अप्रैल दुनिया के सबसे बड़े इतिहास के क्षणों का गवाह रहा है। इस महीने में मनुष्य अंतरिक्ष की दुनिया को देखने में सक्षम हुआ था। आज से ठीक 60 साल पहले 12 अप्रैल, 1961 को सोवियत संघ के यूरी गागरिन अंतरिक्ष में प्रवेश करने वाले पहले व्यक्ति बने थे।
वर्ष 1967, 12 अप्रैल का दिन, उस समय मॉस्को में सुबह 9:37 बज रहे थे । पूरा सोवियत संघ एकटक होकर आसमान की ओर देख रहा था। जैसे ही वोस्टॉक -1 विमान लॉन्च किया गया, हर कोई खुश था। इस क्षण जो हुआ वह इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था। पहली बार किसी व्यक्ति ने अंतरिक्ष में कदम रखा। इसी के साथ यूरी गगारिन का नाम भी इतिहास में दर्ज हो गया। यूरी 108 मिनट बाद पृथ्वी पर लौटे । पूरी दुनिया ने उनका हीरो की तरह स्वागत किया।
एलेक्सेविच गागरिन , 1934 में रूस के क्लुशिनो गाँव में पैदा हुए, वह एक बढ़ई के बेटे थे। जब यूरी 6 साल के थे, तो उसके घर पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक नाजी अधिकारी का कब्जा था। उनके पूरे परिवार को दो साल के लिए झोपड़ी में रहना पड़ा। नाजियों ने उनकी 2 बहनों को बंधुआ मजदूर के रूप में जर्मनी भेज दिया था ।
आसमान छूने, विमान पर बैठने का सपना
जब वह 16 साल के हुए, तो मास्को चले गए। वहाँ उन्हें सरतोव में एक तकनीकी स्कूल में भाग लेने का अवसर मिला। वहां उन्होंने एक फ्लाइंग स्कूल में प्रवेश लिया। यहीं से आसमान छूने, विमान पर बैठने का सपना उनकी आँखों में पलने लगा था। 1955 में, उन्होंने पहली बार अकेले विमान उड़ाया। 1957 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद यूरी एक फाइटर पायलट बन गए।
1957 में सोवियत संघ द्वारा पहले उपग्रह स्पुतनिक -1 को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि अब मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजा जाना चाहिए। इसके लिए देशभर से आवेदन बुलाए गए थे। हजारों लोगों ने कठोर मानसिक और शारीरिक परीक्षा दी। आखिरकार 19 लोगों को चुना गया। यूरी गगारिन भी उनमें से एक थे ।
क्या है काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद; एक पड़ताल
पसंदीदा काम करते हुए दुनिया को कह दिया अलविदा
अंतरिक्ष से लौटने के बाद गगारिन ने अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण देना शुरू किया। 27 मार्च 1968 को, ऐसे ही एक प्रशिक्षण सत्र के दौरान, उनका मिग -15 जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
हादसे में यूरी गगारिन और साथी पायलट की मौके पर ही मौत हो गई। 1968 में, उन्हें सम्मानित करने के लिए उनके गृह नगर का नाम बदलकर ‘गागरिन ‘ रखा गया।