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कुस्ती संघ पर प्रतिबंध का जिम्मेदार कौन?

वर्ल्ड रेसलिंग संघ द्वारा भारतीय कुस्ती संघ को निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद से बृज भूषण शरण सिंह और पहलवानों के बीच एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख ने इसके लिए बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक को तो वहीं इन पहलवानों ने पलटवार कर भूषण को इसका जिम्मेदार ठहरा रहे है

 

रेसलर साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट

वर्ल्ड रेसलिंग से भारतीय कुस्ती संघ की सदस्यता रद्द होने से देश के सभी पहलवान निराश हैं। दरअसल विश्व कुश्ती संघ ने भारतीय कुश्ती संघ की सदस्यता को अस्थाई रूप से प्रतिबंधित कर दिया है। भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने इसके लिए तीन पहलवानों बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक को जिम्मेदार ठहराया है तो वहीं विनेश ने बृजभूषण पर पलटवार करते हुए इस परिस्थिति के लिए बृजभूषण को जिम्मेदार बताया है। विश्व कुश्ती की सर्वोच्च संचालन संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने समय पर चुनाव नहीं कराने के कारण भारतीय कुस्ती संघ को निलंबित कर दिया जिसका मतलब है कि भारतीय पहलवान आगामी विश्व चैंपियनशिप में भारतीय ध्वज तले नहीं खेल पाएंगे।

विश्व चैंपियनशिप की दो बार की चैंपियन विनेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स (ट्विटर) पर बृजभूषण के लिए ‘माफिया’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए लिखा, ‘बृजभूषण की वजह से भारतीय कुश्ती को जितना नुकसान उठाना पड़ा है, अगर उसका सही से आकलन कर लिया जाए तो इसका कच्चा चिट्ठा सामने आ जाएगा। एक माफिया की वजह से तिरंगे का अपमान हुआ है। विनेश के बाद ओलंपिक पदक विजेता पहवान बजरंग पूनिया ने भी बृजभूषण पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पूनिया ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘बृजभूषण सिंह खुद कुश्ती महासंघ पर कब्जा किए बैठा है, अपने दखल के बिना महासंघ नहीं बनने दे रहा। महिला पहलवानों का शोषण करने वाला यह आदमी इसलिए महासंघ पर अपना कब्जा रखना चाहता है क्योंकि अगर इसके गुर्गों की जगह कोई सही इंसान अध्यक्ष बन गया तो बृजभूषण के काले कारनामे उजाजर हो जाएंगे। एक अपराधी अपने आपको बचाने के लिए देश का कितना बड़ा नुकसान कर रहा है, यह जगजाहिर है। बृजभूषण कह रहा है कि उसने खुद को महासंघ से दूर कर लिया है। जब दूर कर लिया है तो चुनाव से एक दिन पहले होटल में सभी मतदाताओं के साथ बैठक क्यों कर रहे थे।

ऐसे में पहलवानों और पूर्व भारतीय कुस्ती संघ के अध्यक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोपों के चलते यूनाइटेड रेसलिंग संघ द्वारा भारतीय कुस्ती संघ निलंबन को लेकर सवाल उठ रहे हैं


असम हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट

कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? गौरतलब है कि डब्ल्यूएफआई के चुनाव 12 अगस्त को होने थे। लेकिन पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा कुश्ती संघ की याचिका पर रोक लगा दी। इस बीच बृजभूषण ने एक निजी कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि सदस्यता रद्द होने के लिए ये प्रदर्शन करने वाले पहलवान जिम्मेदार हैं, जिन्होंने कुश्ती और देश के पहलवानों के साथ मजाक किया है।

ऐसा फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का कार्यकाल खत्म होने के बाद संघ को 45 दिनों के भीतर चुनाव कराने थे, लेकिन यह चुनाव समय पर संपन्न नहीं हो पाया जिसके कारण विश्व कुश्ती संघ को भारतीय कुश्ती संघ की सदस्यता समाप्त करनी पड़ी है। ऐसा पहली बार हुआ है जब विश्व कुश्ती संघ ने भारतीय कुश्ती संघ की सदस्यता को निलंबित किया है। इस फैसले का नुकसान न जाने कितने खिलाड़ियों को चुकाना होगा। ऐसे में सवाल उठता है कि कुश्ती संघ की सदस्यता को निलंबित किए जाने का भारतीय पहलवानों पर क्या असर पड़ेगा और समय पर चुनाव नहीं करा पाने के पीछे क्या वजह है?

