आज जहाँ दुनिया भर की अधिकतर चीजों के बारे में जानकारियां प्राप्त करने के लिए लोग गूगल का सहारा ले रहे हैं, तो वहीं हाल ही में इंटरनेट की इस दुनिया में ‘चैट जेनेरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफॉर्मर’ (चैटजीपीटी) ने कदम रखे हैं।
जो धीरे-धीरे गूगल के लिए खतरा बनता जा रहा है। चैट जीपीटी को ओपन-एआई कंपनी द्वारा तैयार किया है। गौरतलब है कि आज के इस आधुनिक दौर में पूरी दुनिया कहीं न कहीं पूरी तरह से तकनीक पर निर्भर हो गई है। कुछ दशकों पहले की ही बात है जब मनुष्य किसी भी चीज के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए किताबों का सहारा लिया करता था जिसकी जगह अब काफी हद तक गूगल ने ले ली है। गूगल जैसे ज्ञान के सागर से कोई भी जानकारी आसानी से खोजकर निकाली जा सकती है। लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार चैट जीपीटी के आने से किताबों की तरह अब गूगल भी खतरे में नजर आ रहा है। हालांकि कई विशेषज्ञ इसके द्वारा दी गई जानकारियों पर भरोसे को लेकर इसका विरोध कर रहें हैं।
क्या है चैट जीपीटी
चैट जीपीटी एक ऐसा चैटबॉट है जो आपके अधिकतर सवालों का लिखित रूप में सही जवाब दे सकता है। साथ ही यह गूगल से इस बात पर भी अलग है कि ये व्यक्ति की निजी समस्याओं पर भी सलाह दे सकता है। यह किसी भी सवाल का जवाब या कोई भी अन्य प्रतिक्रिया तेजी से देता है। रिपोर्ट के अनुसार किसी भी चीज की जानकारी भी तुरंत देता है और उसी समय उसका नया वर्जन भी रच देता है। जैसे अलग – अलग प्रकार से किसी खाने की विधि। यह आपके लिए नौकरी ढूढ़ने और आपके बोलने पर कुछ ही पलों में एक कविता की रचना कर सकता है।
चैटजीपीटी है अभी कमी
हालांकि कई लोग इसे लेकर कई सवाल भी उठा रहे हैं। कनाडा के ब्रोक विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर ब्लायन हगार्ट का कहना है कि, ‘हमें केवल इतनी चिंता नहीं कि चैटजीपीटी का उपयोग कर रहे धोखेबाजों को कैसे पकड़ेंगे? बल्कि सबसे बड़ी चिंता है कि कोई चैटजीपीटी से ली जानकारियों को सच कैसे मान सकता है?’साथ ही कई विदेशी शिक्षण संसथान यह भी कह रहे हैं कि अपनी जानकारी का स्रोत बताए बिना चैटबॉट द्वारा मिले लेख हमारे समाज की नींव कहे जाने वाले अकादमिक जगत, शिक्षण संस्थानों और प्रेस व मीडिया तक में भी उपयोग हो सकते हैं। जिससे यह पूरे सूचना तंत्र के लिए खतरा बन सकता है। इसी कारण अब तक इस तकनीक को दुनिया के प्रमुख विश्वविद्यालयों व कई शैक्षिक संस्थाओं द्वारा प्रतिबंधित कर दिया है।