दुनिया की सबसे लोकप्रिय इंडियन प्रीमियर लीग की बराबरी करने के लिए एक ओर जहां पाकिस्तान ने 2016 में पाकिस्तान सुपर लीग शुरू की तो वहीं 2011 में बिग बैस लीग की शुरुआत कर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने भी आईपीएल से मुकाबला करने की कोशिश की थी। अब अमेरिका पहली बार किसी क्रिकेट विश्वकप की मेजबानी कर रहा है। जिसकी शुरुआत 2 जून से हो गई है। चर्चा है कि अमेरिका अपनी फ्रेंचाइजी मेजर लीग क्रिकेट को विश्वकप के जरिए क्रिकेट जगत में इतना बड़ा बनाएगा कि वो आईपीएल को मात दे सके। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि विश्वकप से अमेरिकी क्रिकेट लीग को कैसे फायदा मिलेगा? क्या एमएलसी का भविष्य तय करेगा विश्वकप?
मौजूदा समय में क्रिकेट की सबसे लोकप्रिय इंडियन प्रीमियर लीग का पहला संस्करण वर्ष 2008 की शुरुआत में खेला गया था और तब इसमें पड़ोसी देश पाकिस्तान के क्रिकेटरों ने भी प्रतिभाग किया था। लेकिन इसी साल नवंबर महीने में मुंबई हमला हुआ और आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसका बदला लेने के लिए आठ साल बाद यानी 2016 में पाकिस्तान ने पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) शुरू की लेकिन अभी तक यह लीग आईपीएल की बराबरी नहीं कर पाई। ऐसी ही एक कोशिश 2011 में बिग बैस लीग की शुरुआत कर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने भी की थी मगर सफलता नहीं मिली। इसके बाद इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) द्वारा भी द हंड्रेड लीग प्रस्तावित की गई थी लेकिन वो भी फेल ही रही।
अब अमेरिका पहली बार किसी क्रिकेट विश्वकप की मेजबानी कर रहा है। जिसकी शुरुआत 2 जून से हो गई है। अमेरिका की कोशिश है कि विश्वकप के जरिए क्रिकेट में उसकी जगह बने और विश्वकप के जरिए अपनी फ्रेंचाइजी मेजर लीग क्रिकेट (एमएलसी) को इतना बड़ा बनाए कि वो इंडियन प्रीमियर लीग को मात दे सके। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं विश्वकप से मेजर लीग को कैसे फायदा मिलेगा? क्या एमएलसी का भविष्य तय करेगा विश्वकप?
खेल समीक्षकों और पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों का कहना है कि अमेरिका में पहले से बैट और बॉल से जुड़ा खेल बेसबॉल काफी लोकप्रिय है। यहां इस खेल की फ्रेंचाइजी बेस्ड लीग एमएलबी यानी मेजर लीग बेसबॉल का आयोजन होता है। अमेरिका ने अपनी क्रिकेट लीग का नाम भी इसी तर्ज पर रखा है ताकि बेसबॉल के प्रेमी इस लीग की ओर भी आकर्षित हो सकें। इसके अलावा सॉकर (फुटबॉल) लीग का नाम भी इसी तर्ज पर एमएलएस है, यानी मेजर लीग सॉकर।
अमेरिकी क्रिकेट बोर्ड ने 2018 में फ्रेंचाइजी बेस्ड क्रिकेट लीग शुरू करने की बात कही थी। शुरुआती अड़चनों से पार पाते हुए मई 2022 में लीग के लिए 120 मिलियन डॉलर, यानी करीब एक हजार करोड़ रुपए की फंडिंग जुटाई गई।
माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख सत्या नडेला, शाहरुख खान की को-ओनरशिप वाली आईपीएल फ्रेंचाइजी केकेआर, टेक्नोलॉजी आंत्रप्रेन्योर आनंद
राजारमण, एडोबी के पूर्व प्रमुख शांतनु नारायण शुरुआती इन्वेस्टर्स में शामिल रहे। एमएलसी का पहला सीजन जुलाई 2023 में 6 टीमों के साथ खेला गया। सभी टीमों में भारतीय इन्वेस्टर्स शामिल थे। शाहरुख खान की फ्रेंचाइजी केकेआर, मुंबई इंडियंस (मुंबई इंडियंस) को रन करने वाली कंपनी इंडिया विन स्पोर्ट्स, दिल्ली कैपिटल्स की मालिक जीएमआर स्पोर्ट्स और चेन्नई सुपर किंग्स ने अलग-अलग सहयोगियों के साथ टीमें खरीदीं।
