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नॉक आउट के दबाव से कब उभरेगा भारत?

भारतीय क्रिकेट टीमों का आईसीसी टूर्नामेंट्स के नॉकआउट मुकाबलों में आउट होने का सिलसिला जारी है। पिछले साल के अंत में लगातार दस जीत दर्ज करने वाली रोहित शर्मा की कप्तानी वाली सीनियर टीम ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी। अब ऑस्ट्रेलिया से ही अंडर 19 वर्ल्ड कप फाइनल में टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर नॉकआउट मुकाबले में ही क्यों हार जाता है भारत? इस हार का जिम्मेदार कौन है? इन खामियों से कब सबक लेंगे कोच और चयनकर्ता? क्या फाइनल के दबाव को झेल नहीं पा रहा है भारत? और इस दबाव से कब उभरेगी टीम इंडिया

भारत की क्रिकेट टीमों का आईसीसी टूर्नामेंट्स के नॉकआउट मुकाबले में हार का सिलसिला जारी है। पिछले साल के अंत में लगातार दस जीत दर्ज करने वाली रोहित शर्मा की कप्तानी वाली सीनियर टीम को ऑस्ट्रेलिया ने वनडे वर्ल्ड कप के खिताबी मुकाबले में हराया था। अब ऑस्ट्रेलिया ने ही अंडर 19 वर्ल्ड कप फाइनल में टीम इंडिया का छठी बार विश्व विजेता बनने का सपना तोड़ दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर नॉकआउट मुकाबले में ही क्यों हार जाता है भारत? इस हार का जिम्मेदार कौन है? इन खामियों से कब सबक लेंगे कोच और चयनकर्ता? क्या फाइनल के दबाव को झेल नहीं पा रहा भारत? खिताबी मुकाबले के दबाव से कब उभरेगा भारत?

खेल विशेषज्ञों और आलोचकों का कहना है कि नॉकआउट मुकाबले में बल्लेबाजी, क्षेत्ररक्षण और गेंदबाजी तीनों में बेहतर प्रदर्शन आवश्यक है जो भारतीय टीम में नहीं दिखा। दूसरा टॉप ऑर्डर का फ्लॉप होना। मुशीर खान, सचिन दास और कप्तान उदय सहारन से फाइनल मुकाबले में भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन तीनों ने ही निराश किया। मुशीर 22, उदय 8 और सचिन सिर्फ 9 रन बना सके। हालांकि मुशीर और उदय इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में टॉप-2 में रहे। उदय ने 56.71 के एवरेज से सर्वाट्टिक 397 रन बनाए लेकिन फाइनल मुकाबले में मुशीर को छोड़कर ये धुरंधर दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए।

तीसरा भारतीय पारी में कोई बड़ी साझेदारी नहीं हो पाई, जो हार की बड़ी वजहों में से एक रही। सबसे बड़ी साझेदारी 46 रनों की थी, जो नौवें विकेट के लिए मुरुगन अभिषेक और नमन तिवारी के बीच हुई। मगर तब तक भारत के हाथ से मैच लगभग निकल चुका था। यदि भारत की ओर से कोई बड़ी साझेदारी होती तो मैच का निर्णय कुछ और ही होता। चौथा कप्तान उदय सहारन ने स्पिन गेंदबाजों के तौर पर मुरुगन अभिषेक, मुशीर खान, सोमी पांडे और प्रियांशु मोलिया को लगाया था। मगर ये चारों ही गेंदबाज कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। चारों स्पिन गेंदबाजों ने मिलकर 141 रन दिए, लेकिन दो ही विकेट ले सके। यदि ये गेंदबाज बेहतर प्रदर्शन करते तो मैच का नतीजा भारत के पक्ष में आने की उम्मीदें काफी ज्यादा हो सकती थी। फाइनल मुकाबले में ज्यादातर टीम टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करना पसंद करती हैं। भारतीय कप्तान फाइनल मैच में टॉस नहीं जीत पाए। ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने टॉस जीत पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। ऑस्ट्रेलिया ने अच्छा स्कोर बनाया, जिससे भारतीय बल्लेबाजों पर शुरुआत से ही प्रेशर रहा।

सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट

अंडर-19 वर्ल्ड कप के हर मुकाबले में जब-जब भारतीय टीम मुश्किल में नजर आई कप्तान उदय सहारन ने टीम को संभाला था। फाइनल में उदय को कुछ इसी तरह की परिस्थितियां मिली थी। भारत के पहले दो विकेट महज 40 रन पर गिर चुके थे। यहां से भारत की पारी को संभालने की जिम्मेदारी एक बार फिर कप्तान उदय के कंट्टां पर आ गई। लेकिन पूरे टूर्नामेंट में अपने बल्ले से भारत को संभालने वाले उदय फाइनल मुकाबले में ऐसा करने में कामयाब नहीं हो पाए। फाइनल में कप्तान सिर्फ 8 रन बनाकर आउट हो गए। उनके आउट होने से भारत की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा। भारतीय टीम की हार का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट उदय सहारन का आउट होना रहा।

फाइनल का दबाव नहीं झेल पाए खिलाड़ी

भारतीय टीम फाइनल का दबाव नहीं झेल सकी और एक तरह से उसने सरेंडर कर दिया। पूरे मुकाबले में भारत का कोई भी बल्लेबाज अपना कमाल नहीं दिखा पाया। भारत की गेंदबाजी भी आखिरी कुछ ओवर्स में पटरी से उतरी नजर आई। ऑस्ट्रेलिया का स्कोर एक समय छह विकेट पर 187 रन था, इसके बावजूद वह 250 से ज्यादा रन बनाने में सफल रहा। इससे साफ नजर आया कि वर्ल्ड कप फाइनल जैसे बड़े मुकाबले का दबाव भारतीय टीम झेल नहीं पाई।

गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया ने एक साल के भीतर तीसरी बार टीम इंडिया का चैंपियन बनने का सपना तोड़ दिया है। बीते 11 फरवरी को खेले गए अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में टीम इंडिया को 79 रन के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। जीत के लिए 254 रन के लक्ष्य को उदय की कप्तानी वाली भारतीय टीम हासिल नहीं कर सकी। भारतीय टीम महज 43.5 ओवर में 174 रन पर ढेर हो गई। इसी के साथ ऑस्ट्रेलिया ने चौथी बार अंडर-19 विश्व कप का किताब अपने नाम कर लिया। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को पिछले साल वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप और वनडे विश्व कप के फाइनल में मात दी थी। ऐसे में भारतीय टीम के विश्व चैंपियन बनने की राह में ऑस्ट्रेलिया रोड़ा बन गई।

भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों टीमें पिछली बार फाइनल में 6 साल पहले साल 2018 में न्यूजीलैंड में आयोजित विश्व कप के फाइनल में भिड़ी थी जिसमें पृथ्वी शॉ की कप्तानी वाली टीम इंडिया बाजी मारने में सफल हुई थी। भारतीय टीम का अंडर-19 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन रहा है। टीम इंडिया रिकॉर्ड नोवीं और लगातार पांचवीं बार फाइनल में पहुंची। पिछले चार में से दो खिताब टीम इंडिया ने अपने नाम किए हैं। पिछली बार यश ढुल की कप्तानी में भारतीय टीम पांचवीं बार चैंपियन बनी थी। इस बार 2024 अंडर 19 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया। भारतीय टीम ने बांग्लादेश के खिलाफ अपने वर्ल्ड कप अभियान का आगाज किया था। भारत ने बांग्लादेश के अलावा आयरलैंड, अमेरिका, न्यूजीलैंड, नेपाल और साउथ अफ्रीका को हराया। इस तरह टीम इंडिया ने लगातार 6 मैच जीते, लेकिन फाइनल में हार का सामना करना पड़ा

डेढ़ दशक बाद अंडर-19 चैम्पियन बना ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया ने 14 साल लंबे अंतराल के बाद अंडर-19 विश्व कप का खिताब जीता है। साल 2010 में ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को पटखनी देकर खिताब जीता था। अब 14 साल बाद भारत को मात देकर चैंपियन बना है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई टीम 1988 और 2002 में अंडर-19 वर्ल्ड चैंपियन बनी थी।

नौवीं बार फाइनल में पहुंची भारतीय टीम

भारतीय टीम हमेशा आयु वर्ग के टूल किट में पावर हाउस रही है और इस टूर्नामेंट में नौवीं बार फाइनल में पहुंचना इसका प्रमाण है। भारत की अंडर-19 टीम ने 2016 के बाद सभी फाइनल खेले हैं जिसमें से उसने 2018 और 2022 में खिताब जीते जबकि 2016 और 2020 में उसे हार मिली। विराट कोहली की टीम ने 2008 में ट्राफी जीती थी जिसके बाद अंडर-19 विश्व कप ने काफी लोकप्रियता हासिल की है।

अंडर-19 विश्व कप से मिले हैं स्टार खिलाड़ी

अंडर-19 विश्व कप ने युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ, सुरेश रैना, शिखर ट्टावन, रोहित शर्मा, कोहली, रविंद्र जडेजा, केएल राहुल, ऋषभ पंत, शुभमन गिल और यशस्वी जायसवाल जैसे स्टार क्रिकेटर दिए हैं। लेकिन उन खिलाड़ियों की सूची इससे भी ज्यादा नहीं है जो स्टारडम हासिल करने के बाद शीर्ष स्तर तक पहुंचने में असफल रहे। 2000 के दशक के शुरू में रिंतदर सिंह सोढ़ी और गौरव ट्टामान से लेकर उन्मुक्त चंद, हरमीत सिंह, विजय जोल, संदीप शर्मा, अजितेश अर्गल, कमल पासी, सिद्धार्थ कोल, ठिमेट पटेल, रविकांत सिंह औट कमलेश नागरकोटी तक देखें तो यह सूची काफी लंबी है। पृथ्वी शॉ अपने करियर को फिर से संवारने की कोशिश कर रहे हैं जबकि यश ढुल को सीनियर स्तर के क्रिकेट के मानकों का सामना करना बेहद मुश्किल लग रहा है।

ऑस्ट्रेलिया ने रचा इतिहास

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट इतिहास में पिछला एक साल काफी शानदार रहा। बात महिला टीम की हो, सीनियर पुरुष टीम की हो या अंडर-19 टीम की। सभी ने पिछले एक साल में कमाल का प्रदर्शन किया है। खासतौर पर आईसीसी टूर्नामेंट्स में ऑस्ट्रेलिया ने अपनी एक अलग बादशाहत कायम की है। सबसे पहले टी-20 वर्ल्ड कप में 26 फरवरी 2023 को महिला टीम ने फाइनल मुकाबले में दक्षिण अफ्रीकी महिला टीम को मात देकर खिताब पर अपना कब्जा जमाया था।

टी20 वर्ल्ड कप के बाद ऑस्ट्रेलियाई पुरुष टीम ने अगला आईसीसी खिताब वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का जीता। इस चैम्पियनशिप के फाइनल मुकाबले में कंगारू टीम ने भारत को 209 रनों के बड़े अंतर से हराया। यह ऑस्ट्रेलिया की लगातार दूसरी आईसीसी टूर्नामेंट में जीत थी। ऑस्ट्रेलिया का आईसीसी टूर्नामेंट जीतने का विजयरथ वनडे वर्ल्ड कप 2023 में भी जारी रहा। इस टूर्नामेंट के फाइनलचैम्पियनशिप में ऑस्ट्रेलियाई पुरुष टीम ने एक बार फिर भारतीय टीम को शिकस्त दी। इस खिताबी मुकाबले में जीत हासिल कर आईस्ट्रेलिया ने आईसीसी टूर्नामेंट जीत की हैट्रिक लगाई थी। अब बीते 11 फरवरी को महिला और सीनियर पुरुष ऑस्ट्रेलियाई टीम की तरह अंडर-19 कंगारू टीम ने भी दम दिखाया। अंडर-19 वर्ल्ड कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने 79 रनों से जीत दर्ज करने के साथ ही चार लगातार आईसीसी टूर्नामेंट जीतने वाली क्रिकेट इतिहास की पहली टीम बन गई है।

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