भारतीय कुश्ती संघ के संविधान के अनुसार इस संघ के अध्यक्ष के लिए हर चार साल में चुनाव कराया जाता है। कोई भी एक व्यक्ति 12 साल से ज्यादा समय तक अध्यक्ष पद पर नहीं रह सकता है। जिसका मतलब है कि एक व्यक्ति तीन कार्यकाल तक ही भारतीय कुश्ती संघ का अध्यक्ष रह सकता है। भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को भी इस नियम के तहत पद छोड़ना पड़ा। वह पिछले 12 सालों से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रह चुके थे। नियमों के अनुसार अब बृजभूषण चुनाव में खड़े भी नहीं हो सकते हैं।

क्यों हुई चुनाव में देरी
भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का कार्यकाल खत्म होने ही वाला था कि उन पर महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोप लगाया है। उनके इस्तीफे को लेकर पहलवानों ने महीनों तक जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया, लेकिन इन सबके बाद भी उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया। इसके बाद उनके कार्यकाल के खत्म होने के बाद कुश्ती संघ में चुनाव कराने के कई प्रयास किए गए। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार चुनाव की तारीखें भी तय की, लेकिन अलग-अलग हाईकोर्ट में अलग-अलग राज्य के कुश्ती संघों की याचिका के आधार पर अध्यक्ष के चुनाव में रोक लगती रही और देखते ही देखते 45 दिनों का समय निकल गया।

हाईकोर्ट ने चुनाव पर क्यों लगाई रोक

अध्यक्ष के चुनाव में कुश्ती महासंघ की राज्य और केंद्र शासित इकाइयों के दो सदस्यों को वोट करने का अधिकार होता है। एडहॉक कमेटी ने 11 जुलाई की तारीख तय की थी, इसी दिन चुनाव होने थे लेकिन इसके खिलाफ असम कुश्ती संघ गुवाहाटी हाई कोर्ट पहुंच गया। असम कुश्ती संघ ने याचिका में कहा कि उन्हें भी भारतीय कुश्ती संघ का सदस्य होने का अधिकार है और उनके संघ के भी दो सदस्यों को मतदान देने का अधिकार मिलना चाहिए। हाई कोर्ट ने असम कुश्ती संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए 11 जुलाई को होने वाले चुनाव पर रोक लगा दी। हालांकि इस रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया। कुछ दिन बाद ही असम को चुनावों में शामिल कर लिया गया। असम के शामिल होने के बाद वोट करने वालों की लिस्ट में 25 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 50 सदस्य शामिल हो गए।

अब जैसे ही असम का मामला सुलझा कमेटी ने अध्यक्ष के चुनाव के लिए 12 अगस्त की तारीख तय कर दी थी, लेकिन इस बार चुनाव से पहले हरियाणा में दो कुश्ती संघ आपस में भिड़ गए और पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गए। ‘हरियाणा एमेच्योर कुश्ती’ ने याचिका दायर करते हुए कहा कि अध्यक्ष के चुनाव में ‘हरियाणा कुश्ती संघ’ की जगह उनके दो सदस्यों को वोटिंग का अधिकार मिलना चाहिए। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष के चुनाव पर 28 अगस्त तक रोक लगा दी।
निलंबन से पहलवानों का कितना नुकसान विश्व कुश्ती संघ के अनुसार भारतीय कुश्ती संघ को चुनाव संपन्न करवाने के लिए तीन जुलाई को चेतावनी दी गई थी, लेकिन इसके बाद भी संघ में चुनाव नहीं हुए। विश्व कुश्ती संघ का कहना है कि इस निलंबन से भारतीय पहलवानों को नुकसान ये होगा कि अब भारतीय पहलवानों को विश्व चैंपियनशिप में उसके ही झंडे के नीचे खेलना होगा और भारतीय कुश्ती संघ के सदस्य उसके कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।

दरअसल ऐसी परंपरा रही है कि जब पहलवान गोल्ड मेडल जीतते हैं तो उसके देश का राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और राष्ट्रगान बजाया जाता है। लेकिन इस बार विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में ऐसा नहीं दिखाई देगा।

इतना ही नहीं बल्कि पेरिस ओलंपिक, 2024 में मेडल जीतने वाले भारतीय पहलवानों को सीधी एंट्री भी नहीं मिलेगी, क्योंकि यह विश्व चैंपियनशिप पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाइंग प्रतियोगिता भी होगी। इसमें हर देश के लिए एक निश्चित कोटा है, क्योंकि भारतीय खिलाड़ी भारत के झंडे तले नहीं खेलेंगे तो उन्हें इसका फायदा भी नहीं मिलेगा।

 

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