एमएलसी के पहले सीजन में 14 जुलाई से 26 जुलाई तक ग्रुप स्टेज के 15 मैच खेले गए। 27, 28 और 30 जुलाई को प्लेऑफ के 4 मुकाबले हुए। सभी 19 मैच डलास और मोरिसविले स्टेडियम में ही कराए गए। 6 टीमों ने ग्रुप स्टेज में 5-5 मैच खेले, यानी एक टीम ने बाकी 5 टीमों से 1-1 मैच खेला। मुंबई न्यूयॉर्क ने एलिमिनेटर और क्वालिफायर-2 जीतकर सीटल ओरकास को फाइनल में 7 विकेट से हराया था।
अब टी-20 विश्वकप का फाइनल 29 जून को होगा। इसके सात दिन बाद यानी 6 जुलाई से अमेरिका में एमएलसी का दूसरा सीजन शुरू हो जाएगा। इस बार भी 2 ही स्टेडियम में मैच होंगे, लेकिन ग्रुप स्टेज में 15 की बजाय 21 मैच खेले जाएंगे। एक टीम 5 की जगह 7 मैच खेलेगी। ऐसे में विश्वकप के ठीक बाद एमएलसी का दूसरा सीजन शुरू होगा, इससे अमेरिकन खेल प्रेमियों के साथ दुनिया के क्रिकेट प्रेमी भी जुड़ेंगे। दूसरे सीजन के मैच भारतीय समयानुसार रात 12ः30 बजे और सुबह 6 बजे से शुरू होंगे। ये टाइमिंग अमेरिका के हिसाब से रात की रहेगी, इससे ज्यादा दर्शक स्टेडियम पहुंचकर मैच देखेंगे। जबकि पहले सीजन में कुछ मैच अमेरिकन टाइमिंग के हिसाब से दोपहर में हुए थे। इससे मैच टिकट ज्यादा नहीं बिके थे।
आईपीएल की बराबरी कर पाएगा अमेरिका?
इंडियन प्रीमियर लीग की ब्रांड वैल्यू 89 हजार करोड़ रुपए है, जबकि एमएलसी की एक हजार करोड़ रुपए है। आईपीएल में एक हजार करोड़ रुपए तो खिलाड़ियों के वेतन पर ही खर्च हो जाता है, इसके मुकाबले में एमएलसी में खिलाड़ियों की सैलरी पर महज 57 करोड़ रुपए लगाए जाते हैं। गौरतलब है कि अमेरिका में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले खेलों में क्रिकेट शामिल नहीं है, जबकि भारत में क्रिकेट से ज्यादा कोई और खेल नहीं देखा जाता है। मेजर लीग क्रिकेट फिलहाल शुरुआती फेज में है, यहां प्लेइंग-11 में 6 विदेशी प्लेयर खेल सकते हैं जबकि आईपीएल में महज 4 ही विदेशी खिलाड़ी खेलते हैं।
आईपीएल के सफल होने की सबसे बड़ी वजह इंडियन खिलाड़ी भी हैं। इसलिए एमएलसी अगर आईपीएल की बराबरी करना चाहता है तो उसे पहले अपने देश में बड़े खिलाड़ियों की संख्या बढ़ानी होगी। जिसमें फिलहाल बहुत ज्यादा टाइम लगता नजर आ रहा है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल ने 28 मई को ही मेजर लीग क्रिकेट को लिस्ट-ए की मान्यता दे दी यानी अब टूर्नामेंट में खिलाड़ियों और टीमों के आंकड़े टी-20 रिकॉर्ड में भी गिने जाएंगे। आईसीसी नियम के अनुसार किसी एसोसिएट बोर्ड में होने वाली टी-20 लीग को लिस्ट-ए का दर्जा नहीं मिलता है।
हालांकि एसोसिएट बोर्ड अफगानिस्तान के फ्रेंचाइजी टूर्नामेंट अफगानिस्तान प्रीमियर लीग के आंकड़े टी-20 रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होते हैं। अमेरिका भी ऐसी का एसोसिएट बोर्ड ही है, लेकिन यहां क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए एमएलसी को लिस्ट-ए की मान्यता दे दी गई है। 2025 तक इसे 34 मैच तक बढ़ाने का प्लान है, टीमें भी 6 से बढ़ाकर 8 कर दी जाएंगी। एमएलसी के चीफ एग्जीक्यूटिव ने भी कहा कि मेजर लीग क्रिकेट को आखिर में 10 टीमों का टूर्नामेंट बनाने का प्लान है। आईपीएल को छोड़कर अब तक किसी भी देश की फ्रेंचाइजी टूर्नामेंट में दस टीमें हिस्सा नहीं लेती हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि टी-20 विश्वकप का असर मेजर लीग क्रिकेट पर किस तरह पड़ेगा।
