिवंगत फिल्म निर्देशक यश चोपड़ा मेरे करीबी दोस्त थे जिन्होंने अपनी फिल्मों के लिए संगीत रचना करने के लिए राजी किया। इसलिए मैंने अपने सच्चे जुनून का पालन करने के लिए फिल्म संगीत को छोड़ दिया।”
पंडित शिवकुमार शर्मा बताते हैं, “अपने जीवनकाल में मैंने एक बात सीखी है कि सफलता का कोई आसान रास्ता नहीं है। जीवन में जिसने भी सफलता जल्दी अर्जित की वह लंबे समय तक नहीं टिकी। इसलिए मैं कहूंगा कि यह उन लोगों के लिए एक वरदान है, जिनका उद्देश्य पैसा कमाना है। लेकिन रियलिटी शोज भविष्य में लता मंगेशकर, किशोर कुमार और मोहम्मद रफी पैदा नहीं कर सकते हैं।”