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गलतियों से कब सीखेगा भारत?

भारतीय टीम के 2017 के वनडे विश्वकप के फाइनल में पहुंचने से उम्मीद की जा रही थी कि भारतीय महिला टीम अब इससे एक कदम आगे बढ़ेगी और ऑस्ट्रेलिया की बादशाहत को चुनौती देगी, लेकिन छह साल बाद केपटाउन में जीत की दहलीज पर पहुंचने के बावजूद कप्तान हरमनप्रीत कौर के रन आउट होने से पूरी कहानी बदल गई और टीम को ऐसी हार मिली जिसे खिलाड़ी वर्षों तक नहीं भुला पाएंगे

भारतीय टीम से उम्मीद थी की इस बार वह टी – 20 विश्वकप का खिताब ले आएगी। लेकिन भारत ने केपटाउन में भी वही कहानी दोहराई जो लंदन, मेलबर्न, बर्मिंघम थी। सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों जीत की स्थिति में होने के बावजूद पांच रन की हार ने भारतीय महिला टीम को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल वनडे विश्वकप 2017 के फाइनल में पहुंचने से महिला क्रिकेट टीम ने क्रांति ला दी थी। उम्मीद की जा रही थी कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम अब इससे एक कदम आगे बढ़ेगी और ऑस्ट्रेलिया की बादशाहत को चुनौती देगी, लेकिन छह साल बाद भी कहानी में कोई बदलाव नहीं हुआ।

केपटाउन में जीत की दहलीज पर पहुंच गया था लेकिन कप्तान हरमनप्रीत कौर के रन आउट होने से पूरी कहानी बदल गई और टीम को ऐसी हार मिली जिसे खिलाड़ी वर्षों तक नहीं भुला पाएंगे। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब भारत नॉकआउट में बाहर हो गया हो। वनडे विश्व कप 2017 में वह फाइनल में इंग्लैंड से हार गया था। इसके बाद 2018 में टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में इंग्लैंड उनके सामने रोड़ा बना था। भारतीय टीम पिछले टी-20 विश्व कप के मेलबर्न में खेले गए फाइनल और पिछले साल कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड मेडल मैच में भी हार गई थी। इन दोनों अवसरों पर उन्हें ऑस्ट्रेलिया ने पराजित किया था। टी-20 विश्वकप 2023 के लीग स्टेज में भारतीय टीम का प्रदर्शन असंगत रहा था लेकिन सेमीफाइनल में वह जीत की स्थिति में थी।


खराब फील्डिंग ने किया बंटाधार
टीम की खराब फील्डिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि भारतीय टीम इस तरह के दबाव वाले मैचों में पॉजिटिव रिजल्ट क्यों हासिल नहीं करती? क्या यह टीम के चयन से जुड़ा कोई मुद्दा है या फिटनेस जिसके कारण फील्डिंग बेहद खराब रही। या फिर टीम की रणनीति पर निशाना सांधे या इसका कारण कुछ और ही है। सेमीफाइनल में भारत की फील्डिंग बहुत खराब रही ऐसे में कोच शुभादीप घोष (फील्डिंग कोच) को कई सवालों के जवाब देने होंगे। निराशाजनक फील्डिंग की वजह से ऑस्ट्रेलिया 25 से 30 रन अधिक बनाने में सफल रही।

जहां शेफाली वर्मा ने आसान-सा कैच टपकाया तो वहीं विकेटकीपर रिचा घोष ने मेग लैनिंग को स्टंप आउट करने का आसान मौका गंवाया। पूर्व भारतीय कप्तान डायना एडुल्जी ने कहा ‘विश्व कप जीतने वाली भारत की अंडर-19 टीम अधिक फिट और मैदान पर चपल दिख रही थी। मैं शर्त लगाती हूं कि हमारी अधिकतर सीनियर क्रिकेटर यो यो टेस्ट (जो पुरुष टीम के लिए अनिवार्य है) पास नहीं कर पाएंगी। खराब फिटनेस के कारण हम अच्छे फील्डर की उम्मीद नहीं कर सकते।’

खराब स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी
भारतीय बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट पूरे वर्ल्डकप में काफी निराशाजनक रहा है। शेफाली, दीप्ति शर्मा, यस्तिका भाटिया और कप्तान हरमनप्रीत का टूर्नामेंट में स्ट्राइक रेट 110 से कम था। मॉडर्न क्रिकेट में 130 से कम का स्ट्राइक रेट अच्छा नहीं माना जाता है। स्टार बल्लेबाज स्मृति मंधाना ने 138.5 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए लेकिन वह रन बनाने में कंसिस्टेंट नहीं थी। शेफाली लंबे समय से खराब फॉर्म में चल रही हैं और गेंदबाज शार्ट पिच गेंदों पर उनकी कमजोरी का फायदा उठा रहे हैं। ऐसे में अब ­­­ओपनर बल्लेबाज एस मेघना को मौका दिया जाना चाहिए।