अमेरिकी क्रिकेट के इतिहास की बात करें तो एक समय था जब ये खेल अमेरिका में खूब फला-फूला। तब अमेरिका के 22 राज्यों में क्रिकेट खेला जा रहा था। वर्ष 1844 में कनाडा और न्यूयॉर्क की टीम के बीच पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला गया। कहा जाता है कि 1849 में राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन भी शिकागो के एक क्रिकेट मैच में शामिल हुए थे। यहां तक कि इंग्लैंड-अमेरिका-कनाडा के बीच क्रिकेट राइवलरी के भी किस्से हैं। हालांकि वर्ष 1919 में पहले विश्व युद्ध के बाद अमेरिका में क्रिकेट के मुकाबले बेसबॉल लोकप्रिय होता गया। क्योंकि तब को क्रिकेट पूरे दिन खेले जाने वाला धीमा खेल माना गया। बेसबॉल खिलाड़ी बेब रूथ का फेमस होना अमेरिका में क्रिकेट के खत्म होने की वजह मानी जाती है। उन्हें अमेरिकी क्रिकेट के किलर की तरह भी देखा जाता है।
अमेरिका में क्रिकेट की घरवापसी
अमेरिका उन देशों में शामिल है जहां दुनियाभर के लोग बसे हुए हैं। इसकी आबादी 33 करोड़ से ज्यादा है जिनमें करीब पांच करोड़ लोग दूसरे देशों के यानी अप्रवासी हैं। इनमें भी 50 लाख साउथ एशियन हैं और करीब 1.50 करोड़ लोग उन देशों के हैं, जहां क्रिकेट की लोकप्रियता ज्यादा है, जिनमें ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूरोप, एशिया और वेस्टइंडीज शामिल हैं। यानी अमेरिका में इस बार टी-20 विश्वकप के जो 16 मैच होंगे, वहां टीमों को सपोर्ट की कमी नहीं रहेगी।
न्यूयॉर्क में भारत-पाकिस्तान मैच 9 जून को होगा। इसके टिकट 80 हजार से 16 लाख रुपए तक में बिके। स्टेडियम की दर्शक क्षमता 34 हजार है और सभी टिकट लगभग बिक चुके हैं। टीम इंडिया न्यूयॉर्क में तीन और फ्लोरिडा में एक मैच खेलेगी, इनके भी सभी टिकट लगभग बिक चुके हैं। खास बात यह है कि अमेरिका में साउथ एशियन जनता के बढ़ने से ही क्रिकेट का चलन भी तेज हुआ है। साल 2000 में अमेरिका में महज 2 हजार रजिस्टर्ड क्रिकेटर्स थे, तब साउथ एशियन लोग 22 लाख थे। साल 2020 में साउथ एशियन बढ़कर 55 लाख हुई, इससे रजिस्टर्ड क्रिकेट खिलाड़ियों का आंकड़ा भी 2.50 लाख तक पहुंच गया। साउथ एशिया में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देश आते हैं।
अमेरिकी कंपनियों को टारगेट करेगी आईसीसी जीडीपी के हिसाब अमेरिका दुनिया का सबसे अमीर देश है। यहां क्रिकेट बढ़ा तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) अमेरिका की बड़ी कंपनियों को स्पॉन्सरशिप के लिए टारगेट करेगी। इससे इंटरनेशनल क्रिकेट में मनी-फ्लो तेजी से बढ़ जाएगा। फिलहाल क्रिकेट में सबसे ज्यादा पैसा भारतीय क्रिकेट बोर्ड के पास है। अमेरिका में क्रिकेट सफल रहा तो आईसीसी की कमाई भी बीसीसीआई को टक्कर देने की स्थिति में पहुंच सकती है।
अमेरिका में क्रिकेट की ग्रोथ
अमेरिका ने पहला अंतरराष्ट्रीय मैच वर्ष 1844 में जरूर खेला, लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट में आईसीसी ने अमेरिकी टीम को मान्यता साल 2004 में दी। क्योंकि अमेरिका ने बीच के वर्षों में कोई इंटरनेशनल मैच नहीं खेला। अमेरिका ने टी-20 इंटरनेशनल मैच भी 2019 में पहली बार खेला।
टी-20 फॉर्मेट में अमेरिकन टीम 100 मैच भी नहीं खेल सकी है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में देश ने क्रिकेट में अपनी पहचान बनाना शुरू कर दी है। अपनी टीम में भी पाकिस्तान के शयन जहांगीर, अली खान, भारत के मिलिंद कुमार, मोनांक पटेल और न्यूजीलैंड के कोरी एंडरसन जैसे खिलाड़ियों को जगह दी है। जिनकी मदद से हाल ही में अमेरिकी टीम ने बांग्लादेश को 3 टी-20 मैचों की सीरीज 2-1 से अपने नाम की थी।
अब विश्वकप में अमेरिकन टीम भारत, पाकिस्तान और आयरलैंड जैसी टीमों के खिलाफ ग्रुप स्टेज मैच खेलेगी। यहां टीम ने 1-2 मैच भी जीत लिए तो देश के युवा क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित होंगे और क्रिकेट को भी बढ़ावा मिलने की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाएंगी।