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अंतराष्ट्रीय स्तर पर खेल में महिलाएं का परचम

  •        प्रियंका यादव

अंतराष्ट्रीय स्तर पर खेल के विभिन्न क्षेत्र में महिलाएं परचम लहरा रहीं हैं। लेकिन इन महिला खिलाड़ियों को कई बार मानसिक और शारीरिक यौन हिंसा का सामना तक करना पड़ता है। इस तरह की कई खबरें आए दिन आती रहती हैं। जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। महिलाओं को खेल के क्षेत्र में किसी प्रकार की हिंसा का समाना न करना पड़े इसके लिए जर्मनी ने अब ‘सेफ स्पोर्ट’ की पहल की है। जिसके तहत किसी प्रकार की हिंसा से महिला खिलाडियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

क्या है ‘सेफ स्पोर्ट’

खेल की दुनिया में कई रूपों में हिंसा विद्यमान है। जो कि अनुचित शब्दों से लेकर कमर-तोड़ ट्रेनिंग, डराना-धमकाना, शरीरिक हिंसा या फिर सजा और यौन हिंसा का शिकार होती हैं। ‘सेफ स्पोर्ट’ का उदेश्य पेशेवर और गैर पेशेवर दोनों ही तरह के खिलाड़ियों की मदद करना है। महिलाएं अपनी शिकायत ऑनलाइन, फोन या खुद पेश होकर कर सकती हैं। ‘सेफ स्पॉट’ के तहत काउंसिलिंग सेवा में मानसिक और कानूनी सहायता दी जाएगी। इसके अलावा घटना ज्यादा गंभीर होने की स्थिति में दखल देने की संभावना रखी गई है।

जर्मनी के कोलोन स्पोर्ट विश्वविद्यालय में रिसर्चर बेटीना रूलौफ्स खेलों में यौन हिंसा पर शोध कर रही हैं। खेलों की दुनिया में बच्चों और युवाओं की 72 रिपोर्टों के अध्ययन पर आधारित एक रिसर्च में उन्होंने पाया कि जिनके साथ हिंसा या दुर्व्यवहार होता है वो सारी उम्र उसका बोझ ढोते रहते हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिल पाती। जर्मनी के गृह मंत्री नैंसी फेजर ने सहायता की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, ‘बहुत से खिलाड़ियों को ऐसे अनुभव होते हैं जहां सीमाओं का सम्मान नहीं होता, बल्कि उन्हें शब्दों या हरकतों से तोड़ा जाता है, अक्सर ऐसा जान-बूझकर किया जाता है। जिनके साथ ऐसा कुछ हुआ है उन्हें सुरक्षा और मदद की जरूरत है।

शोध अनुसार जर्मनी के कई संस्थाओं ने महिला हिंसा को लेकर रोकथाम के कदम उठाने शुरू भी कर दिए हैं। जैसे प्रशिक्षक अच्छे व्यवहार से जुड़े सर्टिफिकेट दे रहे हैं या फिर इस संबंध में ट्रेनिंग दी जा रही है। हालांकि केवल 40 या 50 फीसदी संस्थाओं ने ही ऐसी व्यवस्था की है।

रिसर्चर बेटीना रूलौफ्स का कहना है कि खेल क्लबों में हिंसा झेलने वालों में से ज्यादातर को मदद नहीं मिल पाती है। उनके अनुसार क्लबों से जो खबरें आती हैं वो गुम हो जाती हैं या फिर उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसका सीधा मतलब है कि कोई बोले भी तो उसकी सुनवाई का कोई रास्ता नहीं है लेकिन अब ‘सेफ स्पोर्ट’ ने उस खाली जगह को भरने की एक उम्मीद जगा दी है। इसमें शिकायत करने वाली खिलाड़ी की पहचान को गुप्त रखा जाएगा। इसका मकसद है कि महिला खिलाड़ी चुप-चाप शोषण ना सहें बल्कि दोषियों के खिलाफ आवाज उठाएं। गृह मंत्री ने ‘सेफ स्पोर्ट’ की जरूरत को समझते हुए कहा, ये दुखद है कि सेफ स्पोर्ट जैसे संपर्क केंद्र को स्थापित करना पड़ रहा है लेकिन ये बेहद जरूरी कदम है। ‘सेफ स्पोर्ट’ का उद्घाटन जर्मनी के गृह मंत्री नैंसी फेजर द्वारा किया गया है।

समाचार पोर्टल डॉयचे वेले यानी डी डब्लू की रिपोर्ट अनुसार साल 2018 में हुए एक शोध में सामने आया कि खेलों की दुनिया में कम से कम 37.6 फीसदी महिलाओं ने यौन शोषण झेला। यह भी पता चला कि इनमें से 11.2 प्रतिशत के साथ गंभीर यौन हिंसा हुई यानी इस तरह की घटनाएं खिलाड़ियों के साथ बड़े पैमाने पर होती रही हैं।

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