स्पिनरों ने किया निराश
बहुत पुरानी बात नहीं जब स्पिनरों को भारत का मजबूत पक्ष माना जाता था लेकिन इस विश्व कप में उन्होंने भी निराश किया है। राजेश्वरी गायकवाड़ टूर्नामेंट में एक भी विकेट नहीं ले पाई जबकि दीप्ति और राधा यादव भी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन करने में असफल रहीं।

रेणुका के अलावा कोई और नहीं आया काम
तेज गेंदबाजी यूनिट में रेणुका सिंह ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन शिखा पांडे प्रभावित नहीं कर पाईं। इस यूनिट में विकल्पों की कमी टीम के लिए चिंता का विषय है। बाएं हाथ की तेज गेंदबाज अंजली सरवानी को वर्ल्डकप में एक भी मैच में मौका नहीं दिया गया। मेघना सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ। बहरहाल, अब यही उम्मीद कर सकते हैं कि 4 मार्च से शुरू होने वाली महिला प्रीमियर लीग से तेज गेंदबाजी यूनिट में कुछ नई प्रतिभाएं सामने आएंगी। टीम के पास स्थाई कोचिंग स्टाफ नहीं होना भी अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल करता है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के कोचों को महिला टीम से जोड़ने के चलन से बचना होगा। वहीं अगला विश्वकप 18 महीने बाद होना है और भारत को अगर वह विश्वकप घर लाना है तो उसकी तैयारी अभी से शुरू करनी होगी।

 

ऑस्ट्रेलिया ने लगाया जीत का छकका, अफ्रीका ने रचा इतिहास

आईसीसी महिला टी-20 विश्वकप के खिताबी मुकाबले में साउथ अफ्रीका को हराकर ऑस्ट्रेलिया जीत का छक्का लगाया तो अफ़्रीकी ने इतिहास रच दिया। फाइनल मुकाबला काफी रोचक हुआ, लेकिन अंत में ऑस्ट्रेलिया ने 19 रनों से जीत हासिल की। इस हार के साथ ही साउथ अफ्रीका के विश्व विजेता बनने का सपना फिर टूट गया मगर क्रिकेट इतिहास में जो काम अफ्रीकी पुरुष टीम नहीं कर पाई वह महिलाओं ने कर दिखाया।

दरअसल साउथ अफ्रीका की पुरुष टीम आज तक वनडे हो या टी-20 विश्वकप उसके सेमीफाइनल में जगह नहीं बना पाई है लेकिन उसकी महिला टीम ने पहली बार टी-20 विश्वकप का फाइनल खेल इतिहास रच दिया है। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते आईसीसी महिला टी-20 विश्वकप का खिताबी मुकाबला ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के बीच खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 6 विकेट खोकर 156 रन बनाए थे। ऑस्ट्रेलिया के लिए बेथ मूनी ने 74 रनों की नाबाद पारी खेली थी। जबकि साउथ अफ्रीका के लिए शबनीम इस्माइल और मरिजैन कप्प ने 2-2 विकेट लिए।

ऑस्ट्रेलिया द्वारा जीत के लिए दिए गए 157 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए अफ्रीकी टीम बीस ओवरों में 137 रन ही बना सकी। इस तरह ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम ने 19 रनों से मुकाबला जीत कर एक बार फिर से अपनी बादशाहत कायम रख लगातार तीसरी बार खिताब पर कब्जा जमा लिया। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया की महिला टीम 2010, 2012, 2014, 2018 और 2020 में विजेता बनी थी।

ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने बरपाया कहर
टूर्नामेंट में साउथ अफ्रीकी खिलाड़ी जिस लय में खेल रहे थे उसे रोकना किसी भी गेंदबाजी आक्रमण के लिए एक बड़ी चुनौती थी लेकिन फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की सभी गेंदबाजों ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया। हालांकि मैच में मेगन शट, एश्ले गार्डनर, डार्सी ब्राउन और जेस जोनासेन को ही सफलता मिली मगर टीम की किसी गेंदबाज ने 25 से अधिक रन खर्च नहीं किए।  कप्तान मेग लैनिंग की चतुराई भरी इस कप्तानी के कारण उन्होंने गेंदबाजों का इस्तेमाल बहुत की सूझबूझ के साथ की जिसके कारण ऑस्ट्रेलियाई टीम चैंपियन बन पाई।

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